Friday, August 12, 2011

खिवैया

तुमसे बिछड़े

हिसाब नहीं

बीते कितने

माह और दिन

जिन्दगी जो थम

ही सी गयी थी

रेंगने लगी है

अब तुम बिन

जब भी अपने

सभी लोग

आपसमे मिलते है

बड़े ही स्नेह

और प्यार से

तुम्हे याद करते है

लाख मन को समझाए

खलती है तुम्हारी कमी

बहुत संभालती हूँ

पर उतर ही आती है

सूनी आँखों मे नमी

याद आता है

तुम्हारा सब को

साथ लेकर चलना

प्यार आत्मियता से

सभी से मिलना

तुम्हारा मुस्कुराता

स्नेही चेहरा

नयनो से कंहा

ओझल हो पाता है

जब भी होती हूँ

परेशान या उदास

तुम्हे महसूस करती हूँ

अपने ही आस पास

तुम्हारी सुलझी सोच

और सकारात्मक रवैया

मेरे जीवन मे उतर आते

है बन कर खिवैया ।







36 comments:

vandana gupta said...

वाह ये है सच्चा प्रेम जो साथी को उसके विचारो तक को आत्मसात कर लिया…………बहुत सुन्दर्।

सदा said...

तुम्हारी सुलझी सोच
और सकारात्मक रवैया
मेरे जीवन मे उतर
आते है बन कर खिवैया ।

वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ...बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय सरिता जी
नमस्कार !
मनोभावों को कितनी सार्थकता से अभिव्यक्ति दे देती हैं आप..

Bharat Bhushan said...

भावमयी अभिव्यक्ति सच्चे भावों की. एक स्मृति के साथ जुड़ी सकारात्मक सोच सच्ची खेवैया बन जाती है. अपनाने योग्य दृष्टिकोण. आभार.

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर
भावपूर्ण रचना
शुभकामनाएं

amrendra "amar" said...

बेहद खूबसूरत कविता.

Anupama Tripathi said...

तुम्हारी सुलझी सोच

और सकारात्मक रवैया

मेरे जीवन मे उतर आते

है बन कर खिवैया ।
बहुत भाव पूर्ण ..मर्मस्पर्शी ...
बहुत सुंदर रचना ..!!
शुभकामनायें..!!

रेखा said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ..आप मित्रों को कभी नहीं भूलतीं ... निराशा में भी आशा बनाये रखती हैं ..

Anupama Tripathi said...

कल हलचल पर आपके पोस्ट की चर्चा है |कृपया अवश्य पधारें.....!!

kayal said...

bahut hi sundar aur gahari abhivyakti ...

sangeeta said...

Very deep and sentimental.
Thanks for your wishes.

डॉ टी एस दराल said...

बहुत भावनात्मक अभिव्यक्ति ।

विभूति" said...

सुन्दर अभिवयक्ति....

Satish Saxena said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति ! आपको हार्दिक शुभकामनायें !

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

सरिता दी!
आप बड़ी हैं मुझसे तो आप को कुछ भी कहना अशिष्टता की श्रेणी में आएगा मेरे लिए.. फिर भी बस इतना ही कहूँगा कि
शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा,
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते!

और गीता में भी कृष्ण कहते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो नहीं था और जो नहीं होगा वो कभी था ही नहीं.. इसलिए वो आज भी हैं आपके साथ, आपके बीच..
ओशो कहते हैं कि महावीर की सभाओं में बहुत भीड़ होती थी क्योंकि उसमें सिर्फ वे ही नहीं उपस्थित होते थे जो दिखाई देने वाले शरीर के साथ बैठे होते थे, बल्कि वे भी जो आसमान से उतर कर आते थे... हाँ ये बात और है कि हमारी ज्ञानेन्द्रियाँ उन्हें अनुभव नहीं कर पातीं..
इसलिए वो कहीं नहीं गयीं, आपकी बातों में, आपकी सान्त्वानाओं में, आपके हंसी-मजाक में, आपके सुख-दुःख में.. वो आपके साथ ही तो हैं..
चरण वन्दना उनकी जो मेरी प्रिय दीदी की अंतरंग "हैं". (देखिये मैंने "थीं" नहीं कहा)..

प्रवीण पाण्डेय said...

ऐसा साथ और सहारा मिल जाये जीवन में, और क्या आवश्यक है तब।

Sushil Bakliwal said...

खुबसुरत अभिव्यक्ति. शुभकामनाएँ...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

यही साथ तो प्रेम का सबसे सुंदर रूप होगा......बेहतरीन रचना

virendra sharma said...

तुम मेरे पास होते हो गोया जब कोई दूसरा नहीं होता .....
तुम्हे महसूस करती हूँ

अपने ही आस पास

तुम्हारी सुलझी सोच

और सकारात्मक रवैया

मेरे जीवन मे उतर आते

है बन कर खिवैया । सुन्दर भावप्रवण उदगार .....
कृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
Friday, August 12, 2011
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .

http://veerubhai1947.blogspot.com/
बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
Early morning smokers have higher cancer रिस्क.

Anonymous said...

सीधे और सरल शब्दों में बड़ी बात

Kailash Sharma said...

बेहतरीन प्रस्तुति..बहुत भावपूर्ण.

Kailash Sharma said...

बेहतरीन प्रस्तुति..बहुत भावपूर्ण.

kshama said...

Behad sulajhi hui rachana! Bahut,bahut pasand aayee.

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर सारगर्भित,
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं तथा बधाई

मनोज कुमार said...

कभी-कभी ऐसे रहनुमा के लिए दिल से आभार निकलता है।

ज्योति सिंह said...

तुम्हारी सुलझी सोच

और सकारात्मक रवैया

मेरे जीवन मे उतर आते

है बन कर खिवैया । kisi kisi ki kami kabhi kabhi bahut khalti hai .sundar si rachna ,rakhi ki badhai

Nidhi said...

लाख मन को समझाए

खलती है तुम्हारी कमी

बहुत संभालती हूँ

पर उतर ही आती है

सूनी आँखों मे नमी ..............बहुत ही सुन्दर !!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सलिल जी के कमेंट के साथ हूँ...

महेन्‍द्र वर्मा said...

यादें जीवन को संबल देती हैं।
भावनामयी कविता।

रचना दीक्षित said...

कविता बहुत सुंदर है.

स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.

मनोज भारती said...

तुम्हे महसूस करती हूँ

अपने ही आस पास

तुम्हारी सुलझी सोच

और सकारात्मक रवैया

मेरे जीवन मे उतर आते

है बन कर खिवैया ।

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ऐसी आत्मीयता खिवैया ही होती है; सही शब्द दिए हैं आपने अपनी भावनाओं को।

हरकीरत ' हीर' said...

अच्छे मित्र यूँ ही याद किये जाते हैं .....

ज्योति सिंह said...

swatanrata divas ki badhai .

Kunwar Kusumesh said...

very nice.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Chatter Box said...

Bahut Khubsurat Aunty!:) I am glad I am back to reading your blog again.