नदी जब
पहाड़ी पथरीले
रास्ते से
गुजरती है
चट्टानों से
टकरा टकरा कर
कल कल नाद
करते हुए
बिना कोई
विराम किये
निरंतर बस
आगे बडती है
कितनी अल्हड
तब लगती है ।
पर मैंने
इसका वो
शांत सौम्य
और गंभीर
स्वरुप भी
देखा है
जब इसने
स्वयं के
अस्तित्व को
समतल को
किया है अर्पित
और यों
शांति कर ही
ली अर्जित ।
अब देखने
मे आता है
दूर से फेंका
एक छोटा
सा कंकर भी
अनगिनत
तरंगे पैदा
कर जाता है ।
ये कविता मैंने दो साल पहिले लिखी थी अब दो वर्ष बाद इसे दो पाठक मिले । सुषमाजी और संगीता जी . इन्होने कमेन्ट भी छोडे है मुझे लगा कि शायद पढने लायक रही होंगी इसीसे फिर से पोस्ट कर रही हूँ....कट पेस्ट नहीं किया है फिर से अपने भावो को शव्द दिए है.....तब इसका शीर्षक अनुभूति था अब मन कह रहा है इसका नाम छुई मुई रखू।
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44 comments:
एक छोटा
सा कंकर भी
अनगिनत
तरंगे पैदा
कर जाता है ।
बेहतरीन अभिव्यक्ति ..आभार ।
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुराणी हलचल पर होगी.शनिवार (६-८-११)को.कृपया अवश्य पधारें...!!
बेहतरीन कविता।
सादर
कंकर का पानी से मिल तरंगे पैदा करना ....
सुंदर विचार हैं...
शांति और संवेदनशीलता का कितना गहरा नाता हैं....
बहुत ही सुन्दर भावाव्यक्ति।
सरिता दी!
आपकी कविता की सुंदरता इस बात में होती है कि उनमें व्यर्थ का शब्दजाल नहीं होता, भाव ह्रदय से निकले होते हैं और स्वतः अभिव्यक्त होते हैं.
नदियों के स्वभाव से मानव मन का चित्रांकन अद्भुत है!!
आभार दी!!
बहुत सुन्दर बधाई
कम, सरल और सीधे शब्दों में बड़ी बात
:):) जब यह रचना पढनी शुरू की तो लगा की अभी तो पढ़ी है :):)
अंत में रहस्य पता चला ..नाम परिवर्तित है .. अच्छी प्रस्तुति
जब इसने
स्वयं को
समतल को
किया है अर्पित
और यों
शांति कर ही
ली अर्जित ।
Kaash! Insaan bhee ye hunar seekh le!
बढिया है
आदरणीय सरिता जी
नमस्कार !
बेहतरीन अभिव्यक्ति
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
behad khubsurat abhivaykti....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
हलचल तो कंकड़ों से हो जाती है, शान्त स्वयं को करनी होती है।
अच्छी कविता....
सादर
सुंदर बिम्ब प्रयोग खूबसूरत रचना में. बेहतरीन अभिव्यक्ति...
आभार.
अल्हड़ नदी नवयौवना सी नटखट ! बहुत बढ़िया तुलना की है ।
सुन्दर अभिव्यक्ति ।
एक छोटा
सा कंकर भी
अनगिनत
तरंगे पैदा
कर जाता है ।
.....bahut sahi aur sunder baat.
Ma'am your poetry is to good and your new profile picture is also very beautiful...apko sirf blog ke through janti hu par aap bahut apni si lagti hain....:)shayad isiliye apke blog ka name apnatv hai yani "apnapan"...:)
इस रचना की संवेदना और शिल्पगत सौंदर्य मन को भाव विह्वल कर गए हैं।
मानवीय मन की नदी से तुलना सुंदर बन पड़ी है। आपका कविता कहने का अंदाज़ अच्छा लगता है...सीधे-सीधे भाव अभिव्यक्ति मन को छू जाती है।
एक छोटा
सा कंकर भी
अनगिनत
तरंगे पैदा
कर जाता है ।
sach bahut hi sundar rachna hai ,thik kiya phir se daalkar .
एक छोटा
सा कंकर भी
अनगिनत
तरंगे पैदा
कर जाता है ।
Ek behtreen rachna.....
बेहतरीन कविता.
सुन्दर कविता!! अनुभूति ही सही था..
समय के साथ बदलाव आना ही है ! शुभकामनायें आपको !
बहुत ही खूबसूरत रचना...
pahli baar aapke blog pe aana hua..accha laga..main blog jagat per naya hoon..thoda bahut likh leta hoon..aapko sadar amantrit kar rah hoon apne blog pe aane ke liye taki meri tamam kamiyan ujagar ho sakein
गहन भाव समेटे बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
अच्छी कविता!
बेहतरीन अभिव्यक्ति
बिना कोई
विराम किये
निरंतर बस
आगे बडती है
कितनी अल्हड
तब लगती है ।
प्रकृति (नदी )का मानवीकरण करती सुन्दर रचना .कृपया -"बढती है "करलें .जहां मे है उसे में कर ले ..
कृपया यहाँ भी पधारें .Super food :Beetroots are known to enhance physical strength,say cheers to Beet root juice.Experts suggests that consuming this humble juice could help people enjoy a more active life .(Source: Bombay Times ,Variety).
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_07.html
ताउम्र एक्टिव लाइफ के लिए बलसंवर्धक चुकंदर .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
Erectile dysfunction? Try losing weight Health
अब देखने
मे आता है
दूर से फेंका
एक छोटा
सा कंकर भी
अनगिनत
तरंगे पैदा
कर जाता है
भावनाओं की खूबसूरत अभिव्यक्ति।
so nice post
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
एस .एन. शुक्ल
बहुत अच्छा लिखती हैं आप।
एक छोटा
सा कंकर भी
अनगिनत
तरंगे पैदा
कर जाता है ।
बेहतरीन कविता, आभार
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
नदी के बिम्ब के बहाने बहुत कुछ कह गईं हैं आप ।
bahut hi achhi soch....
humara bhi hausla badhaaye:
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/
अब देखने
मे आता है
दूर से फेंका
एक छोटा
सा कंकर भी
अनगिनत
तरंगे पैदा
कर जाता है ।
bahut hi achchha likha hai ,main tippani kar gayi rahi pata nahi chhapa kyo nahi ,achchha hua dobara padhne aa gayi .
अब देखने
मे आता है
दूर से फेंका
एक छोटा
सा कंकर भी
अनगिनत
तरंगे पैदा
कर जाता है
बेहतरीन अभिव्यक्ति ..आभार ।
Nadi ke bimb ka madhyam se bahut badiya saarthak rachna...
..Maa ji aap jab bhi aapka BHOPAL se aage ka safar ho to mujhe batayega ji.. main aapse milne kee koshish karungi..Saadar!
शुभ दीपावली,
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