कभी -कभी हम अपने आपको
बहुत असहाय महसूस करते है।
जब कोई हमारा ही अपना
हमें समझ कर भी नही समझता है ।
सब कुछ जान कर भी
अनजान बनता है ।
लाख सब के समझाने पर भी
अपनी ही बात पर अड़ जाता है।
दूसरों के धैर्य
की हदों को यों, वो
अनजाने ही
पार कर जाता है ।
तब हम अपने आपको
बहुत ही असहाय महसूस करते है ।
अपनी ही सोंच का कैदी
जब कोई बन जाए।
समझ ही नही आए कि
उनके साथ कैसे पेश आए।
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1 comment:
TOOO GOOOD TOOO G00D. THE MESSAGE IS VERY CLEAR.HOPE THE PERSON YOU WROTE FOR GOT YOUR MESSAGE.
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