ज़रूरी नही
कि इसके एहसास
के लिए
आप स्वयं किसी
शारीरिक ,मानसिक
पीड़ा के
मार्मिक दौर
से गुजरे ।
पर किसी
संवेदन शील
प्राणी के लिए
जग- बीती,पर-बीती
आप बीती की
पीड़ा दे जाए
तो इस एहसास
से वो कैसे मुकरे ।
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अपनत्व
1 comment:
Amazing.. Your poems are too good..They presents a different view of life..
Thanks for visiting my blog.. do come again!!
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