Friday, July 3, 2009

खुशी

खुशियाँ बांटने से
घटती नही है ।
गुणित हो (multiplied)
बहुत बड़ जाती है ।

पर मानव है कि आशंकाओ की चादर ओड़ लेता है ।
स्वयंको कभी बुरी नज़र से बचाना
कभी ईर्षा - द्वेष,टोने -टोटकों से बचाना
सारे अपने प्रयास इसी और मोड़ लेता है ।

सबकी अपनी -अपनी सोंच है
मै इस बारे में क्या कंहू ।
खुशी बांटने में जो अनुपम सुख है
मै तो इससे वंचित कभी ना रंहू ।

3 comments:

Unknown said...

you're right dadi khushi baantne se kabhi kam nahi hoti balki hamesha he badhti hai aur problems share karne se kabhi badhti nahi balki hamesha he kam hoti hai

Anonymous said...

What a wonderful and meaningful poem.The world will be such a beautiful place to live surrounded by happiness.Hope lots of people read your blog and follow your path.

Apanatva said...

thank you so much.