कई रिश्ते
हलके से लगे
कई रिश्ते लगे
बड़े ही भारी ।
क्या रिश्तो मे
वजन होता है ?
कदापि नही ,महज़
सोच है हमारी ।
जंहा हो अपनेपन
का आदान प्रदान
वंहा ये खुल कर
श्वास ले , जी लेते है
अतः पनप जाते है ।
जंहा हो महज
दिखावा , बनावट
वंहा बड़ी घुटन , तड़पन
महसूस कर ये
दम तोड़ जाते है ।
अपनत्व से भरे रिश्ते
बड़े दिल के करीब
और सुहावने होते है
इसमे कोई शक ही नही ।
त्याग , प्यार और धैर्य मे
बड़ी शक्ती होती है
हर रिश्ते को निभाने की
ये बात भी लगती है
सतही तौर पर पूर्णतः सही ।
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18 comments:
अपनत्व से भरे रिश्ते
बड़े दिल के करीब
और सुहावने होते है
इसमे कोई शक ही नही ।
बिल्कुल सही कहा है आपने ! हर रिश्ते बड़े नाज़ुक होते हैं और उसे प्यार और मिठास से भरपूर रखकर बरक़रार रखना चाहिए ! आपने हर रिश्ते की सच्चाई को बखूबी प्रस्तुत किया है! बहुत बढ़िया लगा! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाइयाँ!
अपनत्व से भरे रिश्ते
बड़े दिल के करीब
और सुहावने होते है
इसमे कोई शक ही नही ।
त्याग , प्यार और धैर्य मे
बड़ी शक्ती होती है
हर रिश्ते को निभाने की
ये बात भी लगती है
सतही तौर पर पूर्णतः सही .......akshrashah sahi
क्या रिश्तो मे
वजन होता है ?
कदापि नही ,महज़
सोच है हमारी ।
bilkul sateek baat...jo rishte khul kar jiye jayen ,pyaar se pallvit hon wo bojh nahi lagte ....sundar bhav hain....badhai
अपनत्व से भरे रिश्ते
बड़े दिल के करीब
और सुहावने होते है
इसमे कोई शक ही नही ।
त्याग , प्यार और धैर्य मे
बड़ी शक्ती होती है
हर रिश्ते को निभाने की
ये बात भी लगती है
सतही तौर पर पूर्णतः सही ।
sahi kaha aapne ,rishte bahut naajuk hote hai .ise dhairya ke saath sahejna padta hai .
rishte shejne par hi to rishte sath nibahte hai .
bahut sarthk rishto ki bat
abhar
अपनत्व से भरे रिश्ते
बड़े दिल के करीब
और सुहावने होते है
इसमे कोई शक ही नही ..
ACHHA LIKHA HAI ... RISHTE KABHI KABHI BHAARI HO JAATE HAIN JEEVAN SE BHI JYAADA BHAARI ...
Rishte
nice poem
they are like glass.
अपनत्व से भरे रिश्ते
बड़े दिल के करीब
और सुहावने होते है
---सच तो यही है।
रिश्तों को लेकर लिखी गयी सुन्दर रचना।
पूनम
kafi deep hai :D!!! abhi rishte nibhane ki shyd hamari bari hai, so yaad rakhni padhegi yeh baat:)
sachchi baat hai, koi bhi iss baat se asahmat nahi ho sakta.
एक सधी गुई सोच और परख पर निर्णय... ये दोनो आपके लेखन से महसूस हुआ। पर लेखन का एक पूर्ण ढ़ाचा नज़र नही आया। कहां से कब और कैसे किसी शुरूआत को रचा जाए।
क्या रिश्तो मे
वजन होता है ?
प्रश्न बखूबी छोड़ा है आपने......
उत्तर में इसके हम खुद हैं.....
सुन्दर रचना....
कई रिश्ते
हलके से लगे
कई रिश्ते लगे
बड़े ही भारी ।
क्या रिश्तो मे
वजन होता है ?
लाजवाब पंक्तियाँ
शायद इसी वास्तविकता ने रिश्तों को नया डांचा दिया है ?
I think this one is your best so far.
Kya rishton me wazan hota hai... very insightful observation. And also true that only those relationships survive which have love. Jaisa ki aapne kaha, jisme apnatva ho, banavat nahi.
tanks for remembering me...have been a bit busy in distracting my mind from one thing to another....
rishto ke baare me aapne kitna thik kaha hai....kayi rishte hame ghutan de jaate hain aur kayi hame phool ki tarah khilna sikha jaate hain..hame bhi rishto ke peati sajag rahna chahiye...
apnatva mein baithe rishtey bade hi dil. ke kareeb aur suhavane hain
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