आज मेरे बाबूजी की पुण्यतिथी है । सुबह से कई वार कुछ लिखने का प्रयत्न कर चुकी हूँ पर याद आते ही आँखे छलछला जा रही है । लाख कोशिश के बावजूद कुछ सफलता हाथ नहीं लग रही है ।
१९८० मे आज के दिन उनका साथ छूटा । मेरी बेटिया छोटी थी और ये बाहर गये हुए थे इसीसे मै हैदराबाद समय पर नहीं पहुच पाई ।
आज इतने वर्ष गुजर गए पर हर दुविधा की घड़ी मे उनके आदर्श मार्ग दर्शन करने मे उतने ही सक्षम है । उनका परिचय क्या दू ?
मेरे बाबूजी Advocate थे । इलाहाबाद से पढाई की थी वे गोल्ड मेडलिस्ट थे ।
मेरे बाबूजी ने जीवनपर्यंत खादी ही पहनी ।
आखिर समय तक वे स्वावलम्बी रहे ।
मेरे बाबूजी चलती फिरती dictionary थे ।
दुविधा तो हमे तब होती जब एक शव्द के कई अर्थ बता देते ।
जीवन के अंतिम 10,12 ,साल बाबूजी कों लकवा रहा । पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी । बाया हाथ और पाँव पूरी तौर पर काम नहीं करते थे पर वे तबभी अपने कपड़े स्वयम ही धोते थे । अपना सभी काम वे स्वयं करते थे ।
और दोनों घुटनों के बीच कपड़ा दबा कर एक हाथ से निचोड़ते थे ।
हमेशा सकारात्मक सोच रखने की दलील सामने रखते थे ।
जिसकी भी जो भी मदद कर सकते थे उन्होंने की ।
मेरे बाबूजी का नाम सूरज और हम बहिनों के भी नाम स से ही है ।
मै बहुत छोटी थी पर मुझे आज भी याद है गर्मी के दिन थे हम छत पर सोते थे उस दिन बाबूजी ने तारे और चाँद के बारे मे बहुत कुछ बताया था मैंने उन्ही भावो कों एक कविता मे उकेरा था वो आज फिर सामने रख रही हूँ।
तारे
दिन मे
इनका कोई
अस्तित्व नहीं
सूर्य के उदय
होते ही ये
धुंधलाते है
और फ़िर
विलीन
हो जाते है ।
पर काली
अंधेरी रात
इसकी तो
अलग ही
हो जाती
है बात |
आकाश मे
चन्दा के
राज्य मे
तारो का
झिलमिलाना
टिमटिमाना
जगमगाना
मेरे दिल को
लुभा जाता है |
कुछ बड़े तारे
कुछ छोंटे तारे
पर सबका
मिलजुल कर
साथ - साथ
पर कुछ दूरी
बना कर रहना |
चाहों अगर
कुछ सीखना
तो ये हमें
बहुत कुछ
सिखा जाता है |
दिन भर का
मेरा भटका
थका हारा मन
तारो की
ओड़नी ओडे इस
आसमान के
आँगन आ
बड़ी राहत
पा जाता है ।
और कुछ
ही पलो मे
नभ की
गोद मे
खेल रहे
तारो से खूब
घुल -मिल
सा जाता है |
और अब
शुरू हो
जाता है मेरा
तारा समूह को
खोजना
पहचानना |
वैसे तो
ये है 88
पर मेरी नज़रे
सप्त ऋषी मंडल
पर जा कर
ही लेती है टेक |
जब से
होश संभाला
और मेरे
बाबूजी ने
इनसे मेरा
परिचय कराया
बराबर रहा है
साथ हमारा |
गाँव छूटा
शहर बदले
मेरे बाबूजी भी
बरसों पहले
साथ छोड़ चले |
पर तारा मंडल ने
नहीं छोडा
कभी भी
मेरा साथ |
धन्य हूँ
और
आभारी भी
प्रकृति की
पा कर
अतुलनीय
ये सौगात |
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46 comments:
Fond memories.... he was an inspiring personality .Thanks for introducing him to us.
