सावन की जो पूनम है
उसकी तो है अनोखी बात ।
रक्षा -बंधन जो आता है
सदैव इसके साथ ।
मुझे वैसे , हर पूनम पसंद है
छिटकती है जो चांदनी
खुल के उस रात ।
काश ! कुछ उजाला
समेट,सहेज रख पाती
वो काम तब आता
होती जब अमावस की रात ।
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6 comments:
Beautifully written...
-P
Hello aunty,
Has been long. Apologize on not being in touch through FB and your blog.
How have you been, aunty?
Rashi
Very nice!!
Beautiful thoughts. I am looking forward to Rakhi Purnima. I have very special memories of celebrating Rakhi with my brother.
Very beautiful wonder how talented a person can be you just superb
मेरे ब्लॉग पर आकर दो शब्द लिखने के लिए धन्यवाद !
मुझे आपकी कवितायेँ बहुत अच्छी लगी खासकर ये पंक्तियाँ...
काश ! कुछ उजाला
समेट,सहेज रख पाती
वो काम तब आता
होती जब अमावस की रात ।
उजाला समेत कर रखना ही तो हमें सीखना है...!
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