कभी -कभी
हम तो स्थिर होते है
पर मन भटके चारों ओर ।
एक जगह न रुके
जैसे मिल न रही कहीं ठौर ।
हम चाहते कुछ है
हो जाता है कुछ और ।
संयम रखना ठीक रहेगा
व्यर्थ है मचाना शोर ।
कभी -कभी
जब गर्दिश में
होते है तारे।
सभी यत्न बेकार
होते हमारे ।
हताश होने की
नही कोई वजह।
याद रहे हर रात की
होती ही है सुबह ।
कभी -कभी
उलझनों से जब हम
घिर जाते है ।
और सही मार्ग स्वयं
खोज नही पाते है ।
उचित रहेगा कि -
स्वजनों से हम ले सलाह
उनके अनुभव हमें
सही राह बता जाते है ।
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1 comment:
Kabhi Kabhi!! Beautiful poems..
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