... प्रभावशाली व्यक्तित्व ... जो यादों में बसते हैं अमर रहते हैं ... !
यादों को प्रकृति का अच्छा अवलम्बन दिया है । कुछ चीजे अमिट रहती हैं वैसे ही हैं आपके अनुभव !!!
सरिता दी.. हमें बचपन से सिखाया गया है कि जो परिजन हमारा साथ छोड़ जाते हैं, वो कहीं न कहीं तारों और नक्षत्रों में अपना स्थान बनकर हमें निहारते रहते हैं... पिताजी की पुण्य तिथि पर उनका पुण्य स्मरण और आकाश में स्थित तारामण्डल में उनकी उपस्थिति अनुभव करना, उनके नहोते हुए भी होने का अनुभव है... उनके श्री चरणों में हमारी वंदना!!
बाबूजी को नमन और विनम्र श्रद्धांजलि।
आपके पिताजी के महान व्यक्तित्व के विषय में जानकार अच्छा लगा.... पोस्ट पढ़कर मेरी भी आखें छलछला आयीं...... उन्हें मेरा भी नमन
प्रकृति हमें माता-पिता रूपी उपहार देती है. माता-पिता हमें प्रकृति का उपहार दे जाते हैं. आपके बाल-मन से निकली कविता उसी उपहार का सहज-चित्रण है.
आपके पिता के प्रति हमारे श्रद्धासुमन.
श्रद्धांजलि!
बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं आपको आपके बाबूजी ने । इन श्रेष्ठ व्यक्तित्त्व को मेरा नमन ।
बाबूजी को विनम्र श्रद्धांजलि। बाबूजी के महान व्यक्तित्व से परिचय करवाने के लिए आभार. ये यादें ही तो हैं जो कोई हमसे ले नहीं सकता
आभार
एक महान व्यक्तित्व के बारे में जानकर गर्व भी हुआ। हार्दिक श्रद्धांजलि।
ओह... बाबूजी शब्द पढ़ते ही दिल धक से हो जाता है । हम सभे के बाबूजी एक से थे ना ?
आज विजया दशमी मेरे बाबूजी का जन्म दिन है उनकी स्मृति मे एक पोस्ट लिखी है निवेदन है उसे ज़रूर देखिये
http://sharadakokas.blogspot.com
मेरी और से आपके बाबूजी को भावभीनी श्रद्धांजलि| एक आदर्श व्यक्तित्व झलकता है आपके बाबू जी में |
aap mere blog par niyamit aati hain iska aabhari hoon. Ye ajab itefaq hai ki maine aapke pitaji ke punyatithi ke aaspass hi apne pitaki barasi ke sambandh mein kuch likha.
Aapki rachna aur samvedna ko sadar naman, Baglore aaya to aapse avashya milne ka prayaas karunga.
Aapka Putrvat
Neelesh
9619355050
Mumbai
बड़ी मार्मिक याद किया है उनको ...हमारी उम्र चाहे कितनी ही क्यों न हो जाये जब पिता अथवा माँ की याद आती है तो उस याद में हमारा अस्तित्व एक बच्चे का ही होता है ! उनके जाने के बाद कई बार ऐसा महसूस होता है कि हम उनकी उतनी सेवा नहीं कर सके जितनी हम कर सकते थे ! एक पछतावा सा सारे जीवन के लिए रह जाता है !
