Sunday, November 8, 2009

खटास

रेड्डी भाइयो का
रूठना,धमकाना
और बी जे पी के
दिग्गजों का उन्हें
मनाना,समझाना
मुख्य - मंत्री का
टूट जाने की हद तक
समझौते के नाम पर
झुक जाना
कर्नाटक को क्या
पूरे देश को ही
स्तब्ध कर गया है ।

आज पेपर पढ़ने
के साथ - साथ
बासी दूध की बनी
हम पी रहे थे चाय ।
इतने मे घंटी बजी
ताजा दूध आया
मैंने स्टील की भगौनी
पानी से धो - खंखार
झट से उसमे दूध
उबलने चढाया ।
अरे ये क्या हुआ ?
दूध तुंरत फट गया ।

धुली भगौनी
और था ताज़ा दूध
सोचने लगी फिर
ये क्या हुआ चक्कर ?
कंही माहौल मे
फ़ैली राजनीति की
खटास का तो दूध पर
नही था ये असर ?

18 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

hahahhaha....bahut khoob vyang hai....badhai

रश्मि प्रभा... said...

khataas ka asar to hona hi tha, mann kee jo awastha vismit thi,usme bhagaune kee dhulaayi me kami rah gai aur wah aapki kalam me vyapt ho gai

दिगम्बर नासवा said...

धुली भगौनी
और था ताज़ा दूध
सोचने लगी फिर
ये क्या हुआ चक्कर ?
कंही माहौल मे
फ़ैली राजनीति की
खटास का तो दूध पर
नही था ये असर .....

YE RAAJNEETI KI KHATAAS NAHI .... KURSI KA KHEL HAI ...

शोभना चौरे said...

vah ji
kya tulna ki hai sacmuch aaj is rajniti ne shrmsar kar diya hai

Urmi said...

आपने बहुत ही सुंदर तरीके से व्यंग्य किया है ! दूध फटना तो अशुभ होता ही है और इस बात का ज़िक्र आपने रचना के तौर पर बखूबी प्रस्तुत किया है!

नीरज गोस्वामी said...

वाह...वाह...क्या बात कही है...कहाँ की बात को कहाँ किस खूबसूरती से आपने अपनी रचना में जोड़ा है...ये आपकी विलक्षण सोच और लेखन का करिश्मा ही है...वाह
नीरज

हरकीरत ' हीर' said...

संगत का असर तो होता ही है ....अपनत्व जी ...पर आपने मिसाल खूब दी .....!!

लाजवाब ......!!

Randhir Singh Suman said...

कंही माहौल मे
फ़ैली राजनीति की
खटास का तो दूध पर
नही था ये असर ?nice

निर्मला कपिला said...

हा हा हा चाय मे भी राजनिती क्या बात है वैसे फिट बैठ गयी बधाई

Swatantra said...

मस्त है जी..मज़ा आ गया.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

वाह!सुन्दर प्रस्तुति....बहुत ही अच्छी लगी ये रचना.....

sm said...

lol
excellent
pyaar say mara lakin jor ki aawaz aayee

Apanatva said...

ye mera vyang ko le naya prayas tha .pasand kiya usake liye aabhar .

ज्योति सिंह said...

badalte huye mahaul aur waqt ka asar har kisi ke saath
धुली भगौनी
और था ताज़ा दूध
सोचने लगी फिर
ये क्या हुआ चक्कर ?
कंही माहौल मे
फ़ैली राजनीति की
खटास का तो दूध पर
नही था ये असर ?
bahut gahre arth me sani hui rachna ,umda .

देवेन्द्र पाण्डेय said...

हा-हा-हा-
राजनीति की खटास से पूरा समाज फट जाता है तो दूध क्या चीज है
अच्छा लगा पढ़कर

Navendu said...

ek dam mast hai !!!

कविता रावत said...

Yah Rajnitik khataas hi to hai jiska asar pure desh par pad raha hai. Politics mein jo kuch bhi aaj ho raha hai usse aamjan ki durgati sabhi dekh kar bhi nahi dekh paa rahein.
Saafgaoi se rachi rachna ke liye badhai

Unknown said...

jis rajniti se samaj aur vyakti phat jaate hain, doodh ki kya mazaal ki voh na phate, zabardasti main bhagoni aur taza dooh badnam ho gaye.
bahut sunder.
keep going. long way to go.