एक दिन अचानक ही
सब कुछ था बदल गया ।
जो पास था वो दूर -
और दूर का पास आ गया ।
अरे ! हिलने लगी धरा
कभी लगा, धंसने लगी ।
आकाश भी झुकने लगा
कल्पना सी लगने लगी ।
फिर डॉक्टर को जा दिखाया
vertigo है ,ऐसा उन्होंने बताया।
vertin गोली लेने का सुझाव दिया
साथ ही ऊचा देखने व झुकने से मना किया।
vertigo में उठते -बैठते
चक्कर से आ जाते है ।
जानते है कि धरती नही हिलती
पर कदम डगमगा जाते है ।
संतुलन खोने का डर
ऐसे मे हमेशा बना रहता है ।
हाथ पकड़ कर चलना
आगे बड़ने मे सहायक होता है ।
इसी से ,जब भी बाहर जाने
की होती थी बात ।
अवश्य ही कोई न कोई
होता ही था मेरे साथ ।
कभी ख़राब समय आ जाता है
जीवन में, आता है तो आए ।
दिल चाहता है ,पड़ाव न डाले यंहा
हवा के झोंके सा ,उड़ जाए ।
vertin गोली ने कमाल कर दिया
अब तो सब ठीक ही चल रहा है।
स्वास्थ्य को ले, रहना है सदैव सजग
आख़िर vertigo से सीख लिया है।
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3 comments:
thanks for informing me about vertigo nice post
Good luck!!
thanks
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