खता किसने की? इलज़ाम किसपे लगे? सज़ा किसको मिली? गडे मुर्दोंको गडाही छोडो, लोगों, थोडा तो आगे बढो ! छोडो, शिकवोंको पीछे छोडो, लोगों , आगे बढो, आगे बढो !
क्या मर गए सब इन्सां ? बच गए सिर्फ़ हिंदू या मुसलमाँ ? किसने हमें तकसीम किया? किसने हमें गुमराह किया? आओ, इसी वक़्त मिटाओ, दूरियाँ और ना बढाओ ! चलो हाथ मिलाओ, आगे बढो, लोगों , आगे बढो !
हमारी अर्थीभी जब उठे, कहनेवाले ये न कहें, ये हिंदू बिदा ले रहा, इधर देखो, इधर देखो ना कहें मुसलमाँ जा रहा, कोई इधर देखो, ज़रा इधर देखो, लोगों, आगे बढो, आगे बढो !
हरसूँ एकही आवाज़ हो एकही आवाज़मे कहो, एक इन्सां जा रहा, देखो, गीता पढो, या न पढो, कोई फ़र्क नही, फ़ातेहा भी , पढो, या ना पढो, लोगों, आगे बढो,
वंदे मातरम की आवाज़को इसतरहा बुलंद करो के मुर्दाभी सुन सके, मय्यत मे सुकूँ पा सके! बेहराभी सुन सके, तुम इस तरहाँ गाओ आगे बढो, लोगों आगे बढो!
abhi ek cinemaa rajneeti me kahataa hai ki RAAJNEETI MEIN MRDONKO GAADAA NAHIN JAATAA, TAAKI ZARURAT PADANE PAR WE BOL SAKEIN.. aur hamre des ki rajneeti mein to bofors se leakr unioncarbode tak ketana aisaa murdaa hai!! bahut achchhaa lagaa apaka baat,,
दूर था ..इसलिए देर हो गई... क्षमा करेंगी... मुझे लगता है ज्वलंत मुद्दे विलीन नहीं होते... गाड़ दिए जाते हैं, इसलिए दिखते नहीं... जब वर्त्तमान, भूत हो जाता है तब सब इन मुद्दों को उखाड़ते हैं, मुर्दों को जगाते हैं... एक श्मशान में मुर्दों के खेल अलावा क्या मिलेगा...
Yeh hai aaj ki ghisi piti rajneeti-"jwalant muddon ko gaad do, waqt aane par phir in murdon se khelenge, humko to is shamshan mein murdon se hi khelna achha lagta hai." is desh ke logon ko ulloo banane ke liye, naa kabhi Bofors marega, na Union carbide. bhopal chahe to bar bar mar jaye.
21 comments:
Kitna saty kaha hai aapne is rachname!
Apni likhi ek rachna aapko bhejti hun!
खता किसने की?
इलज़ाम किसपे लगे?
सज़ा किसको मिली?
गडे मुर्दोंको गडाही छोडो,
लोगों, थोडा तो आगे बढो !
छोडो, शिकवोंको पीछे छोडो,
लोगों , आगे बढो, आगे बढो !
क्या मर गए सब इन्सां ?
बच गए सिर्फ़ हिंदू या मुसलमाँ ?
किसने हमें तकसीम किया?
किसने हमें गुमराह किया?
आओ, इसी वक़्त मिटाओ,
दूरियाँ और ना बढाओ !
चलो हाथ मिलाओ,
आगे बढो, लोगों , आगे बढो !
हमारी अर्थीभी जब उठे,
कहनेवाले ये न कहें,
ये हिंदू बिदा ले रहा,
इधर देखो, इधर देखो
ना कहें मुसलमाँ
जा रहा, कोई इधर देखो,
ज़रा इधर देखो,
लोगों, आगे बढो, आगे बढो !
हरसूँ एकही आवाज़ हो
एकही आवाज़मे कहो,
एक इन्सां जा रहा, देखो,
गीता पढो, या न पढो,
कोई फ़र्क नही, फ़ातेहा भी ,
पढो, या ना पढो,
लोगों, आगे बढो,
वंदे मातरम की आवाज़को
इसतरहा बुलंद करो
के मुर्दाभी सुन सके,
मय्यत मे सुकूँ पा सके!
बेहराभी सुन सके,
तुम इस तरहाँ गाओ
आगे बढो, लोगों आगे बढो!
apki rachna pdhkar yhi dimag me aya
"biti tahi bisar de age ki sudh ley"
truly said
abhi ek cinemaa rajneeti me kahataa hai ki RAAJNEETI MEIN MRDONKO GAADAA NAHIN JAATAA, TAAKI ZARURAT PADANE PAR WE BOL SAKEIN.. aur hamre des ki rajneeti mein to bofors se leakr unioncarbode tak ketana aisaa murdaa hai!! bahut achchhaa lagaa apaka baat,,
very well said.........
किसी अनचाहे मुद्दे पर से ध्यान हटाने का बहुत अच्छा हथकंडा है और बहुत लोकप्रिय नही है :-)
एकदम सटीक....यही करते हैं हमारे नेता...
क्षमा की कविता भी बहुत मन भाई
ज्वलंत मुद्दों से परहेज के कारण ही गड़े मुर्दे उखाड़े जाते हैं ...राजनीति मुर्दा चीजों के साथ ही खेल सकती है या जीवंत चीजों को मुर्दा बना सकती है ।
सुंदर व सटीक अभिव्यक्ति ।
कुछ शब्दों में पूरी बात रखने में आप माहिर हैं ... बहुत अच्छा कहा ...
चंद शब्दों मे बहुत बडी बात सुन्दर रचना बधाई
गड़े मुर्दों की तलाश में नए मुद्दों को दफनाना रीत पुरानी रही है ...!!
जब सभी
गड़े मुर्दे उखाड़ने मे
हो जाते है
तल्लीन ।
ज्वलंत मुद्दे
वर्तमान के
हो ही जाते है
विलीन
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाई.
ज्वलंत मुद्दे
वर्तमान के
हो ही जाते है
विलीन
अच्छा भाव.
bhaut khub ma'm
सही बात है.
यह बात हमारे नेताओं के समझ में आ जय तो देश का कल्याण हो जाय.
जब सभी
गड़े मुर्दे उखाड़ने मे
हो जाते है
तल्लीन ।
ज्वलंत मुद्दे
वर्तमान के
हो ही जाते है
विलीन ।
बहुत खूब!!!!!!!!!!!!!!!!
दूर था ..इसलिए देर हो गई... क्षमा करेंगी... मुझे लगता है ज्वलंत मुद्दे विलीन नहीं होते... गाड़ दिए जाते हैं, इसलिए दिखते नहीं... जब वर्त्तमान, भूत हो जाता है तब सब इन मुद्दों को उखाड़ते हैं, मुर्दों को जगाते हैं... एक श्मशान में मुर्दों के खेल अलावा क्या मिलेगा...
kuchh shabdo se hi purn abhivyakti ho sakti hai.....ye pata chal raha hai.......:)
प्रभावशाली लेखन।
(आईये एक आध्यात्मिक लेख पढें .... मैं कौन हूं।)
Yeh hai aaj ki ghisi piti rajneeti-"jwalant muddon ko gaad do, waqt aane par phir in murdon se khelenge, humko to is shamshan mein murdon se hi khelna achha lagta hai."
is desh ke logon ko ulloo banane ke liye, naa kabhi Bofors marega, na Union carbide. bhopal chahe to bar bar mar jaye.
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