अपनत्व
बेहतरीन प्रस्तुती .....
so nice!
Behad sundar rachana..wah!
kalpit bhaavnaayen ... ye aati hi kyon hain man mein ... kuch adhoori bhaavnaon ka dard hot hai ... bahut achhaa likha hai aapne ...
bahut sahaj prastuti .... sambhanaon ki
Cause and effect, encapsulated well!
ये कल्पित भावनाएं सभी सुप्त भावनाओं को क्यों भरमा जाती हैं? सटीक लेखन..
अनूठी भावनाएँ...
अद्भुत! प्रेरक!
अन्तरतम का स्वर । प्रशंसनीय ।
Hey mama,I'm trying to read and understand all your new poems.Congrats on hitting hundred! You should consider publishing some.xoxoxoxoxo,me
जय श्री कृष्ण...अति सुन्दर....बहुत खूब....बड़े खुबसूरत तरीके से भावों को पिरोया हैं...| हमारी और से बधाई स्वीकार करें..
हर बार की तरह एक सुन्दर रचना । बधाई आपको ।
सहज रूप से भावनाओं की भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
अत्यंत सुन्दर और प्रभावशाली रचना प्रस्तुत किया है आपने जो प्रशंग्सनीय है! बधाई!
आपके ब्लोग पर आने का मौका मिला---मानव भावनाओं का सुन्दर-सार्थक चित्रण किया है आपने.
what a thought!!!..
apntv ji bahut sundar vicharo ki prstuti mera svasth theek hai .kuch parivarik vystta ke rhte blog par aana km ho rha hai .bhut bhut dhnywad abhibhoot hooo aapke apnepan se .
bahut hi sunder likhtin hain aap.
सभी सुप्तभावनाएफिर सेगरमाजाती हैवाह !!!!!!!!! क्या बात है..... बहुत जबरदस्त अभिव्यक्ति.अच्छे हैं मन के ये उदगार
आपकी बातों में एक अलग अंदाज है! सुन्दर रचना !
सहज शब्दों में गहरे भाव लिये हुये अनुपम प्रस्तुति ।
वाह !! क्या बात है.....बहुत खूब ||
बहुत ही लाजबाब पोस्ट आभार..............
exceelent
कल्पित क्यों ? साकार करने का प्रयास क्यों न किया जाये ?
sundar vichar aur sundar rachna
कल्पना की उड़ान पे कोई लगाम नहीं हैं,और जब उड़ान भरने लगे तब ?तबबैचेनीआतुरताउत्सुकतासभी सुप्तभावनाएफिर सेगरमाजाती है ।wave of emotional turbulence is so well crafted in this post...
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28 comments:
बेहतरीन प्रस्तुती .....
so nice!
Behad sundar rachana..wah!
kalpit bhaavnaayen ... ye aati hi kyon hain man mein ... kuch adhoori bhaavnaon ka dard hot hai ... bahut achhaa likha hai aapne ...
bahut sahaj prastuti .... sambhanaon ki
Cause and effect, encapsulated well!
ये कल्पित भावनाएं सभी सुप्त भावनाओं को क्यों भरमा जाती हैं? सटीक लेखन..
अनूठी भावनाएँ...
अद्भुत! प्रेरक!
अन्तरतम का स्वर । प्रशंसनीय ।
Hey mama,
I'm trying to read and understand all your new poems.
Congrats on hitting hundred! You should consider publishing some.
xoxoxoxoxo,
me
जय श्री कृष्ण...अति सुन्दर....बहुत खूब....बड़े खुबसूरत तरीके से भावों को पिरोया हैं...| हमारी और से बधाई स्वीकार करें..
हर बार की तरह एक सुन्दर रचना । बधाई आपको ।
सहज रूप से भावनाओं की भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
अत्यंत सुन्दर और प्रभावशाली रचना प्रस्तुत किया है आपने जो प्रशंग्सनीय है! बधाई!
आपके ब्लोग पर आने का मौका मिला---मानव भावनाओं का सुन्दर-सार्थक चित्रण किया है आपने.
what a thought!!!..
apntv ji
bahut sundar vicharo ki prstuti
mera svasth theek hai .kuch parivarik vystta ke rhte blog par aana km ho rha hai .
bhut bhut dhnywad abhibhoot hooo aapke apnepan se .
bahut hi sunder likhtin hain aap.
सभी सुप्त
भावनाए
फिर से
गरमा
जाती है
वाह !!!!!!!!! क्या बात है..... बहुत जबरदस्त अभिव्यक्ति.अच्छे हैं मन के ये उदगार
आपकी बातों में एक अलग अंदाज है! सुन्दर रचना !
सहज शब्दों में गहरे भाव लिये हुये अनुपम प्रस्तुति ।
वाह !! क्या बात है.....बहुत खूब ||
बहुत ही लाजबाब पोस्ट
आभार..............
exceelent
कल्पित क्यों ? साकार करने का प्रयास क्यों न किया जाये ?
sundar vichar aur sundar rachna
कल्पना की उड़ान पे कोई लगाम नहीं हैं,
और जब उड़ान भरने लगे तब ?
तब
बैचेनी
आतुरता
उत्सुकता
सभी सुप्त
भावनाए
फिर से
गरमा
जाती है ।
wave of emotional turbulence is so well crafted in this post...
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