Tuesday, August 30, 2011

दाना

आइये हम सभी सोंचे कि क्या हम दाना बन सकते है जो माटी मे किसी अभिप्राय को ले मिलने को तैयार है ........ ?
देखिये अन्नाजी किस दाने की बात कर रहे है और किससे कर रहे है ?
ये बहुत साल पहिले का भाषण है ।
मै बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आत्मीय शैलेन्द्रजी की जिन्होंने ये लिंक मुझे भेजा । इनकी शख्सियत के बारे मे कुछ तारीफ करने बैठी तो शर्तिया शव्द कम पड़ेंगे । उनकी भेजी मेल आपके समक्ष है निवेदन है कि ये लिंक आप भी अपने आत्मजो को भेजिये जैसे कि मै कर रही हूँ ।
धन्यवाद

Saritaji,

Namashkar.

This is an awesome and amazing gem of a speech by Annaji at a Youth camp at Ralegoan Siddhi some years ago.

Pl click on this link:

http://www.youtube.com/watch?v=0vJD6TzsmA0&feature=related


Request you to please listen to it.This is a must watch video!!(25 mts)


I am sure, you will agree- these words spoken by Annaji... particularly the youth will have more than something to take home from it!!

Perhaps you could post it on your blog and also circulate it to other groups,friends and family.


Kindly let me have your views.

Regards
Shailendra


35 comments:

kshama said...

Sahee kah rahe hain Shailendr ji!

Kailash Sharma said...

बहुत सही और सार्थक कथन..

प्रवीण पाण्डेय said...

देखा और बहुत प्रभावित हुआ।

Vivek Jain said...

बहुत सुंदर सामयिक प्रस्तुति,


एक चीज और, मुझे कुछ धर्मिक किताबें यूनीकोड में चाहिये, क्या कोई वेबसाइट आप बता पायेंगें,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

vidhya said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति,

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अभी अभी आपके भेजे हुए लिंक से अन्ना जी के विचार सुने ... बहुत प्रभावित करने वाले विचार ...ऐसा दाना बनना चाहिए जिससे और असंख्य दाने बन सकें ... आभार

Unknown said...

बहुत सही प्रस्तुति

Bharat Bhushan said...

लिंक देने के लिए आभार.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

सरिता दी,
इस व्यस्त आदमी को भी आपने मजबूर कर दिया २५ मिनट निकालने के लिए.. लेकिन इस २५ मिनट ने जोश से भर दिया. इस तरह के व्यक्ति तो कभी बूढ़े होते ही नहीं.. और अन्ना तो फ़ौजी हैं, जहां टा उम्र जवान ही रहते हैं लोग.. युवाओं का ये आह्वान सचमुच प्रेरक है..
सरिता दी, धन्यवाद इसे हमारे साथ शेयर करने के लिए!!

Urmi said...

बहुत सुन्दर ! बेहतरीन प्रस्तुती !
आपको एवं आपके परिवार को ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

Anonymous said...

प्रिय दोस्तों ,
मेरे ब्लॉग को गूगल ने मिटा दिया है ,अत आपसे अनुरोध है की आप मेरे नए ब्लॉग www.pkshayar.blogspot.com पर पधार कर मेरा मार्गदर्शन करे ,
तथा फोलोवर बनकर मुझे आश्रीवाद प्रदान करे .

Neelkamal Vaishnaw said...

बहुत ही सुन्दर पढ़ कर अच्छा लगा......
गणेश चतुर्थी की आपको हार्दिक शुभकामनायें
आप भी आये यहाँ कभी कभी
MITRA-MADHUR
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN

Anonymous said...

आभार

Parul kanani said...

main to soch mein hoon..

सदा said...

बिल्‍कुल सही ...सार्थक व सटीक लेखन ।

Rakesh Kumar said...

बहुत सुन्दर उद्बोधन है अन्ना जी का.

एक एक शब्द दिल को छूता है.

निशब्द हूँ उनका उद्बोधन सुनकर.

इस लिंक के साथ आपकी अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.


समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.

महेन्‍द्र वर्मा said...

प्रभावित करने वाली बातें हैं।
हमें इन पर गौर करना चाहिए।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

देखा...सुना...मोबाइल में टेप किया..अधिक से अधिक लोगों को सुनाउंगा..आभार आपका।

Patali-The-Village said...

बहुत सही और सार्थक कथन|

रचना दीक्षित said...

बहुत प्रभावशाली प्रस्तुति. अच्छा लगा इस लिंक को देख कर

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर प्रस्तुतिकरण के लिए सादर बधाई और आभार...

दिगम्बर नासवा said...

बहुत प्रभावी है ... शुक्रिया बांटने के लिए ...

Sunil Kumar said...

लिंक देने के लिए आभार.

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

जी, इस लिंक को वाकई और दूर तक पहुंचाया जाना चाहिए।
बहुत बढिया

Ankit pandey said...

बहुत सुन्दर लिखा है आपने ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त प्रस्तुती!

अभिषेक मिश्र said...

महत्वपूर्ण लिंक को शेयर करने का आभार.

एक उभरती युवा प्रतिभा

Bharat Bhushan said...

ब्लॉग पर आप बहुत देर से नहीं हैं. आप कैसी हैं, स्वास्थ्य कैसा है.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...





आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

-राजेन्द्र स्वर्णकार

कविता रावत said...

बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति..'

माँ जी! बहुत दिन से आप ब्लॉग पर नहीं हैं. आप कैसी हैं, स्वास्थ्य कैसा है...बताएगा...
दुर्गानवमी और दशहरा की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें..

Amit Sharma said...

पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
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"आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"

प्रेम सरोवर said...

एक अच्छी और गहन रचना. की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

kshama said...

Kya baat hai,bahut dinon se aapne kuchh likha nahee? Khairiyat to hai? Aapke lekhan ka intezaar rahta hai!

संजय @ मो सम कौन... said...

सरिता दी, कहाँ हैं आप?

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत खूब सुंदर प्रस्तुति,....

"काव्यान्जलि"--नई पोस्ट--"बेटी और पेड़"--में click करे

प्रेम सरोवर said...

आपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट "उपेंद्र नाथ अश्क" पर आपकी सादर उपस्थिति प्रार्थनीय है । धन्यवाद ।