एक समय आता है जब
छूटता है बाबुल का आँगन ।
नया क्षितिज पाती है बेटियाँ
मिले जब इन्हे मनभावन ।
उनके अब अपने सपने है
और है एक नया उल्हास ।
दूर तो ये है जरुर हमसे
पर पाती हूँ सदा मन के पास ।
( बेटी को पराये धन की संज्ञा तो नही दूंगी मै )
पर होती है ये धरोहर ।
अपने धरोंदे को खूब
संवारने में जुट जाती है
बनाना जो है इसे मनोहर।
( बरसों पहले मेरा आँगन छूटा, अब छूटा इनका )
ये तो है जीवन धारा ।
खुश रहे सदैव बेटियाँ
अपने - अपने अंगना में
ये ही है आशीष हमारा ।
हमारी बगियाँ मे खिले फूल है बेटियाँ
अब साजन का घर महकाएंगी
जब भी खुशबू की बात चलेगी
इनकी याद आ , हमें खूब भरमाएगी ।
शिक्षा संस्कार नम्रता और दुलार
इसी का दिया हमने इन्हें उपहार ।
अब बस एक माँ दुआ करती है
थम जाए इनके अंगना, आके बहार ।
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28 comments:
yahi to apanatva hai..
बहुत सुन्दर रचना ......
बहुत प्यारे एहसासों को संजोया है आपने इस रचना में.....बस बेटियां खुश रहें अपने संसार में ...और क्या चाहिए हमें....बहुत अच्छी रचना
सच कहा आपने....धरोहर होती हैं....
बहुत सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर रचना....
सरस, रोचक और एक सांस में पठनीय रचना के लिए बधाई।
betiyaan to raunak hai duniyaan ,ghar ki ,inke bina to har rang jeevan ke adhoore hai ,bahut sundar rachna .
sarita
padh kar maza aa gaya.
bahut sunder shabdo main apny aur hum sabky bhvo ki abhivayakti ki hai.
meenal
देर से आने के लिए करबद्ध क्षमा चाहूगीं. आज के समय में जिसके घर बेटी हो उसे अपने आप को धन्य समझना चहिये.आज परिभाषा बदल गयी है बेटियां जीवन भर माता पिता का सात निभाती है और सेवा करती हैं
आमीन .. हर माँ की ममता को ज़बान दी है आपने .... मधुर एहसास ... प्रेम के आँचल से धक कर लिखा है इन शब्दों को ... बहुत लाजवाब ...
vakai behtarin kriri!!!!
अति उत्तम एहसास
Bahut hee badhiyaa ahsaaso se bharee rachnaa !
शिक्षा संस्कार नम्रता और दुलार
इसी का दिया हमने इन्हें उपहार ।
अब बस एक माँ दुआ करती है
थम जाए इनके अंगना, आके बहार ।
Ek Maa hamesha apni betiyon ko chahey wah kahin bhi rahe, sadaiv apne pyar se uske ghar sansaar ki magal kamnayen karti rahati hai....
Maa ke pyar ki sundar avivkti.....
Bahut shubhkamyen...
सच में इन्हें पराया धन कहना भी गलत है...!ये तो वो है जो दुसरे घर को भी अपना बना लेती है,जबकि आज कल के बेटे अपने घर को भी नरक बना देते है...
आपके इस सुन्दर रचना में, माँ का प्यार झलकता हैं । बेटियाँ, वाकई में फूल की तरह होती हैं, जो जीवन का आँगन महकाती हैं ।
....सुन्दर ...अतिसुन्दर !!!
अपनत्व जी ,बहुत ही कोमल सा एह्सास दे गई आप की ये कविता ,बेटी के आगे धन दौलत कुछ भी नहीं वो तो दोनों कुल का मान होती है ,माता पिता का विश्वास होती है ,
शिक्षा संस्कार नम्रता और दुलार
इसी का दिया हमने इन्हें उपहार ।
अब बस एक माँ दुआ करती है
थम जाए इनके अंगना, आके बहार
हर मां की ये दुआ पूरी हो बस ऊपर वाले से यही दुआ है.
शिक्षा संस्कार नम्रता और दुलार
इसी का दिया हमने इन्हें उपहार ।
अब बस एक माँ दुआ करती है
थम जाए इनके अंगना, आके बहार
बहुत सुन्दर शायद हर माँ के दिल की आवाज़ है बेटियाँ बेटों से अधिक प्यार लेती हैं अच्छा सन्देश देती रचना बधाई
बंगाल में आज भी बेटियों को माँ कहकर संबोधित करते हैं. शायद इससे बढ़कर सम्मान बेटियों को नहीं दिया जा सकता. यही नहीं उत्तर भारत के कई प्रदेशों में बेटियों से पैर नहीं छुलवाते. और नवरात्र की पूर्णाहुति पर आज भी कन्याओं के पैर छूकर उनके आशीर्वाद लिए जाते हैं. आपकी कविता हर बार की तरह दिल को छूती है. साधुवाद.
बिटिया को पराया धन नहीं कहूँगी। अद्बुत।
beautiful wish for the daughters!!
बहुत बेहतरीन रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
सच का आइना है ये रचना
आभार
अब बस एक माँ दुआ करती है
थम जाए इनके अंगना, आके बहार
...........
aameen.....betiyon ke ghar hardam bahaar rahe
एक माँ और बेटी के द्वारा, अपनी बेटी के लिए लिखी यह रचना बहुत अच्छी लगी, शुभकामनायें !
सच कहा आपने....धरोहर होती हैं....
बहुत सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर रचना....
बेटिया बेटों से कम नहीं होती
जिन बेटियो को शिक्षा संस्कार
नम्रता और दुलार की परवरिश
मिली हो वह जरूर अपने साजन
का घर महकाएंगी
आप की दुआ जरूर कुबूल होगी
Hamare Bundelkhand mein bhi Betion ke paer chhuye jaate hain. ye to hamesha pujya hotin hain. Samay ki maar hai ki 1000 beton par 861 betian reh gayeen hai. Chalo achha hai ab betian hi swamvar karegi.
Kamzor aur nikhattoo beton ka ab kya hoga.
शिक्षा संस्कार नम्रता और दुलार
इसी का दिया हमने इन्हें उपहार ।
अब बस एक माँ दुआ करती है
थम जाए इनके अंगना, आके बहार ।
yeh dua hi hai asli pyaar.
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