Sunday, April 11, 2010

दर्पण

मेरी रचित कविताए
मेरी सोच का है दर्पण
जो अनुभवों ने सिखाया
किया है वो ही अर्पण ।

अपना पूरा जीवन जिसने अपनी घर गृहस्थी को दिया वो एक आम नारी हूँ मै । जो संस्कार मुझे मिले उन्ही की छाया मे अपनी बेटियों की परवरिश की । मेरी दो बेटियाँ अब अपनी गृहस्थी मे व्यस्त है ।एक समय ऐसा था दिन हाथ से फिसल जाते थे तब बच्चे छोटे थे । जीवन की सार्थकता इसी मे है कि हर समय को भरपूर जीना चाहिए । बस ये ही मैंने किया ।
बड़ी बेटी के प्रोत्साहन से ही मै आप लोगो के बीच आई । उसे पूरा विश्वास था कि एक वार लिखना शुरू करूंगी तो लिख ही लूंगी । मेरा नाम सरिता है और मेरे घर का नाम असल मे अपनत्व है जो मैंने अपने ब्लॉग को भी दिया है ।
सादगी , सच्चाई , सय्यम और स्वावलम्बन जिन्दगी को संवार देते है ऐसा मेरा अनुभव है ।
पड़ने का शौक बचपन से था और लिखने का अब इस बासठ साल की उम्र मे पाला है ।
आप
लोगो का जो स्नेह मिला उसकी मै बहुत आभारी हूँ । अब तो लगता है परिवार फिर से बड़ गया है ।
आज इस शतक के साथ ..................
सरिता

35 comments:

कडुवासच said...

....बिलकुल सच कहा "दर्पण" ... बेहद संवेदनशील अभिव्यक्ति!!!

Unknown said...

very good mausi keep it up.I am reading this for d first time,bahut achha laga.
- neeta
yeh shatakiya pari khelne par bahut saari badhaiyan.
Ummid hai ki yeh pari chalti rahegi.
- ashok

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपका परिचय और आपकी सोच दोनों ही प्रभावित करने वाली.....१०० वीं पोस्ट के लिए बधाई

Satish Saxena said...

हमें तो अपनत्व ही अच्छा लगता है , बिटिया की परख माँ के बारे बिलकुल ठीक रही, लगता है आप पर ही गयी है ! शुभकामनायें इस बच्ची को !
सादर

वन्दना अवस्थी दुबे said...

१०० वीं पोस्ट के लिये बधाई.

vandana gupta said...

100 वी पोस्ट की हार्दिक बधाई।
दर्पण बिल्कुल दर्पण सी ही तो हैं…………॥और दर्पण सब सामने दिखा देता है………………॥बहुत सुन्दर्।

sandhyagupta said...

Safar zari rahe.shubkamnayen.

पूनम श्रीवास्तव said...

aapane aapnebaare me jo kuchh likha vah aapki tarah hi sadgi avam sachchi se bhrpur hai.shatak pura hone ki aapko dil se badhai.

poonam

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

आपका परिचय जानकर बहुत अच्छा लगा.. आप लिखेगी तो हम जैसे युवा लोगो को बल मिलेगा और आपसे ज़िन्दगी की मुश्किलात भी डिस्कस कर लेन्गे.. अपनी बेटी को मेरी तरफ़ से थैन्क्स बोल दीजियेगा :)

अपने बारे मे ऐसे ही लिखे.. अपनी ज़िन्दगी के बारे मे भी और जो जीते आपने दर्ज़ की. उनके बारे मेइन भी... :)

Udan Tashtari said...

शतकीय पोस्ट के लिए बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.

कुश said...

सादगी , सच्चाई , सय्यम और स्वावलम्बन जिन्दगी को संवार देते है ऐसा मेरा अनुभव है ।

और आपका ये अनुभव कितनो के ही काम आएगा..

रचना दीक्षित said...

बधाई हो आपको १०० वीं पोस्ट के लिए ऐसे ही लिखतीं रहे प्रेरणा मिलती है अपनापन बना रहता है

sangeeta said...

congratulations for the century....and it is inspiring to know about you.

vishnu-luvingheart said...

shatak mubaraq ho....
kamana karte hai shatak hazar mein jald hi tabdil ho....

करण समस्तीपुरी said...
This comment has been removed by the author.
करण समस्तीपुरी said...

हुर्रह्ह्हह्ह्ह्ह ..... ! स्टैंडिंग ओवेशन......... !! शतक की बहुत-बहुत बधाई........ !!! सैंकड़ा तो हो गया अब हम हजारा की प्रतीक्षा में हैं !!!!

Urmi said...

सौ वी पोस्ट पूरे होने पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
आपके बारे में जानकर बहुत बढ़िया लगा! बहुत ही सुन्दरता से आपने प्रस्तुत किया है! बधाई!

दिगम्बर नासवा said...

बधाई ... वैसे मुझे लगता है उम्र जितनी भी हो ... मन तय करता है की आप कितने के हो ...
बहुत अच्छा लगा आपको जानना ... आपकी रचनाएँ हमेशा सच का दर्पण होती हैं ... ऐसे ही लिखती रहें ... शुभकामनाएँ आपके साथ हैं ...

rashmi ravija said...

बहुत बहुत बधाई शतकीय पोस्ट के लिए और अनेकों शुभकामनाएं,आने वाली पोट्स के लिए...ऐसे ही अनवरत आप लिखती रहें

Smita Srivastava said...

So nice to to know more abt you . . Congrats on ur 100th post , I always admire your lovely poetries....

Regards
Smita
@Little Food Junction

Parul kanani said...

meri taraf se bhi bahut bahut badhai!

