आश्वासन
मिलता रहे
तो कदम
बढाने का
साहस एक
नन्हा बालक
भी
कर लेता है।
अगर डगमगाया
या गिरा
तो कोई भी
दो बांहे
आकर थाम
लेंगी
ये नन्हा
भांप लेता है।
जब नन्हा चलना
सीख रहा होता है
कभी -कभी
संतुलन खोता है।
(ऐसे में जरूरी है कि आप कदापि विचलित न हों और आगे बड़ उसे सहारा दे)
आप सदैव
उसके साथ है
अब वो ये
जान लेता है।
नन्हे करते
मम्मी - पापा
के दिल पर
अपना शासन ।
और पाना चाहे
प्रोत्साहन
निरीक्षण
और आश्वासन ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
Dear Aunty,
Myself and Papa, we both read all your shayari together and Papa obviously remebered his childhood days growing up with you all.....its great to see your hidden talent now in the lime light of internet....I read somewhere that"Death is not the greatest loss in life. The greatest loss is what dies inside us while we live"...We are very happy to see that u did not let this great talent sleep in u...istead its awake and is enchanting all the readers too! aapki bhatiji Aabha with Hydreabad sey Papaji :-)
Post a Comment