का मन
हो अशांत
चारो ओर
भी तब वो
अशांति ही
फैलाता है
कोई कहे एक
बदले मे चार
वो सुना कर
ही चैन
अथाह पाता है
इस समय वो
दूसरो की
झूठी तारीफ
सुनकर भी
पूरा जल भुन
सा जाता है
मजेदार बात
ये है कि
खोट अपने मे
तो एक भी
पाता नहीं
दूसरो मे हजार
खोज लाता है ।
अपनत्व
25 comments:
खूब कहा है.
'खोट अपने में
तो एक भी
पाता नहीं
दूसरों में हजार
खोज लाता है'
वाह.
इस रचना को पढ़ कर लगा कि आपने आम घरों की हकीकत बयान कर दी ! मगर मुझे विश्वास है कि हम इसे समझने की कोशिश नहीं करेंगे :-)
... बहुत सुन्दर ... प्रसंशनीय रचना!
सही दिशा दिखा रही है यह रचना ...
'खोट अपने में
तो एक भी
पाता नहीं
दूसरों में हजार
खोज लाता है' बहुत सुन्दर......
कविता तल्ख़ वास्तविकता – (खोट -- झूठ, मक्कारी, जातीय दंभ) को सहज ढ़ंग से बेपर्द करती हुई प्रतिरोध के रूप में सामने आती है और पाठक में साहस की सृष्टि करती है। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
फ़ुरसत में …बूट पॉलिश!, करते देखिए, “मनोज” पर, मनोज कुमार को!
मन तो मन है, क्या कहें उसकी।
How true it is.... life becomes hell if you have even one person like this around you. We need to keep an open mind to see reason.
बुरा जो देखन मै चला
बुरा न मिलिया कोय
जो दिल खोजा अपना
मुझसे बुरा न कोय ....
सालो पहले कबीरजी कह कर गये है पर कहाँ ?
सुन्दर भाव |
ye to satya hai ,insaan apne ko bekasoor hi paata hai ,jaante huye bhi apni galti sweekar nahi karta .sundar sada ki tarah .
हर व्यक्ति आज एक एक दर्पण लिए घूम रहा है ताकि हर किसी को दिखाता फिरे कि तुमहारे चेहरे में कितने दाग़ है... कभी ख़ुद की शक्ल देखने की फ़ुर्सत नहीं उसे.. अनुकरणीय!!
मनुष्य प्रकृति ही कुछ ऐसी है,
जो दुखी होता है भीतर से,
वो ही औरों को सताता है ...
लिखते रहिये ...
मजेदार बात
ये है कि
खोट अपने मे
तो एक भी
पाता नहीं
दूसरो मे हजार
खोज लाता है ---------------------------सच ही लिखा है आपने --व्यक्ति अपने अन्दर नहीं झांकता वह बस दूसरों में अवगुण खोजता है--यही आज के ज्यादातर मनुष्यों का चरित्र है। नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनायें। पूनम
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
मरद उपजाए धान ! तो औरत बड़ी लच्छनमान !!, राजभाषा हिन्दी पर कहानी ऐसे बनी
मजेदार बात
ये है कि
खोट अपने मे
तो एक भी
पाता नहीं
दूसरो मे हजार
खोज लाता है ।
सही कहा आपने !
ये तो होता ही है ... अपने आप को बहुत कम लोग ग़लत कहते हैं .... बहुत सही लिखा है .....
अच्छा विचार है ।
वाह!!!सही कहा आपने
बहुत सटीक बात !
खोट अपने मे
तो एक भी
पाता नहीं
दूसरो मे हजार
खोज लाता है ।
- इंसान की यही फितरत उसे अशांत करती है |
simply nice!
सार्थक एवं प्रेरणाप्रद ।
अपकी यह पोस्ट अच्छी लगी।
हज़ामत पर टिप्पणी के लिए आभार!
बहुत खूब। आपने कबीर की याद दिलादी- जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोये
खोट अपने मे
तो एक भी
पाता नहीं
दूसरो मे हजार
खोज लाता है ...
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How true !
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