खुशियाँ बांटने से
घटती नही है ।
गुणित हो (multiplied)
बहुत बड़ जाती है ।
पर मानव है कि आशंकाओ की चादर ओड़ लेता है ।
स्वयंको कभी बुरी नज़र से बचाना
कभी ईर्षा - द्वेष,टोने -टोटकों से बचाना
सारे अपने प्रयास इसी और मोड़ लेता है ।
सबकी अपनी -अपनी सोंच है
मै इस बारे में क्या कंहू ।
खुशी बांटने में जो अनुपम सुख है
मै तो इससे वंचित कभी ना रंहू ।
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3 comments:
you're right dadi khushi baantne se kabhi kam nahi hoti balki hamesha he badhti hai aur problems share karne se kabhi badhti nahi balki hamesha he kam hoti hai
What a wonderful and meaningful poem.The world will be such a beautiful place to live surrounded by happiness.Hope lots of people read your blog and follow your path.
thank you so much.
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