Wednesday, October 13, 2010

राम भरोसे

राजनीति का

लगता है

शराफत से नही

रहा अब

कोई भी मेल

नेताओं की

अजीब ही

फितरत है

देख रहे है

इनके नित नये

घिनौने खेल

कुर्सी के

चक्कर मे ये

सभ्यता कों भूले

लालच के चारे

के आगे

हवा मे ही

ये झूले

जिसकी थैली भारी

उसी ओर

ये लुडक जाए

बिना पेंदी के लोटे

तभी तो ये कहलाए

कंहा तक

किस किस कों

कैसे कैसे कोसे

आम आदमी

तो है अब

सच मानिये

राम भरोसे ।

27 comments:

Rohit Singh said...

बिल्कुल सही कहा है आपने। अब तो रामभरोसे ही हैं हम लोग। सत्ता के लिए इतने पतित कर्म होते आएं हैं कि पूछिए नहीं, कभी कभी सोचता हूं कि नीचता की पराकाष्ठा क्या होती होगी।

Bharat Bhushan said...

आम आदमी राम भरोसे ही रह रहा है. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति. आभार

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

सरिता दी,
इसी बहाने कई नास्तिक लोगों को मानने पर विविश होना पड़ेगा कि यह देश उसी के भरोसे चल रहा है..
बहुत ही करारा व्यंग्य!! लेकिन मेरा अपना एक शेर याद आ रहा है
हमने जिसको बिठाया संसद में,
वो तो बहरा था, बेज़ुबान भी था!

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सचमुच यही हाल है...जी

Satish Saxena said...

सच कहा आपने ! आम आदमी राम भरोसे ही है !

सम्वेदना के स्वर said...

राम कसम मैं तो यही कहूगां कि जब तक पढे-लिखे, अच्छे लोग तटस्थ होने की आचार सहिंता होठों से चिपकाये रहेंगें,हालात बद से बदतर होते रहेंगें, वह दिन दूर नहीं जब रावण से प्रश्रय की गुहार लगायेंगे आज के राम भक्त!

प्रवीण पाण्डेय said...

सब कुछ है अब राम भरोसे।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सच ...रामभरोसे ही है ...

सदा said...

बहुत सही कहा आपने, सब कुछ सिर्फ राम भरोसे ही चल रहा है, सुन्‍दर रचना के लिये आभार ।

मनोज कुमार said...

वाह! अद्भुत! सटीक व्यंग्य!!

सारा जीवन अस्‍त-व्‍यस्‍त है
जिसको देखो वही त्रस्‍त है ।
जलती लू सी फिर उम्‍मीदें
मगर सियासी हवा मस्‍त है ।

kshama said...

Badahee bhayanak saty hai ye! Ye sabhi neta 'aam' adamee me se hee bante hain, aur phir na jane is tarah kaise ye 'khaas' ho jate hain,ki jeena Rambharose kar dete hain!

Majaal said...

एक तरफ तो सभी चाहते है की सब जगह राम राज्य हो, और जब नेता लोग देश राम भरोसे चलने लगे , तो भी आपको दिक्कत है .. ये तो बहुत गलत बात है .....

पूनम श्रीवास्तव said...

sarita di
pranaam
ye to kursi ka khel sadiyo se chale aa rahe ek ghinoune itihaas ka hi agla kadam hai,aur jaane kab tak yu hi chalta rahega.likin inke beech jab insaniyat bhi pisti hai to man dravit ho jaata hai aur aapki post isi se rubaru karvaati hai.bahut hi yatharth parak prastuti.
कंहा तक

किस किस कों

कैसे कैसे कोसे

आम आदमी

तो है अब

सच मानिये

राम भरोसे
poonam

Saumya said...

true!!

कडुवासच said...

... bahut sundar ... behatreen rachanaa !

डॉ टी एस दराल said...

सिर्फ नेता ही क्यों ? आजकल तो जिसे देखो नेताओं जैसा ही व्यवहार कर रहा है ।
आम आदमी ढूँढने मुश्किल हो गए है ।
बहुत अच्छा व्यंग है ।

मनोज भारती said...

आम आदमी
तो है अब
सच मानिये
राम भरोसे


जब अगुआ ही रावण हुए
कौन बचाए आम आदमी को
राम तो नजर नहीं आते
सो आम आदमी भ्रष्ट पुराण गाए
गुन-सुन भ्रष्ट पुराण
अगुआ जो हो प्रसन्न
तो चैन सुख पावै आम जन

ZEAL said...

हमारा देश तो राम भरोसे ही चल रहा है। राजनीतिज्ञ जो न गुल खिलायें, वही काफी है ।

हास्यफुहार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

रचना दीक्षित said...

सच कहा आपने. यही हाल है. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति. आभार

sm said...

beautiful poem
educational also

दिगम्बर नासवा said...

सच कहा ... आम आदमी को कोई नही सोचता ... ख़ास कर ये नेता जो अपने आपको राजा समझते हैं .... बहुत अच्छा व्यंग है ....

शरद कोकास said...

आम आदमी इसीलिये तो आम है जो चाहे चूस ले ।

Anonymous said...

भगवान् भरोसे तो हैं जरूर लेकिन अब तो उनके पास भी समय नहीं है हमारे लिए...
मेरे ब्लॉग में इस बार...ऐसा क्यूँ मेरे मन में आता है....

VIVEK VK JAIN said...

bilkul sach kaha aapne.........

VIVEK VK JAIN said...

bilkul sach kaha aapne.........

निर्मला कपिला said...

पहले भी पढी थी ये पोस्ट और कमेन्ट भी दिया था क्यों पोस्ट नही हुया पता नही। आपके बाऊ जी को विनम्र श्रद्धाँजली।