दूसरों की
तुलना मे
स्वयं को श्रेष्ट
बताने मे
जो हो माहिर ।
अहम् उनके
व्यक्तित्व पर
हावी है
ये बात है
जग ज़ाहिर ।
छोटी बात को
तूल देकर
मै वश
जो करे
व्यर्थ ही
उसे बड़ी ।
उनके साथ
अहम्
रहता है
पनपता है
हर घड़ी ।
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25 comments:
bahut sunder.
...बेहतरीन ...आध्यात्मिक भाव !!!
sundar ..!
सही कहा है ... मैं ... बस इस अहम में इंसान भूल जाता है सब कुछ ...
केतना सहज भाव से आप समझा देती हैं कठिन से कठिन बिसय को… अहम भाव का दुनो रूप समाज में पाया जाता है...हर आदमी अपने से नीचे वाला को दबाकर अपना अहम तुस्टि करता है..अऊर नेता लोग छोटा बात को बड़ा बनाकर...
बहुत सही वक्तव्य दिया है आपने...सुन्दर तरीके से समझाया है अहम को
एक बहुत पुराना शेर याद आया आपकी बात से...
यहाँ तो लोग गिनाते हैं ख़ूबियाँ अपनी
मैं अपने आप में कमियाँ तलाश करता हूँ.
अहम के दोनों पक्षों को उजागर करती, हमेशा की तरह बेहतरीन पोस्ट...
बहुत विचारणीय हमेशा की तरह लाजवाब पोस्ट
मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता! बेहद पसंद आया!
per yah bade hone ka vaham nahin rahta barkarar,hota hai sab bekaar jab koi aur aham use maat dene aa jata hai
gagar me sagar se bhari hoti hai aapki har abhivykti.
बहु्त उम्दा !
आपका बेटियाँ शीर्षक से पोस्ट हम अभी अभी पढे... कुछ भाव बस मन का अंदर महसूस होता है... हाथ लिखने से मना कर देता है... बस अईसा ही अनुभव हो रहा है... हमरा पोस्ट त खाली हमरा बेटी के बारे में हम स्वार्थी भाव से लिखे हैं, लेकिन आपका कबिता में त सारा बेटी जात समा गया... प्रनाम करते हैं हम आपका चरनों में!!!
आईये सुनें ... अमृत वाणी ।
आचार्य जी
sarita di, sabse pahale aap ko itani der se jawab dene ke liye chhama chahati hun. achanak hi sasu maa ki aswasthta ke kaaran allahabad jaana pad gaya tha. ab sai baba ki kripa se vah swasth hain.
aapne apni rachana main bilkul yatharth ko likha hai.jo bahut hi achhi lagi.
poonam
sachmuch dono hi rachnaye mahtavpoorn hai .
KHAREE-KHAREE!
UTKRISHT!
बहुत ही सुन्दर!
great thought and truth
in just few lines
आपका ब्लोग बहुत अच्छा है
लाजवाब....
पोस्ट मे अहम को समझाया है आपने...
बहुत सुंदर और प्रभावशाली
सुंदर रचना के लिए बधाई
Dono saargarbhit क्षणिकाए shikshaprad...
Saarthak vichar ke liye dhanyavad
जहां देखें ऐसे ही लोग झूमते मिलते हैं , मुझे तो मूक जीव अधिक अच्छे लगने लगे हैं, जो कभी शक नहीं करते और प्यार की भाषा पहचानते हैं !मगर रहना तो यहीं है कहाँ जाएँ ?
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