Friday, January 1, 2010

धोखा

धोखा खा कर , कष्ट तो अवश्य होता है
पर क्या होगा हासिल , अगर करे गिला ।
भरोसा सब पर तो नहीं कर सकते यूँ ही
कम से कम ये तो सीखने को हमें मिला ।

10 comments:

dweepanter said...

बहुत ही सुंदर रचना है। नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

dhokha kha kar bhi insaan bahut kuchh seekhta hai..sahi kaha hai.....badhai

शोभना चौरे said...

navvrash ki hardik shubhkamnaye.

हास्यफुहार said...

बहुत अच्छी रचना। बधाई।

Swatantra said...

a very beautiful way of expressing truth!!!

Chandrika Shubham said...

Really beautiful words. Happy New Year. :)

ज्योति सिंह said...

bahut achchhi rachna ,ise se insano ki parakh hoti ,happy new year

Dr.R.Ramkumar said...

dhoka...na khane ki kalpana bhi dhoka hi hai..

दिगम्बर नासवा said...

भरोसा सब पर तो नहीं कर सकते यूँ ही
कम से कम ये तो सीखने को हमें मिला ..

सच कहा सीखने के लिए कुछ तो खोना पढ़ता है ........ अच्छा लिखा ..........

amita said...

very nice n so true !