सादर
Dear Aunty, Thank you very much aapney hum subki feelings towards bauji bahut hee acchey shabdon mein shrdhanjali mein arpit kar dee...Bauji key baarey mein kuch likhna hum bacchon key liey to SURAJ KO DIYA DIKHANEY wali baat hai...Bauji apney naam ko humesha saarthak kiey hain weh humesha hum bacchon kee yaadon mein suraj kee tarah tejasvi aur hraday mein pyaar ki garmahat pradan karney waley humarey priy Bauji rahey hain....he has always been a great role model to all of us...teaching us to be independant and self confidant...we practically saw and learnt from him that if you really think and want something...nothing is impossible in this world! He always will be remembered very fondly by everyone whose heart was touched by his gentle warmth! Bauji aur Bhabi ko koti koti pranaam hum subki ki taraf sey.... Aabha along with samast Bauji aur Bhabhi ka Jain Parivaar
aapki yah post bahut si baaton ki yaad dila gayi ...kavita ke roop men aapne shriddhanjali di hai wah atiuttam hai ..babuji se parichay ke liye aabhaar
he is not with you but his love is with you always.
if you want to make a you tube video in their memory, please let me know.
i will make a you tube video .
उन्हें नमन और विनम्र श्रद्धांजलि.......पिता पुत्री के खुबसूरत रिश्ते का बोध.... ऑंखें गीली हुई मुझे भी अपनी मम्मी की याद आई.....
बाबु जी को मेरा नमन, बहुत ही सुन्दर पंक्तिया हैं सचमुच बहुत लुभाता है छत पर लेट कर तारों को देखना, मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद, मैं आपकी किसी बात को अन्यथा ले ही नहीं सकता, बस अपना आशीर्वाद बनाए रखियेगा!
yaadein kabhi nahi mita karti...
bahut acha likha hai aapne....
Mere blog par bhi sawaagat hai aapka.....
http://asilentsilence.blogspot.com/
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पहले तो मै माफ़ी चाहुंगा कि बहुत दिन बाद लिख रहा हूँ । असल मे, Part Time MBA course मे भर्ती हुआ हूँ, तो दफ़्तर के बाद क्लास और घर लौटना रात ग्यारह के बाद होता है । इसलिये वक्त की कमी सी हो गयी है ।
आज बहुत दिन बाद ब्लाग जगत मे आया हूँ ।
आपके पिताजी के बारे मे जानकर बहुत प्रभावित हुआ । उनको नमन और विनम्र श्रद्धांजलि। ऐसे प्रवावशाली इन्सान के बारे मे जानकर मन को प्रेरणा मिलती है ।
आभार
.
बाबूजी का व्यक्तित्व अनुकरणीय है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
.
बेहतरीन!!!!
बाबूजी, जिनसे जाने कितनी ही यादें जुड़ी होती हैं, प्रभावशाली शख्सियत को मेरा भी नमन... भावमय प्रस्तुति ।
sarita di
bhagvaan ne hame ek anmol ratan ke roop me maa aur -pita ji jaise dusare bhagvaan diye jine na rahne ki kami hame jivan bhar ek saja ke roop me lagati hai par sath hi sath unhone mahe itna kuchh diya jo jivan bhar hamaara marg -darshan karta rahega .housala rakhiye ye to kabhi bhi na bhoolne wala din jo jivan ke sath hi jayega. vastav me aapke babu ji ne aapko sahi niv me dhaala hai tabhi aap unke bataye aadarsho par chal rahi hai.isko aap babuji hi samjhiye.
jyada kya likhun mere bhi amma babuji nahi rahe .amma to isi saal janvary me saath chhod gain.ab mera bhi man dukhi ho chala hai isliye ab bas kartti hun.
धन्य हूँ
और
आभारी भी
प्रकृति की
पा कर
अतुलनीय
ये सौगात |
poonam
आपके बाबूजी बहुत ही महान व्यक्ति थे ! उनको मेरा शत शत नमन और विनम्र श्रधांजलि!
