Sunday, November 29, 2009

स्वर्ग - नर्क

दुनिया हर क्षण
करवट बदल रही
बस बीते जाए
सुबह और शाम ।।
समय का अभाव है
जान लीजिये भई
बात हो गयी
है अब ये आम ।।
दौड़ - भाग मे
सभी लगे
निज स्वार्थ मे है
आज सब तल्लीन ।।
पर , की सोचने
के लिए दिल कंहा ?
भलमनसाहत होगई
है आज विलीन ।।
आज मानव हो
गया है जूझते-जूझते
परस्थितियों से
इतना निराश ।
कोई मदद करेगा
आगे बड़कर
ये भी करता नही
वो आजकल आस ।
ऐसे मे अनायास
कोई सहारा देने
अगर अपने हाथ
उसकी ओर बढाए ।।
कुछ क्षण भौचक्का सा
स्वप्न है या हकीकत ?
इस पशोपेश मे ,यकीन
करने मे समय लगाए ।।
सोच - विचार मे
भी आगया है
बहुत ही , अब फर्क ।।
मरने के बाद
किसने देखा है ।
अपने व्यवहार से
इंसान बनाता है
यही पर स्वर्ग
और यंही पर नर्क ।।

15 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

bilkul sahi kaha hai ki swarg aur nark sab isi dharati par hain.....jaisa karm karenge waisa hi bhogenge....ek yatharth likha hai....badhai

रश्मि प्रभा... said...

बात हो गयी
है अब ये आम ।।....
bilkul sahi, ab to saanson ko bhi izaazat chahiye

दिगम्बर नासवा said...

मरने के बाद
किसने देखा है ।
अपने व्यवहार से
इंसान बनाता है
यही पर स्वर्ग
और यंही पर नर्क ....

सत्य कहा जो है यहीं पर है .... स्वर्ग भी और नर्क भी ..... सब जीते जी मिल जाता है .... भाव पूर्ण रचना ....

Urmi said...

कोई मदद करेगा
आगे बड़कर
ये भी करता नही
वो आजकल आस ।
ठीक कहा है आपने ! आजकल लोग इतने स्वार्थी हो गए हैं की दूसरों की मदद करना भी नहीं चाहते !
अपने व्यवहार से
इंसान बनाता है
यही पर स्वर्ग
और यंही पर नर्क ।।
बिल्कुल सच्चाई है ये! बहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना जिसमें आपने आज की सच्चाई को बखूबी प्रस्तुत किया है!

पूनम श्रीवास्तव said...

मनुष्य के आज के जीवन और बदलते जा रहे जीवन मूल्यों के साथ ही एक बड़ी सच्चाई को उकेरती रचना।
पूनम

अजय कुमार said...

aaj ka sachchaa chitthaa

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

आज के समाज का एकदम यथार्थ बयान किया है आपने इस कविता में।
हेमन्त कुमार

ज्योति सिंह said...

sahi kaha yahi swarg -narak dono hai ,achchhe boore fal yahi mil jaate hai

लता 'हया' said...

shukria'
rishte swayam mein swag,narak samete hain.

Amrendra.N said...

very true

हरकीरत ' हीर' said...

मरने के बाद
किसने देखा है ।
अपने व्यवहार से
इंसान बनाता है
यही पर स्वर्ग
और यंही पर नर्क ।।

सही है हमें अपने कर्मों का फल यहीं मिलना है ......!!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

अपने व्यवहार से
इंसान बनाता है
यही पर स्वर्ग
और यंही पर नर्क
--उम्दा खयाल।

Unknown said...

आज मानव हो
गया है जूझते-जूझते
परस्थितियों से
इतना निराश ।
कोई मदद करेगा
आगे बड़कर
ये भी करता नही
वो आजकल आस ।
ऐसे मे अनायास
कोई सहारा देने
अगर अपने हाथ
उसकी ओर बढाए ।।
कुछ क्षण भौचक्का सा
स्वप्न है या हकीकत ?
इस पशोपेश मे ,यकीन
करने मे समय लगाए ।।

Isseko kehte hain narak

amita said...

इश्वर ने हम सब को एक चीज
एक सामान दी हैं और वोह है २४ घंटे
इस २४ घंटे को हम कैसे व्यतीत करें
यह हमारी सोच और हमारें व्यवाहार
पर निर्भर होता हैं और इसी सोच और
व्यवाहर से हम स्वर्ग और नरक बनातें हैं

The Stone Angel said...

My mom always keep saying that..."swarg aur nark sab isi dharti per hain" Thank u so much for encouraging!!!!
I hope aap aage bhi apne valuable suggestions deti rahengi!!!