कुछ रिश्ते महज
नाम के होते है रिश्ते ।
और कुछ होते है
सिर्फ़ - दिखावे के रिश्ते ।
मेरी सोच की दुनिया मे
इनका कोई अस्तित्व नही
ऐसे रिश्ते निभाना
मेरी नज़रो मे
आम व्यक्ती के लिए
मुमकिन हो सकता नही।
कभी - कभी कुछ
अनजान रिश्ते बन जाते है ।
जिन्हें नाम देने मे हम
अपने आपको असमर्थ पाते है ।
जो रिश्ता आपके
दुःख दर्द का रहा हो साथी ।
जिस रिश्ते ने आपकी
हर भावना है मूक हो बांटी ।
ऐसे रिश्ते को किसी
संज्ञा ,विशेषण की
चाह नही होती ।
अनमोल होते है ये रिश्ते
इनकी कोई कीमत नही होती ।
मानवता का रिश्ता
जो उत्साह , लगन से निभाए ।
मेरी नज़रो मे वो रिश्ता
सर्वोपरी हो जाए ।
वैसे आस्था विश्वास की
नींव पर बने रिश्ते
आड़े समय काम आकर
मुश्किल से हमे उभारते है।
ख़राब समय ऐसे मे कैसे ?
अछूता निकल जाता
हम देखते दंग रह जाते है ।
सतर्क रहना है हमें , अवहेलना
तिरस्कार ना आपाए
हमारे व्यवहार से
रिश्तो के बीच कभी ।
बड़ो के लिए हो दिल मे
मान - सम्मान , अपनत्व
छोटो के प्रति प्यार व क्षमा -भाव
निभते फिर रिश्ते आसानी से सभी ।
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17 comments:
rishton ke sabhi roopo ko badi sundarta se prastut kiya hai aapne .umda
रिश्तो की विविधता और उनके सतरन्गी स्वरूप पर आपने बहुत रुचिपूर्वक प्रकाश डाला है. रचना बहुत ही वास्तविक और हकीकत चित्र रिश्तो का खीचने मे सफ़ल होती है
सतर्क रहना है हमें , अवहेलना
तिरस्कार ना आपाए
हमारे व्यवहार से
रिश्तो के बीच कभी ।
यह रिश्ते ही तो असली पूँजी होते हैं हमारे जीवन की..और अक्सर हम इन्हे छोड़ कर सिक्कों की खनक के पीछे भागने लगते हैं..
खूबसूरत..
Beautiful words.. sometimes the relationship which don;t have names are more precious than the name ones..
हमारे व्यवहार से
रिश्तो के बीच कभी ।
बड़ो के लिए हो दिल मे
मान - सम्मान , अपनत्व
छोटो के प्रति प्यार व क्षमा -भाव
निभते फिर रिश्ते आसानी से सभी ।
आपकी रचनायें ज्ञानोपयोगी होती हैं ...कोई न कोई जीवनपयोगी सन्देश छिपा रहता है इनमें .....!!
बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने ! रिश्ते की एहमीयद को आपने बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया है! रिश्ते जोड़ना आसान होता है पर उसे निभाना उतना ही कठिन! बहुत ही नाज़ुक होते हैं रिश्ते और हर रिश्ते को सुन्दरता और अच्छे व्यव्हार के साथ निभाना सबसे ज़रूरी होता है! बहुत बढ़िया लगा आपकी ये भावपूर्ण रचना!
Dhanybaad Aapne rishton ki sahi vyakhya ki hai..........
Behad sundar wishleshan...jo bojh ban jaye wo kaisa rishta? Jise unmukt aasmaan mile wahee rishta ban pata hai...nibh pata hai...!
Gulzaar ji ka ek geet yaad aa gaya," Hamne dekhi hai un aankhon kee mahkati khushbu, haath se chhooke ise rishton ka ilzaam na do, pyarko pyarhi rahne do koyi naam na do!"
कभी - कभी कुछ
अनजान रिश्ते बन जाते है ।
जिन्हें नाम देने मे हम
अपने आपको असमर्थ पाते है ।
जो रिश्ता आपके
दुःख दर्द का रहा हो साथी ।
जिस रिश्ते ने आपकी
हर भावना है मूक हो बांटी ।
ऐसे रिश्ते को किसी
संज्ञा ,विशेषण की
चाह नही होती ।
अनमोल होते है ये रिश्ते
बहुत सुन्दर आपकी रचनाओं मे हमेशा एक सच्चाई रहती है। शुभकामनायें
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो .............
सच नाम ही सब कुछ है क्या?
अहसास ही बहूत कुछ है |
बहूत अच्छी अभिव्यक्ति |
" रिश्ते २" में आपने रिश्तों को व्यवहार की तुला पर तोला है . आड़े वक्त जो काम आएँ बंधन या रिश्ते उतने ही सुहाते हैं अन्यथा तो बोझ बन जाते हैं . यह ठीक भी है .
... प्रसंशनीय रचना !!!!
beautiful poem
रिश्ते बनावटी शक्ल में रिश्तों की अभा से वंचित होते हैं.....kaayi होती है ....दिखावा करते-करते आदमी फिसल जाता है और इसकी नाज़ुक डोर टूट जाती है ....रिश्ता खून का हो या पानी का या नमक का........वह एक हो , काफी है !
pyaar ko pyaar hi rehne do koi naam na do ......... umda rachna!
bahut achha likhti hain aap!!!!
कभी - कभी कुछ
अनजान रिश्ते बन जाते है ।
जिन्हें नाम देने मे हम
अपने आपको असमर्थ पाते है ।
जो रिश्ता आपके
दुःख दर्द का रहा हो साथी ।
जिस रिश्ते ने आपकी
हर भावना है मूक हो बांटी ।
ऐसे रिश्ते को किसी
संज्ञा ,विशेषण की
चाह नही होती ।
बहुत सच्ची बात कही है......ये रचना कैसे छूट गयी पढ़ने से ? बहुत अच्छी अभिव्यक्ति..
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