जब मैंने लिखना शुरू किया था आज से करीब एक साल पहिले तब अचानक ये संशय कंहा से मेरे पास चला आया । कभी कुछ जीवन मे लिखा नहीं था तो झिझक रहना स्वाभाविक था पर संशय ये आत्म बल क्षिण कर देता है इसी भाव को लेकर कुछ पंक्तिया तब लिखी थी पर उन्हें किसी ने भी नहीं पढ़ा इसीसे फिर पोस्ट करने की जुर्रत कर रही हूँ ।
संशय
ये अगर
जीवन में
घुस आए ।
आत्मबल
ध्वंस करके
ही जीवन मे
इसे चैन आए ।
ठीक नहीं
इसको
ठौर देना
पालना ।
दृढ रह कर
ठीक रहेगा
इसको सदैव
टालना ।
इस संशय को अगर पनपने देती तो शायद ये सफ़र शुरू होने से पहिले ही दम तोड़ चुका होता । आप सभी का प्रोत्साहन देना मददगार साबित हुआ है ।
बहुत बहुत आभार ।
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21 comments:
साल पूरा करने की बधाई। लिखती चलें।
sach kaha aapne.........issi sansay ke karan maine blog 2008 me banaya, lekin kuchh na kar paya....lekin aaj mujhe pata hai, mere post me gunwatta nahi hoti, lekin logo ka protsahan milta rahta hai.......:)
oh badhai dena bhul gaya.......bahut bahut badhai........blog ke varshganth ke liye.........:)
badhai ho apko
bahut bahut badhaia aapko ..isi trah apni rachna se blogjagat ko roshan karte rahiye .
आपका एक वर्ष लेखन का सफर बहुत अच्छा रहा...बधाई...यह निरंतर चलता रहे...शुभकामनायें..
बहुत प्रेरणादायक रचना...
संशय ही वह कीमिया है जो आदमी को माया के जाल से बाहर निकाल सकता है, वर्ना तो सारी चीजें इस सम्मोहक नर्क में डुबोने को आतुर हैं। संशय को जीवन में जबर्दस्ती घुसेड़ना जरूरी है, संशय का पालन पोषण करना जरूरी है, क्योंकि यह वह धारदार चाकू है जो मन पर जमते हुए मैल को खुरच खुरच कर निकाल देता है। पर संशय का मतलब फिर से एक दुराग्रह, अपने ही विचारो में उलझ कर रह जाना नहीं है। खंजर धारदार हो तो उसे सम्हाल के रखना पड़ता है, बच्चों और ऐसी ही नाजुक चीजों को उससे दूर रखना पड़ता है और उसका इस्तेमाल करते वक्त यह भी देखना पड़ता है की धार हमारा ही नुक्सान ना कर दे। अगर कोई खंजर से आत्महत्या कर ले तो इसमें खंजर का क्या दोष ????
बेहतरीन भाव और ईमानदार लेखन के लिए शुभकामनायें !
आपकी कविताओं की ये विशेषता है की उनमें कोई न कोई सन्देश छिपा रहता है .....!!
सबसे पहले तो मेरी बधाई स्वीकारें.आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ मैंने भी ब्लॉग खोला था २००८ में. पर पहली पोस्ट जहाँ तक याद है अप्रेल २००९ को पोस्ट की थी, तबसे आप लोगों का साथ जो मिल तो मैं भी उसी में बहती चली गयी
आभार
bahut bahut shubhkamnayein..
ye kalam bas yun hi chalti rahe! :)
बहुत ही सुन्दर सत्य कहा आपने, हमेशा यूं ही हमें राह दिखाती रहें, बहुत-बहुत आभार ।
aapka commenta aaya hi kab :(
bilkul sateek likha hai aapne.
warsh pura karne ki badhai..keep writing..
आपका कविताएं गहरे विचारों से परिपूर्ण होती हैं।
साल पूरा करने की बधाई... हर काम की शुरुआत में संशय होता है, लेकिन एक बार उसे भगा दिया तो उसका हौसला पस्त और हमारा हौसला बुलंद होता है... संशय को टालना नहीं, उसका मुक़ाबला करना, उसे परास्त करना और हक़ीक़त का आईना दिखाना ज़रूरी है... ऐसे में वह टिक नहीं सकता... हमारी शुभकामनाएं हैं कि आपका सान्निध्य ऐस ही मिलता रहेगा और अपनत्व बना रहेगा... और हमें भरोसा है कि इस बात में तो कोई संशय नहीं... हमारे प्रोफाइल चित्र पर आपकी टिप्पणी पहली है, और मज़ेदार है... हम दोनों ने अलग अलग शहर में रहकर भी एक साथ ठहाके लगाए आपकी बात पर...
बहुत-बहुत बधाई.
हमरे तरफ से पहिले त आपको सालगिरह मुबारक... संसय को मारिए गोली... कॉन्फिडेंस के आगे कोनो संसय टिकिए नहीं सकता है... ई संसय खाली डराता है... आप एही डर से लिखना छोड़ देतीं त हम लोग आपका अपनत्व से अनाथ नहीं हो जाते... ई जो आप छोटा छोटा होमियोपैथी का गोली माफिक कविता लिखती हैं, जिसका असर त हमही जानते हैं, ऊ कहाँ से मिलता...भगवान से हम अपना पर्सनल कोनो फेभर नहीं माँगते हैं, तईयो आपके लिए एही माँगते हैं कि ई अपनत्व सालों साल हमरे जईसा केतना लोग के ऊपर स्नेह का बरसात करता रहे.
bahut sunder likha hai.
dhero badhai aapko is avasar par ,aur sach kah rahi hai aap ,ye dwand me bhidta rahta hai man .
सच है इच्छा शक्ति से बहुत कुछ हो सकता है ... संशय को दूर भागना चाहिए ..... आपका लिखने का सफ़र ऐसे ही चलता रहे ....
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