एक तरफ़ हो कुँआ
दूसरी तरफ़ खाई ।
लाख शुक्र है ईश्वर का
ये स्थिती मेरे जीवन में
आज तक कभी नही आई । ।
पर मैंने इस दुविधा में
लोगो को झूलते है देखा ।
मिटा नही सकता
कोई भाग्य का लिखा लेखा । ।
ऐसे में मुश्किल हो
आसानी से कोई
भी निर्णय लेना ।
बस ये ही प्रार्थना
कर सकते है कि सबको
भगवन सत्बुद्धी देना । ।
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5 comments:
sahi likha aapne, and kismat wali hai aap ki aapki jindagi mein yeh haalat khabhi nahi aayi. bhagwan se prathna karte rahe ki mere jaise duvidha mein pade logo ke madad kare , sirf dur baith kar dekha na kare. ;-(
पर मैंने इस दुविधा में
लोगो को झूलते है देखा ।
मिटा नही सकता
कोई भाग्य का लिखा लेखा
nice written
Very cute written.. May GOD bless you!!
Good you never had to deal with any 'duvidha'
Hope you never have to deal with it ever.
सिर्फ इतना ही नहीं है दुविधा में !!
क्या कोई त्रिविधा या चतुर्विधा जैसा शब्द भी है हमारे पास
पर अब तो लगता है कि सिर्फ एक विधा ही निकलती है हमें किसी भी कुए या खाई से!
पर वही तो नहीं है हर किसी कि सुविधा में!!
here i feel like writing more...
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