तुमसे बिछड़े
हिसाब नहीं
बीते कितने
माह और दिन
जिन्दगी जो थम
ही सी गयी थी
रेंगने लगी है
अब तुम बिन
जब भी अपने
सभी लोग
आपसमे मिलते है
बड़े ही स्नेह
और प्यार से
तुम्हे याद करते है
लाख मन को समझाए
खलती है तुम्हारी कमी
बहुत संभालती हूँ
पर उतर ही आती है
सूनी आँखों मे नमी
याद आता है
तुम्हारा सब को
साथ लेकर चलना
प्यार आत्मियता से
सभी से मिलना
तुम्हारा मुस्कुराता
स्नेही चेहरा
नयनो से कंहा
ओझल हो पाता है
जब भी होती हूँ
परेशान या उदास
तुम्हे महसूस करती हूँ
अपने ही आस पास
तुम्हारी सुलझी सोच
और सकारात्मक रवैया
मेरे जीवन मे उतर आते
है बन कर खिवैया ।
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36 comments:
वाह ये है सच्चा प्रेम जो साथी को उसके विचारो तक को आत्मसात कर लिया…………बहुत सुन्दर्।
तुम्हारी सुलझी सोच
और सकारात्मक रवैया
मेरे जीवन मे उतर
आते है बन कर खिवैया ।
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ...बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार ।
आदरणीय सरिता जी
नमस्कार !
मनोभावों को कितनी सार्थकता से अभिव्यक्ति दे देती हैं आप..
भावमयी अभिव्यक्ति सच्चे भावों की. एक स्मृति के साथ जुड़ी सकारात्मक सोच सच्ची खेवैया बन जाती है. अपनाने योग्य दृष्टिकोण. आभार.
बहुत सुंदर
भावपूर्ण रचना
शुभकामनाएं
बेहद खूबसूरत कविता.
तुम्हारी सुलझी सोच
और सकारात्मक रवैया
मेरे जीवन मे उतर आते
है बन कर खिवैया ।
बहुत भाव पूर्ण ..मर्मस्पर्शी ...
बहुत सुंदर रचना ..!!
शुभकामनायें..!!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ..आप मित्रों को कभी नहीं भूलतीं ... निराशा में भी आशा बनाये रखती हैं ..
कल हलचल पर आपके पोस्ट की चर्चा है |कृपया अवश्य पधारें.....!!
bahut hi sundar aur gahari abhivyakti ...
Very deep and sentimental.
Thanks for your wishes.
बहुत भावनात्मक अभिव्यक्ति ।
सुन्दर अभिवयक्ति....
बेहतरीन अभिव्यक्ति ! आपको हार्दिक शुभकामनायें !
सरिता दी!
आप बड़ी हैं मुझसे तो आप को कुछ भी कहना अशिष्टता की श्रेणी में आएगा मेरे लिए.. फिर भी बस इतना ही कहूँगा कि
शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा,
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते!
और गीता में भी कृष्ण कहते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो नहीं था और जो नहीं होगा वो कभी था ही नहीं.. इसलिए वो आज भी हैं आपके साथ, आपके बीच..
ओशो कहते हैं कि महावीर की सभाओं में बहुत भीड़ होती थी क्योंकि उसमें सिर्फ वे ही नहीं उपस्थित होते थे जो दिखाई देने वाले शरीर के साथ बैठे होते थे, बल्कि वे भी जो आसमान से उतर कर आते थे... हाँ ये बात और है कि हमारी ज्ञानेन्द्रियाँ उन्हें अनुभव नहीं कर पातीं..
इसलिए वो कहीं नहीं गयीं, आपकी बातों में, आपकी सान्त्वानाओं में, आपके हंसी-मजाक में, आपके सुख-दुःख में.. वो आपके साथ ही तो हैं..
चरण वन्दना उनकी जो मेरी प्रिय दीदी की अंतरंग "हैं". (देखिये मैंने "थीं" नहीं कहा)..
ऐसा साथ और सहारा मिल जाये जीवन में, और क्या आवश्यक है तब।
खुबसुरत अभिव्यक्ति. शुभकामनाएँ...
यही साथ तो प्रेम का सबसे सुंदर रूप होगा......बेहतरीन रचना
तुम मेरे पास होते हो गोया जब कोई दूसरा नहीं होता .....
तुम्हे महसूस करती हूँ
अपने ही आस पास
तुम्हारी सुलझी सोच
और सकारात्मक रवैया
मेरे जीवन मे उतर आते
है बन कर खिवैया । सुन्दर भावप्रवण उदगार .....
कृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
Friday, August 12, 2011
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
Early morning smokers have higher cancer रिस्क.
सीधे और सरल शब्दों में बड़ी बात
बेहतरीन प्रस्तुति..बहुत भावपूर्ण.
बेहतरीन प्रस्तुति..बहुत भावपूर्ण.
Behad sulajhi hui rachana! Bahut,bahut pasand aayee.
बहुत सुन्दर सारगर्भित,
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं तथा बधाई
कभी-कभी ऐसे रहनुमा के लिए दिल से आभार निकलता है।
तुम्हारी सुलझी सोच
और सकारात्मक रवैया
मेरे जीवन मे उतर आते
है बन कर खिवैया । kisi kisi ki kami kabhi kabhi bahut khalti hai .sundar si rachna ,rakhi ki badhai
लाख मन को समझाए
खलती है तुम्हारी कमी
बहुत संभालती हूँ
पर उतर ही आती है
सूनी आँखों मे नमी ..............बहुत ही सुन्दर !!
सलिल जी के कमेंट के साथ हूँ...
यादें जीवन को संबल देती हैं।
भावनामयी कविता।
कविता बहुत सुंदर है.
स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.
तुम्हे महसूस करती हूँ
अपने ही आस पास
तुम्हारी सुलझी सोच
और सकारात्मक रवैया
मेरे जीवन मे उतर आते
है बन कर खिवैया ।
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ऐसी आत्मीयता खिवैया ही होती है; सही शब्द दिए हैं आपने अपनी भावनाओं को।
अच्छे मित्र यूँ ही याद किये जाते हैं .....
swatanrata divas ki badhai .
very nice.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Bahut Khubsurat Aunty!:) I am glad I am back to reading your blog again.
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