चलते चलते एक
थका हारा पथिक
पसीना सुखाने
तनिक सुस्ताने
नीम के घने
पेड़ की छांव तले
था थम गया ।
अब आलस
और झपकी ने
आगे बढने का
मंसूबा था उससे
हर लिया ।
इतने मे हवा
का एक सुहावना
हल्का झौका
कंही से आया
झट से उसने
पथिक का बहता
पसीना सुखाया
लगा जैसे उसे
थोडा थपथपाया
कुछ फुसफुसाया
और फिर बिना
पीछे मुड़े
वेग के साथ
आगे बह गया ।
पथिक को मानो
गति ही जीवन है
ये सन्देश वो
अनजाने ही
था दे गया ।
अब आलस छोड़
नये होश और
जोश के साथ
पथिक तरो ताज़ा हो
अपनी मंजिल
की ओर रफ़्तार
के साथ आगे
बढ गया ।
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25 comments:
बहुत खूब ताकत और उर्जा एकत्र करके आगे बढ़ने का कविता के माध्यम से अच्छा सन्देश ,
विकास पाण्डेय
www.vicharokadarpan.blogspot.com
जीवन चलने का नाम
चलते रहो मेरे यार
गति ही जीवन है
सरिता जी कितना सही
कहा हैं आपने
एक नयी उर्जा प्रदान करती खूबसूरत रचना.....बधाई
अरे वाह, कितनी सुखद यात्रा, हवा मुझे भी छू गई
वाह अद्भुत सुन्दर पंक्तियाँ! बिल्कुल सही कहा है आपने! हमें जीवन में कभी नहीं रुकना चाहिए बल्कि चलते रहना चाहिए!
आशा का संचार करती ... प्रेरणा देती रचना ... सच है जीवन आगे बढ़ने का ही तो नाम है ....
जीवन सूत्र.
आशा और हिम्मत का संचार करती हुई एक सफल रचना. अच्छा लगा यहाँ आकर.
आस्था और आशावादिता से भरपूर स्वर इस कविता में मुखरित हुए हैं।
ek taaza hawa ka jhonka meri taraf bhi aaya aapke comment ke saath.....
गति ही जीवन है........bilkul sahi kaha aapane...ghadi ki suiyon ki tarah hi hame bhi nirantar chalte rehna chahiye.bahut hi sundar rachana likhi hai apane...
badhai sveekaren.....
poonam
mera id hai... ladali1502@gmail.com
वृक्ष हमें कितना कुछ देता है..!
..टंकण त्रुटी..
आगे बढ़ने
बढ़ गया.
...यह कविता सन्देश देती है कि हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाना चाहिए.
वाकई ! जीवन भर लगातार चलते रहना ही जीवन का नियम है , कब सुबह हुई कब शाम , काम और जीवन की व्यस्तता में पता ही नहीं चला, और एक दिन सुनहली शाम, हमारी अंतिम शाम होगी !
फिर बच्चन जी के यह अमर शब्द .....
यह अंतिम बेहोशी अंतिम
साकी , अंतिम प्याला है !
पथिक प्यार से पीना इसको
फिर न मिलेगी मधुशाला !
sakaratmak bhavon ki sundar rachna!
बेहद खूबसूरत और सजीव रचना। सच में, किसी को भी प्रेरित कर सकते हैं आपके शब्द।
गति ही जीवन है
bilkul sahi kaha aapne.....
jiwan nirantar chalne ka naam hi to hai...
bahut sundar rachna....
Bahut shubhkamnayne..
प्रेरणा देती कविता .....शुक्रिया.......!!
चरैवेती चरैवेती की भावना का प्रसार करती एक प्रेरणदरणदायक कविता.
महिला दिवस पर आपको श्रद्धा सुमन अर्पण करते हैं, स्वीकार करें..
aapki rachna hamesha us disha ki or le jaati hai jo raah raushan karti hai ,mahila divas badhai sweekaar kare .
....सुन्दर भाव,प्रभावशाली!!!
एक बहुत अच्छी ज्ञानवर्धक पोस्ट
अब आलस छोड़
नये होश और
जोश के साथ
पथिक तरो ताज़ा हो
अपनी मंजिल
की ओर रफ़्तार
के साथ आगे
बढ गया ।
उत्तम विचारों से लबालब है आपकी रचना।
स्फुर्तिदायक रचना इससे पहले वाली कल्पना भी बहुत अच्छी लगी
bahut achi rachna
vo yaad aata hai.........pathik na ghabra jaan....manzil-e-dagar me kaante to honge hi!!!
bachchan sahib ne bhi kaha hai.....raah pakad tu ek chala chal paa jayega madhushal..........hope the "pathik" will reach to his destination
Miles to go before I sleep
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