अनुभवों की नैया
पर सवार हो
जब मनुष्य
अपने स्वयं के
हाथों मे विश्वास के
चप्पू संभाले
भवसागर मे उतरे ।
बाल भी बांका
ना हो उसका
डूबने ,भटकने का
भी अब डर नहीं
हर कठिनाई से वो
संचित अनुभवों
और अमिट विश्वास
का , लेकर सहारा
इस भवसागर से
सहजता से उबरे ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
11 comments:
कमाल की लिखा है ...... लाजवाब ......... सच कहा है ......अनुभव और विश्वास ....... दोनो की ही ज़रूरत होती है किसी भी भवसागर को पार करने के लिए .............
अनुभवों से निःसृत शब्द भी दिल को छू जाते हैं......
वाह , बहुत खूब मन में विश्वास हो तो भवसागर पार हो ही जायेगा....और अनुभवों से तो इंसान बहुत कुछ सीखता है...बहुत अच्छी रचना...बधाई .
anubhav ke aadhar par chalne se jeevan sahaj ho jata hai ,bahut sahi baate hai aapki ,umda .
great poem
experience
confidance
gahra bhaw hai
sakaratmak soch
good !
Experiemce is required to go smoothly through difficulties. Nice poem. I liked it.:)
Best wishes. :)
बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत आभार
दिल के एहसासों को खोबसूरत अलफ़ाज़ दिए हैं.....बहुत खूब
बहुत अच्छा रचना। बहुत सुंदर भाव।
अनुभव इंसान की सबसे बड़ी पूँजी हैं
अनुभव आत्म विश्वास बनाए रखता हैं.
very nice post !
Post a Comment