अपनत्व
Bilkul theek farmaya!
आपकी इस रचना की भावना से पूरी सहमति है। आपने बिल्कुल सही कहा है।
दबंग सोचखुले आमगुर्रा गुर्रा करसबको भरमाती हैबिल्कुल सही लिखा है ...
यदि किसी की मर्यादा किसी की असभ्यता को आश्रय देती है तो व्यवहार विचारणीय हो जाता है।
अगर दबंग सोच शालीनता की भाषा नहीं समझती तो चुनौती देनी ही होगी.
......बहुत उम्दा रचना है जी
सच्ची बात कही है आपने, विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बिलकुल सही जो "लिहाज" करता है उसे दबना पड़ता है
आज 25- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है ..... ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर ____________________________________
sahi farmaaya hai aapne...pahli bar pda hai aapko...achha laga...mere blog par aapka swaagat hai...
bahut achcha laga.....padhkar.
बिल्कुल सही बात कही है।
बहुत सही कहा है आपने ...आभार ।
सरिता दी,तस्वीर भले बदल गयी हो आपकी या विलम्ब हुआ हो..लेकिन सुर अभी भी वही हैं.. प्रेरक और चिंतन को जन्म देने वाले.
मैं आपसे सहमत हूँ , हर जगह यही दिखाई देता है ! शुभकामनायें आपको !
यथार्थ में कविता और कविता में यथार्थ , सुन्दर
शालीनता और दबंगता के बीच के फासले को परिभाषित करती एक अच्छी पोस्ट. आभार !
सच को दर्शाती सुन्दर कविता...
aapne to di...dabangayee dikha di:)
सत्य वचन ... और अगर दबंग पर शालीन सोच हो तो फिर नयी बात हो जायगी .. सटीक लिखा है आपने ..
दबंग सोचखुले आमगुर्रा गुर्रा करसबको भरमाती है...ekdam sateek baat kahi aapne!Profile mein Nayee photo bahut achhi lagi..
दबंग सोच ...सटीक रचना ....
Really Dabang
सही है जब जमाना सच्चाई से मुंह फेर लेता है तो यही हाल होता है ....बहुत सुंदर शब्दों में आपने सच्चाई के महत्व को उजागर किया है....!
बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने! शानदार रचना!
शालीन सोच और दबंग सोच का बढ़िया चित्र प्रस्तुत किया है आपने।
दबंग सोचखुले आमगुर्रा गुर्रा करसबको भरमाती हैविचारणीय ...अर्थपूर्ण पंक्तियाँ
सटीक लिखा है आपने ..
आपका नया फोटो अच्छा लगा ....शुभकामनायें आपको !
खूब सूरत अंदाज़े बयाँ.भाव सौन्दर्य प्रधान रचना .खूब सूरत मनोहर .संक्षिप्त लेकिन आकर्षक रचना .
धडकनें बढ़ ही जातीं हैं ,मन शान्ति हो जाती है भंग ।सृजन को उकसाती कविता ।आपकी त्वरित प्रतिकिर्या का आभारी हूँ .
very well said
bilkul sahi kaha hai........
ek dam sahi kaha aapne.www.meriparwaz.blogspot.com
रंग कविता भी बहुत ज़ोरदार लगी .
didi , lekin kb tk vo subha kbhi to aayegi .
bilkul sahi kaha aapne ,sundar .
bilkul sahi khah aapne....
मेरे ब्लाग पर आने के लिए धन्यवाद...बेहद सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति. आभार.सादर,डोरोथी.
सत्य वचन।
कल 03/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
bilakul sahee kahaa. shubhakamanayen
सच कहा आप ने- सुन्दर तुलनात्मक विवरण शालीनता और उधर दबंग का आँखें खोलना -भ्रमर ५
bahut sunder rachna hai.........
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45 comments:
Bilkul theek farmaya!
आपकी इस रचना की भावना से पूरी सहमति है। आपने बिल्कुल सही कहा है।
दबंग सोच
खुले आम
गुर्रा गुर्रा कर
सबको भरमाती है
बिल्कुल सही लिखा है ...
यदि किसी की मर्यादा किसी की असभ्यता को आश्रय देती है तो व्यवहार विचारणीय हो जाता है।
अगर दबंग सोच शालीनता की भाषा नहीं समझती तो चुनौती देनी ही होगी.
......बहुत उम्दा रचना है जी
सच्ची बात कही है आपने,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बिलकुल सही
जो "लिहाज" करता है उसे दबना पड़ता है
आज 25- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
____________________________________
sahi farmaaya hai aapne...
pahli bar pda hai aapko...
achha laga...
mere blog par aapka swaagat hai...
bahut achcha laga.....padhkar.
बिल्कुल सही बात कही है।
बहुत सही कहा है आपने ...आभार ।
सरिता दी,
तस्वीर भले बदल गयी हो आपकी या विलम्ब हुआ हो..लेकिन सुर अभी भी वही हैं.. प्रेरक और चिंतन को जन्म देने वाले.
मैं आपसे सहमत हूँ , हर जगह यही दिखाई देता है ! शुभकामनायें आपको !
यथार्थ में कविता और कविता में यथार्थ , सुन्दर
शालीनता और दबंगता के बीच के फासले को परिभाषित करती एक अच्छी पोस्ट. आभार !
सच को दर्शाती सुन्दर कविता...
aapne to di...dabangayee dikha di:)
सत्य वचन ... और अगर दबंग पर शालीन सोच हो तो फिर नयी बात हो जायगी ..
सटीक लिखा है आपने ..
दबंग सोच
खुले आम
गुर्रा गुर्रा कर
सबको भरमाती है
...ekdam sateek baat kahi aapne!
Profile mein Nayee photo bahut achhi lagi..
दबंग सोच ...सटीक रचना ....
Really Dabang
सही है जब जमाना सच्चाई से मुंह फेर लेता है तो यही हाल होता है ....बहुत सुंदर शब्दों में आपने सच्चाई के महत्व को उजागर किया है....!
बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने! शानदार रचना!
शालीन सोच और दबंग सोच का बढ़िया चित्र प्रस्तुत किया है आपने।
दबंग सोच
खुले आम
गुर्रा गुर्रा कर
सबको भरमाती है
विचारणीय ...अर्थपूर्ण पंक्तियाँ
सटीक लिखा है आपने ..
आपका नया फोटो अच्छा लगा ....
शुभकामनायें आपको !
खूब सूरत अंदाज़े बयाँ.भाव सौन्दर्य प्रधान रचना .खूब सूरत मनोहर .संक्षिप्त लेकिन आकर्षक रचना .
धडकनें बढ़ ही जातीं हैं ,
मन शान्ति हो जाती है भंग ।
सृजन को उकसाती कविता ।
आपकी त्वरित प्रतिकिर्या का आभारी हूँ .
very well said
bilkul sahi kaha hai........
ek dam sahi kaha aapne.
www.meriparwaz.blogspot.com
रंग कविता भी बहुत ज़ोरदार लगी .
didi , lekin kb tk
vo subha kbhi to aayegi .
bilkul sahi kaha aapne ,sundar .
bilkul sahi khah aapne....
bilkul sahi khah aapne....
मेरे ब्लाग पर आने के लिए धन्यवाद...
बेहद सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
सत्य वचन।
कल 03/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
bilakul sahee kahaa. shubhakamanayen
सच कहा आप ने- सुन्दर तुलनात्मक विवरण शालीनता और उधर दबंग का आँखें खोलना -
भ्रमर ५
bahut sunder rachna hai.........
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