दिन मे
इनका कोई
अस्तित्व नहीं
सूर्य के उदय
होते ही ये
धुंधलाते है
और फ़िर
विलीन
हो जाते है ।
पर काली
अंधेरी रात
इसकी तो
अलग ही
हो जाती
है बात |
आकाश मे
चन्दा के
राज्य मे
तारो का
झिलमिलाना
टिमटिमाना
जगमगाना
मेरे दिल को
लुभा जाता है |
कुछ बड़े तारे
कुछ छोंटे तारे
पर सबका
मिलजुल कर
साथ - साथ
पर कुछ दूरी
बना कर रहना |
चाहों अगर
कुछ सीखना
तो ये हमें
बहुत कुछ
सिखा जाता है |
दिन भर का
मेरा भटका
थका हारा मन
तारो की
ओड़नी ओडे इस
आसमान के
आँगन आ
बड़ी राहत
पा जाता है ।
और कुछ
ही पलो मे
नभ की
गोद मे
खेल रहे
तारो से खूब
घुल -मिल
सा जाता है |
और अब
शुरू हो
जाता है मेरा
तारा समूह को
खोजना
पहचानना |
वैसे तो
ये है 88
पर मेरी नज़रे
सप्त ऋषी मंडल
पर जा कर
ही लेती है टेक |
जब से
होश संभाला
और मेरे
बाबूजी ने
इनसे मेरा
परिचय कराया
बराबर रहा है
साथ हमारा |
गाँव छूटा
शहर बदले
मेरे बाबूजी भी
बरसों पहले
साथ छोड़ चले |
पर तारा मंडल ने
नहीं छोडा
कभी भी
मेरा साथ |
धन्य हूँ
और आभारी भी
प्रकृति की
पा कर
अतुलनीय
ये सौगात |
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9 comments:
वाह बहुत सुन्दर रचना. पहली बार आई हूं आपके ब्लौग पर बहुत अच्छा लगा.
Beautiful!! I remembered my days in the childhood, when we use to watch the stars at the open sky...
You add my link again in your blog list, then it will show my updates..
kahete hai jo Ishwar ko pyare ho jaate hai voh tara ban jaate hai.
ishi tara mandal me main meri maa ko khj rahi hu. kahi to hogi......
wonderful write up...i am feeling all nostalgic, remembering my childhood days...
wah.....bahut sundar...sach hai ki hum prakriti se bahut kuchh seekhate hain......badhai
nice poem
बहुत ही ख़ूबसूरत, भावपूर्ण और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! मेरे इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
Andhere, jeevan ke ho yaa aasmaan ke kayee saty ujagar karte hai..
'krunpakshke kale syah andhere,
kayee raaz ujagar kar gaye,
.........................
wo rahnayee kar gaye'
mereehee paktiyan hain....aapko nazar...
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://baagwaanee-thelightbyaloneypat.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonely path.blogspot.com
behad sundar rachana...ham apne haathonse shama bujha dete hai,jab soorajki raushani miltee hai...ye prateekatmak hai, garaz khatm to wadya chahe mare!
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