सुनामी , भूकंप
दुर्घटना , हादसे
सूखा , महंगाई ।
आम आदमी पर
विपदा चारों ओर
से हे घिर आई ।
इन्हीसे तो जुड़ी है
दुःख और वेदनाए ।
कोई आखिर जाए तो
अब किधर जाए ।
व्यथित लोगो के
अविरल बहते आँसू
मेरे दिल को पूरा
भिगोए रखते है ।
रिश्तों की गर्माहट
और मेरे तपते जज्वात
भी दिल की माटी को
सूखा नहीं रख पाते है ।
शायद इसी लिये
मेरा दिल अपने लिये
और सबके लिये
मात्र धड़कता है ।
कभी टूटता नहीं
तडकता नहीं ।
गीली माटी का
जो बना है ।
गीली माटी से
ही ये सना है ।
ये तो बस जुड़ना
और जोड़ना
जानता है ।
हर एक दुःख को
अपना मानता है ।
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23 comments:
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ......आज इंसान प्रकृति कि ही मार झेल रहा है
मात्र धड़कता है ।
कभी टूटता नहीं
तडकता नहीं ।
गीली माटी का
जो बना है ।
गीली माटी से
ही ये सना है ।
ये तो बस जुड़ना
और जोड़ना
जानता है ।
हर एक दुःख को
अपना मानता है ।
रिश्तों की गर्माहट बनी रहे। संवेदनाएं हमें जोड़्ती हैं। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
snvednsheel hrday hi ye sab mhsoos kar skta hai |gili mitti ka sundar pryog kiya hai apne bhavnao ke sath .
कितनी सकारात्मक सोच,सच ही गीली माटी का बना है आपका दिल तभी तो इतना कुछ समेटे हुए है और जोड़ना जानता है,कमाल है वो भी आज के जमाने में
Aapki kavitaon jaisi sadgi aur ravangee bahut kam dekhne ko milti hai.. gambheer mudde bhi asani se utha leti hain kavita me.
अद्भुत रचना है...द्रवित कर देती है पढने वाले को...बहुत दिनों से चल रही व्यस्तता को ताक पर रख कर आज आया हूँ और भाव विभोर हो रहा हूँ...लिखती रहिये...
नीरज
कभी टूटता नहीं
तडकता नहीं ।
गीली माटी का
जो बना है ।
bahut khoob .....!!
बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना प्रस्तुत किया है आपने!
रिश्तों के जल से मिल कर गीला रहना ही अच्छा होता है .... अच्छी रचना है आपकी ......
लगता है अपने को पढ़ रहा हूँ ....
मात्र धड़कता है ।
कभी टूटता नहीं
तडकता नहीं ।
गीली माटी का
जो बना है ।
गीली माटी से
ही ये सना है ।
ये तो बस जुड़ना
और जोड़ना
जानता है ।
हर एक दुःख को
अपना मानता है ।
sach ek atoot ,maarmik man ko bheega gayi ,aese haadse dil hila dete hai ,sundar likha .
अच्छी अभिव्यक्ति !
सरिता जी
"माटी" ने आज मेरे दिल को
हिलाकर रख दिया हैं
amazing !! so true !
I have no words to express...
your thought process have
just flown into words.
I am deeply touched
बहुत सादगी से लिखी है बहुत संवेदनशील रचना ...बस ये माटी गीली रहे और संवेदनाएं यूँ ही मुखरित रहें...
सुन्दर कविता, सुन्दर भाव ।
माटी ही है जो सबको बान्धे हुए है ,मानवता को संजोए हुए है ।
ये तो बस जुड़ना
और जोड़ना
जानता है ।
हर एक दुःख को
अपना मानता है
बहुत सुन्दर रचना. बधाई.
beautiful
and very touching
ये तो बस जुड़ना
और जोड़ना
जानता है ।
हर एक दुःख को
अपना मानता है ।
beautiful
and very thoughtful
ये तो बस जुड़ना
और जोड़ना
जानता है ।
हर एक दुःख को
अपना मानता है ।
व्यथित लोगो के
अविराम बहते आँसू
मेरे दिल को पूरा
भिगोए रखते है ।
रिश्तों की गर्माहट
और मेरे तपते जज्वात
भी दिल की माटी को
सूखा नहीं रख पाते है ।
खूबसूरती से सन्जोयी गयी रचना ---हार्दिक बधाई
Kitni sahaj,saraltase baat kah dee!
Ramnavmiki anek shubhkamnayen!
मात्र धड़कता है ।
कभी टूटता नहीं
तडकता नहीं ।
बहुत सुन्दर तरीके से दिल की व्यथा का वर्णन किया आपने । भावपूर्ण रचना ॥
रिश्तों की गर्माहट
और मेरे तपते जज्वात
भी दिल की माटी को
सूखा नहीं रख पाते है
bahut hi auchitypurn rachna
bahut hi sunder prashtuti
badhai rachna ke liye.
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