Friday, July 10, 2009

एक पाती

प्रिय आभा
तुमने मेरा ब्लॉग पड़ा, अच्छा लगा, जान कर खुशी हुई।
जिन्दगी कैसे निकल गई पता ही नहीं चला ।
पर बड़ी खट्टी - मीठी यादो का खजाना संजो रखा है इस दिल ने ।
बहुत सीखा हँ जीवन में सभी सीखते है कोई नई बात नहीं । हँ ना?
ब्लॉग एक अच्छा माध्यम है भावों की अभिव्यक्ती का ।
तुम्हे पता है मेरे भाईजान भी शौक रखते थे कविता लिखने का ?
जी हाँ ये आपके पापाजी की ही बात हो रही है ।
और ये भी पचास साल पहिले की बात है। हम लोग तब नागौर में ही थे।
उन दिनों हाथ साबुन से नहीं मिट्टी से धोये जाते थे ।
गधे की पीठ पर लाद कर कुम्हार मिट्टी लाते थे ।
इसी से प्रेरित हो कविता लिखी गई थी मै तब बहुत छोटी थी।
पर दो पंक्तिया अभी भी याद है वो ऐसे थी।
(अरे ओ! गर्धव राज महान पतली -पतली टांगे आपकी फ्रांस देश की सुंदरियों सी)
डेचू -डेचू की तुलना किसी गायक से की गई थी । (जंहा तक मुझे याद है )
आगे याद नहीं पर हास्य व्यंग का मिश्रण अवश्य था ।
अगली वार बात करो तो जिक्र जरूर करना शायद पूरी कविता याद आ जाये ।उनकी छुपी, दबी
प्रतिभा को कुरेदना अच्छा लग रहा है .................
आशीष के साथ
आंटी

2 comments:

Swatantra said...

You touched heart by your poems.. Beautiful!!

Anonymous said...

Dear Aunty,

Aapki writing ek dum fresh hai bachakey rakhieyga warna bollywood waley apanatva ko apna lengey :-)

Papa, aur humari saari talented bhuajiyon sey inspire hokey yeh few lines likh rahi hoon:

Bachpan sey hai suna kee mein aapkey jaisi dikhati hoon....
aapkey jaisi kya shandaar lagati hoon...
issi liey shayad mein…
Ram uncle ki favorite bhatiji hoon...:-)

Dikhati hoon aapki tarah purr mujh mein nahi hai aapka yeh lekhan ka talent....
purr haan mujhey aata hai dilsey taareef karna...hansna aur hasana excellent :-)

aapki bhatiji
Aabha