12 janwaree 1980... mere papa bhi nahin rahe aur aaj bhi bas yahi mann kahta hai
uncha aakash hai mandir uncha
per kab humne inko hai pooja...
pita ji ki punyatithi per shraddhanjli , aapki aankhon ki nami ko samajh sakti hun
5/10
गद्य को नाहक कविता का रूप दिया
बाबूजी के स्मृति में लिखी पंक्तियाँ दिल को गहराई से छूती हैं
आज आपने मझे भी अपने बाबूजी की याद बहुत गहराई से दिला दी है |मुझे भी नई जानकारियाँ बाबूजी से मिलती थीं |वे बहुत प्यार करते थे |
आपकी रचना से आपके पापा की खुशबू आरही है |
प्यारी रचना के लिए बधाई
आशा
धन्य हूँ
और
आभारी भी
प्रकृति की
पा कर
अतुलनीय
ये सौगात |
durga pooja me vyast hone ke karan waqt par nahi aa saki magar lekh aur kavita padhkar aankhe bhar aai ,aapke pita ji ka jeevan hamaare liye prernasrot liye huye hai aur bhi unki baate bataiyega jisse hamare hausale bane rahe .unhe shat shat naman .tumahari si jeevan ki jyoti hamare jeevan me bhi utare inhi shabdo se shradha arpit karti hoon unhe .kavita bahut hi sundar hai yaadon ki .
एक भावपूरित स्मरण है यह...!
अपके बाबू जी के व्यक्तित्व और बीमारी मे भी साहस न खोने से प्रेरणा स्त्रोत बन गये हैं। उनको विन्म्र श्र्द्धाँजली। शायद ऐसे लोग भुलाये भी नही भूलते। शुभकामनायें।
आपके पिता अतुलनीय थे .....
आपके पिता के प्रति हमारे श्रद्धासुमन....!!
mata pita se bdi koi cheej is duniya me nhi hoti hai our vo hmesha smrneey hote hai . aapne unhe shbdo ki shrndhnjli di,do pushp hum sbhi pathko ki trf se unhe arpit hai .
भावपूर्ण पोस्ट जो भावुक कर गयी...
आपके बाबूजी को नमन !!!
mata pita sabse najdeek ke apne aur rakshak hote hai..unkaa jana ye man sweekar nahi kar pata ...fir bhi hame apni jimmedariyon kaa vahan karna hota hai..unke bataye achhe marg par chal kar ham uneh sacchi sradhanjali de sakte hai... bahut sundar lekh..babu ji ko hamari bhaavbhini shradhanjali
आपकी पिता जी हमारी भाव भीनी श्रधांजलि .... कई व्यक्तित्व मानस पटल पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं .... माता पिता उनमें से एक हैं ....
अपने पूज्य बाबूजी के जरिए एक स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर व्यक्तित्व के दर्शन आपने कराए और ये जीवनदर्शन जीवंत किया कि हर क्षण संघर्ष होता है और व्यक्ति को कभी हार नहीं माननी चाहिए, न मन छोटा करना चाहिए।
Shraddhasuman aapke pita ji ko..unki vyaktitva ki yah yaaden humesha chhoton ko rasta dikhayengi..
मुझे भी आज अपने बाबूजी याद आ गये। वैसे भी पिता से बेटियों को अधिक प्यार-दुलार मिलता है। ब्लॉग पर आने का धन्यवाद।
bhawbhine sansmaran ke saath ek sunder kavita,bahot achchi lagi.
.
आदरणीय दीदी,
आपने भूल की तरफ ध्यान दिलाया और मेरा मान रखा । मैंने भूल सुधार कर ली है। आपने बड़े होने का कर्तव्य निभाया । मैं आपकी बहुत आभारी हूँ।
आपकी दिव्या।
.
Mommie - I feel very very lucky to have inspirational parents and grandparents..
P
मेरे बाबूजी भी 1980 में ही मुझे छोड़ कर चले गये थे। तब मेरी उम्र 18 वर्ष की थी। आपकी ढेर सारी पोस्टें जल्दी-जल्दी पढ़ गया। पता नहीं फिर ये ब्लॉग खुले या ना खुले।
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