ज्योति सिंह said...

aapka vyaktitav to hame nazar hi aata hai darpan ki tarah ,komal man aur sabke liye sneh bharpur ,is shatak ke liye badhai bahut bahut ,padhkar achchha laga ,haal bhi kuchh mil gaya .

kshama said...

100 vi post ki bahut,bahut badhayi! Aap likhti rahen,saral sahaj bhashame aur ham padhate rahen...

KAVITA said...

जीवन की सार्थकता इसी मे है कि हर समय को भरपूर जीना चाहिए ... bilkul sahi.
१०० वीं पोस्ट के लिये बधाई....
Maa ji aap sach mein apne naam ke anuroop hain अपनत्व naam mein bahad apnaatva chhipa milta hai, jo samay-samay par aapki post aur comment ke madhya se ham sabhi ko milta hai....62 saal kee umra mein aap apne jiwan ke anubhavon ko hamare saath banthkar hamein uchit raah dikhatee hain, bahut hi achha lagta hai...
Blog ke madhyam se ham jis tarah ek pariwaar jaise judhte chale jaate hai. .. sach mein bahut khushi milti hai....
Bahut shubhkamnayne

देवेन्द्र पाण्डेय said...

आपका आशीर्वाद पूरे परिवार को मिलता रहे... ईश्वर आपको लम्बी उम्र दे और हमें आपसे प्रेरणा मिलती रहे।

हितेष said...

सर्वप्रथम शतक के लिए बधाइयाँ. और धन्यवाद् आपकी बेटी जी को , अगर वो आपको प्रोत्साहित न करती तो हम आपकी सुन्दर रचनाओ से वंचित ही रह जाते. सरिता जी उम्र और समय कवियों के लिए नहीं हैं. ये तो वो प्रजाति है जो सदा बहाव के विपरीत तैरती है.
हाँ आजकल ज़रा व्यस्त हूँ. ब्लॉगर पर कम ही आ पाता हूँ. लिखने को तो बहुत कुछ है पर कार्य की व्यस्तता ने रोक दिया है. उम्मीद करता हूँ शीघ्र ही समय मिलेगा.
आपको भविष्य की शुभकामनाएं. आपके दुसरे शतक की प्रतीक्षा में.

हितेश

अनामिका की सदायें ...... said...

sabse pehle aapki 100 v post par badhayi. aaj aapke parichay se aapko jana aur padha..aap bhi mere blog ABHIVYAKTIYA par aati hai.ANAMIKA KI SADAYE bhi mera blog he. aur mera ek purana blog TANHASAGAR he jis par maine apko dekha tha. aachha laga apko padh kar, jaan kar.
apko aur apke parivar ko dhero shubhkamnaye.

ranjana said...

अपने नाम की ही तरह आप अपनत्व से भरी हुई हैं मेरे ब्लॉग पर भी आपके हर स्क्रैप में मुझे एक ममतामयी माँ दिखाई देती है....आपका लेखन भी अत्यंत मौलिक और सादगी के भरा हुआ है...जैसे बिना मिर्च मसाले का सौंधा सा स्वाद....हार्दिक शुभकामनाएं

रश्मि प्रभा... said...

दोनों बेटियों को मेरा आशीष, बच्चे भी बड़े होकर पथ प्रदर्शक बन जाते हैं......मैंने भी बच्चों के सहयोग से ही यह राह बनायी ...सरिता जी आप हमेशा आगे बढ़ें , मेरी शुभकामनायें

मनोज कुमार said...

आपके ब्लॉग पर आपके पोस्ट पढ़ता रहा हूँ। पता नहीं कैसे ये मील का पत्थर छूट गया। आपकी रचनाओं के सरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता रहा है। चूंकि आपकी रचनाएं अनुभव पर आधारित रहती हैं, इसलिए उनमें अद्भुत ताजगी है।
आज जिस अपनत्व से आपने अपना परिचय दिया वह अद्भुत है।
आस्था और आशावादिता से भरपूर स्वर जो आज तक आप बिखेरती रही हैं, आशा है कि इस शतकीय पारी के बाद और भी अधिक मुखरित होंगे।
बहुत बहुत बधाई ! अनन्त शुभकामनाएं ।

sm said...

congrats for century.
sorry for delay in comment.
thanks for sharing beautiful poems.
and thanks to your daughter for encouraging you to write poems.

Shubham said...

dadiji 100wi post ke liye congrats....
mein saare post nahi pade per jo bhi pade i enjoyed them....

Shalabh Gupta "Raj" said...

श्रद्धेया ,

आपके प्रेरणादायी शब्द मुझे वास्तव में "अपनत्व" की सुखद अनुभूति प्रदान करते हैं.....

सादर व साभार!

dipayan said...

माफ़ किजियेगा, देर से आया । दर असल, थोड़ी भागदौड़ रही काम काज में।
आपका परिचय जानकर खुशी हुई । ब्लाग का नाम आपने सही चुना । अपनापन लगता है । आपका आशिर्वाद, हम पर सदैव रहे, यही दुआ है ।
हाँ, और आपके शतकिये पोस्ट के लिये ढेर सारी बधाईयाँ । उम्मीद है, जल्द ही दूसरा शतक भी पूरा होगा ।
आभार

amita said...

सरिता जी,
आप की सोच, सरलता और सादगी से
मैं आकर्षित हुई I
आप का अपना पन जो मुझे आप
से मिला हैं मैं हर दम आप की आभारी
हूँ
आप की बेटी न होते हुए भी मैं आप की
अपनी हूँ यह अहसास मुझे आप से मिला हैं
और ईस बात का मुझे गर्व हैं I
आप की अपनी अमिता