Saturday, July 4, 2009

असहाय

कभी -कभी हम अपने आपको
बहुत असहाय महसूस करते है।

जब कोई हमारा ही अपना
हमें समझ कर भी नही समझता है
सब कुछ जान कर भी
अनजान बनता है

लाख सब के समझाने पर भी
अपनी ही बात पर अड़ जाता है

दूसरों के धैर्य
की हदों को यों, वो
अनजाने ही
पार कर जाता है ।

तब हम अपने आपको
बहुत ही असहाय महसूस करते है

अपनी ही सोंच का कैदी
जब कोई बन जाए।
समझ ही नही आए कि
उनके साथ कैसे पेश आए।

1 comment:

Anonymous said...

TOOO GOOOD TOOO G00D. THE MESSAGE IS VERY CLEAR.HOPE THE PERSON YOU WROTE FOR GOT YOUR MESSAGE.