दुनिया हर क्षण
करवट बदल रही
बस बीते जाए
सुबह और शाम ।।
समय का अभाव है
जान लीजिये भई
बात हो गयी
है अब ये आम ।।
दौड़ - भाग मे
सभी लगे
निज स्वार्थ मे है
आज सब तल्लीन ।।
पर , की सोचने
के लिए दिल कंहा ?
भलमनसाहत होगई
है आज विलीन ।।
आज मानव हो
गया है जूझते-जूझते
परस्थितियों से
इतना निराश ।
कोई मदद करेगा
आगे बड़कर
ये भी करता नही
वो आजकल आस ।
ऐसे मे अनायास
कोई सहारा देने
अगर अपने हाथ
उसकी ओर बढाए ।।
कुछ क्षण भौचक्का सा
स्वप्न है या हकीकत ?
इस पशोपेश मे ,यकीन
करने मे समय लगाए ।।
सोच - विचार मे
भी आगया है
बहुत ही , अब फर्क ।।
मरने के बाद
किसने देखा है ।
अपने व्यवहार से
इंसान बनाता है
यही पर स्वर्ग
और यंही पर नर्क ।।
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15 comments:
bilkul sahi kaha hai ki swarg aur nark sab isi dharati par hain.....jaisa karm karenge waisa hi bhogenge....ek yatharth likha hai....badhai
बात हो गयी
है अब ये आम ।।....
bilkul sahi, ab to saanson ko bhi izaazat chahiye
मरने के बाद
किसने देखा है ।
अपने व्यवहार से
इंसान बनाता है
यही पर स्वर्ग
और यंही पर नर्क ....
सत्य कहा जो है यहीं पर है .... स्वर्ग भी और नर्क भी ..... सब जीते जी मिल जाता है .... भाव पूर्ण रचना ....
कोई मदद करेगा
आगे बड़कर
ये भी करता नही
वो आजकल आस ।
ठीक कहा है आपने ! आजकल लोग इतने स्वार्थी हो गए हैं की दूसरों की मदद करना भी नहीं चाहते !
अपने व्यवहार से
इंसान बनाता है
यही पर स्वर्ग
और यंही पर नर्क ।।
बिल्कुल सच्चाई है ये! बहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना जिसमें आपने आज की सच्चाई को बखूबी प्रस्तुत किया है!
मनुष्य के आज के जीवन और बदलते जा रहे जीवन मूल्यों के साथ ही एक बड़ी सच्चाई को उकेरती रचना।
पूनम
aaj ka sachchaa chitthaa
आज के समाज का एकदम यथार्थ बयान किया है आपने इस कविता में।
हेमन्त कुमार
sahi kaha yahi swarg -narak dono hai ,achchhe boore fal yahi mil jaate hai
shukria'
rishte swayam mein swag,narak samete hain.
very true
मरने के बाद
किसने देखा है ।
अपने व्यवहार से
इंसान बनाता है
यही पर स्वर्ग
और यंही पर नर्क ।।
सही है हमें अपने कर्मों का फल यहीं मिलना है ......!!
अपने व्यवहार से
इंसान बनाता है
यही पर स्वर्ग
और यंही पर नर्क
--उम्दा खयाल।
आज मानव हो
गया है जूझते-जूझते
परस्थितियों से
इतना निराश ।
कोई मदद करेगा
आगे बड़कर
ये भी करता नही
वो आजकल आस ।
ऐसे मे अनायास
कोई सहारा देने
अगर अपने हाथ
उसकी ओर बढाए ।।
कुछ क्षण भौचक्का सा
स्वप्न है या हकीकत ?
इस पशोपेश मे ,यकीन
करने मे समय लगाए ।।
Isseko kehte hain narak
इश्वर ने हम सब को एक चीज
एक सामान दी हैं और वोह है २४ घंटे
इस २४ घंटे को हम कैसे व्यतीत करें
यह हमारी सोच और हमारें व्यवाहार
पर निर्भर होता हैं और इसी सोच और
व्यवाहर से हम स्वर्ग और नरक बनातें हैं
My mom always keep saying that..."swarg aur nark sab isi dharti per hain" Thank u so much for encouraging!!!!
I hope aap aage bhi apne valuable suggestions deti rahengi!!!
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