मेरी दादी का स्वर्गवास हुए तकरीबन पचास साल होने को है पर उनके व्यक्तित्व ने अमिट छाप छोडी है मुझ पर । मेरी दादी कितनी पढी लिखी थी पता नहीं हाँ जैनधर्म के कई पाठ जो संस्कृत मे थे वे उन्हें कंटस्थ थे और वो मंदिर मे अर्थ सहित उनकी व्याख्या कर अन्य साथी दर्शनाभिलाषी आई महिलाओं को सुनाती थी । और बात बात पर मुहावरे और कहावतों का उपयोग करना उनके बाँये हाथ का खेल था । :)
अरे वाह मैंने भी मुहावरा इस्तेमाल किया ...........हूँ भी तो उन्ही की पोती ।
आजकल जो वर्तमान स्थिती चल रही है उससे अवगत सभी है । पूरे देश मे हलचल मची है पर ऐसे मे भी सरकार का रूखा रवैया गैर जिम्मेदाराना लग रहा है ।
आज फिर दादी की याद आ गयी ।
मेरे दिमाग मे आ रहा था कि आज अगर दादी होती तो आज के हालात के सन्दर्भ मे वे क्या कहती कौनसा मुहावरा इस्तेमाल करती सरकार के लिये ?
घोड़े बेच कर सोना ( शायद नहीं )
या
कानो पर जूं तक नहीं रेंगना ( शायद उपयुक्त )
हम अब बस अनुमान ही लगा सकते है ...........
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25 comments:
शुभकामनायें देश और आपके लिए !
दूसरा ज्यादा उपयुक्त है
देश के लिये निष्कर्ष सुखद हों।
देश के हालात शोचनीय हैं ... अब तो मुहावरे भी कम पढ़ जायेंगे सरकार की बेशर्मी पे ..
दोनों सही लग रहे हैं बारी-बारी से :))
बहुत सुंदर संदेश।
सरिता दी,
आदरणीया दादी जी के स्मरण एवं उनके चरण-स्पर्श के उपरांत इस वक्तव्य पर यही कहना चाहूँगा कि वर्त्तमान परिस्थितियों ने नए मुहावरे गढे हैं.
आपने इस विषय पर अपनी सोच व्यक्त की, यही हमारे लिए एक सुखद आश्चर्य है!!
दूसरा कहतीं।
आप को कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें
Aapne to mujhe meree Dadi kee yaad dila dee!
देश और सरकार दोनों के लिए दोनों ही अपनी अपनी जगह उपुक्त हैं
इस वक्त देश को मुहावरों के साथ कुछ ठोस निर्णय लेने की भी ज़रुरत है ।
जन्माष्टमी की शुभकामनायें ।
दादी कहतीं कि -- सरकार घोड़े बेच कर सो रही है ..यहाँ तक कि उसके कान पर जूं भी नहीं रेंगती ...
जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ
dadi ki yadon ko naman.
इतनी घटिया सरकार पर मुझे भी एक मुहाबरा याद आ रहा है....
नींचन के नहीं पर गिने,नींचन के नहीं गांम
नीच उसी को जानिये,जो करे नींच के काम
bas anumaan hi hai her taraf
संगीता स्वरूप जी का अनुमान सही लगता है।
इन नेताओं पर चाहे कितने मुहावरे गढ़ लो पर ये निल्लर्ज, बेशर्म, बेहया ही-ही ही-ही कर दांत निपोरेंगे, बस !
बहुत सुंदर संदेश।
बिल्कुल सही ... प्रेरक संदेश ..आभार ।
bade bujurago ke anubhav hamare bahut kaam aate hai ,koshish safal ho ,desh ka uddhar ho ,jai hind .
दादी जी अपने अनुभवों के संग्रह से कोई अनूठी ही प्रतिक्रिया लेकर आतीं. बुजुर्गों की अनुभवजनित प्रतिक्रिया काफी सटीक होती है.
अब तो इंतिहा हो गयी इन्तेज़ार की. भगवान इन सबको सद्बुद्धि दे, सन्मति दे.
कानों पर जूं नहीं...खोपड़ी पर भैस दुलत्ती मार रहा है। नींद उड़ चुकी है सरकार की।
ज्ञान के लिए स्कूल-कालिज में पढना आवश्यक थोड़े ही है...कबीर , तुलसी किस स्कूल में पढ़े थे....
---सुंदर विचार व स्मृति के लिए बधाई ...
Brsharmi ke sabhi muhavre kam pad jayenge Sarita ji....
How have you been? Long time i didn't get to read any blogs...you reminded me of my own daadi :)
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