हमारे एक टीचर बताते थे कि सफलता के लिए इच्छा शक्ति और सामर्थ्य दोनों आवश्यक हैं ..अगर हों तो बस कर्त्तव्य ही उन इच्छओं को पूरा करने की सीढी है.. स्वार्थी न बनें हम लेकिन इच्छा है कि आप जल्दी वापस आएँ... बस इसी इंतज़ार में उस इच्छा पूर्ति के लिए कर्त्तव्य किए जा रहे हैं..जानते हुए कि आपके कर्त्तव्य महत्वपूर्ण हैं अभी… ऋद्धम को जन्म दिवस की एड्वांस में बधाई!!!
आपने ब्लॉग के नाम के बारे में पूछा है. सुरत शब्द का अर्थ उस चेतन तत्त्व से है जो रचा-पचा है. जो रचे-पचे के भाव से मुक्त हो जाता है, कहते हैं कि वह निरत हो जाता है. मुझे इस भाव में कहीं मुक्ति दिखाई पड़ती है.
अच्छी सोच और सम्वेदना बधाई आप मेरे ब्लाग पर अक्सर आती रहती है और पढती भी ये जानकर मुझे अच्छा लगा। आपका स्नेह और आर्शावाद मिलता रहें यही कामना है।
टिप्पणियों के आदान-प्रदान के मामले मे मै अगर प्रमादी न होता तो आज इतना उपेक्षित और निर्धन न होता...खैर! सब चलता है। आप और संगीता जी नियमित मुझे पढती रहें ऐसी कामना है
26 comments:
आज कल आप कर्तव्य निभा रही हैं ..यह तो जानते ही हैं ....
ज़िम्मेदारी यदि बिना निबाहे मात्र इच्छा को पूरा करने का प्रयास करें तो वो भी संभव नहीं है .....
अच्छी सोच ..
हमारे एक टीचर बताते थे कि सफलता के लिए इच्छा शक्ति और सामर्थ्य दोनों आवश्यक हैं ..अगर हों तो बस कर्त्तव्य ही उन इच्छओं को पूरा करने की सीढी है..
स्वार्थी न बनें हम लेकिन इच्छा है कि आप जल्दी वापस आएँ... बस इसी इंतज़ार में उस इच्छा पूर्ति के लिए कर्त्तव्य किए जा रहे हैं..जानते हुए कि आपके कर्त्तव्य महत्वपूर्ण हैं अभी… ऋद्धम को जन्म दिवस की एड्वांस में बधाई!!!
बहुत अच्छी प्रेरणा देती पँक्तियां बस हम अधिकार तो माँगते हैं मगर कर्तव्य निभाना ही भूल जाते हैं सुन्दर । बधाई
वाह ! जिसने इच्छाओं का दमन कर लिया , समझो बेडा पार हो गया । कम शब्दों में बड़े काम की बात कही है ।
बहुत सुंदर ...कर्तव्य और इच्छा के द्वंद्व में कर्तव्य का जीतना ही मनुष्य को कर्मशील बनाए रखता है ।
क्योंकि अन्दर से हमारा हृदय कर्तव्यों को समर्थन देता है।
bahut khoob
aap apni kavitaon mein hamesha jeevan ke saransh se kuch panktiyaan lati hai..aapki sadgi acchi lagti hai
Very True....
your poem ped aur patjhad is appearing in my reader but the page is not opening , please look into it.
just a few lines
you said the geeta
वाह! इसे कहते हैं छोटे पैकेट में बडी चीज..
मान गये..
अपनत्व जी ,
कविता अच्छी लगी .
प्लास्टिक के सम्बन्ध में प्रेषित आपका सुझाव स्वागत योग्य है ,धन्यवाद
पर्युषण पर्व की बधाई ,झमा याचना सहित .
bahut achhi preranaprad panktiyan...
bahut achhi lagi.. saadar
अपनत्व जी ,
वाह! प्रेरणा देती पँक्तियां
कविता अच्छी लगी .
यही संस्कार हम में कूट कूट कर भरे जाते हैं ना हमेशा की इच्छाओं का दमन कर के कर्ताव्व्यों को निभाओ...बस इसीलिए कर्ताव्व्य बाज़ी मार जाते हैं.
हर पल होंठों पे बसते हो, “अनामिका” पर, . देखिए
कर्तव्य को महत्व देती सुंदर बात ... अच्छा लिखा है ...
उम्दा रचना...
ये जंग काफी पुरानी हैं
डा.अजीत
www.shesh-fir.blogspot.com
प्रेरणा देती पँक्तियां
aapki choti sechoti kavitaaon mebahut si badi badi rachnao me baazi maar le jaane ki adbhut xhmta hai sarita di.
bahut hi achhi lagi.
poonam
bahut sahi baat kahi hai ,achchha laga padhna kai din ho gaye yahan aaye .
ऐसा न होता तो सच में हम इच्छाओं में उलझ कर रह जाते. जीवन तो कर्म में ही बेहतर कटता है.
हिन्दी दिवस पर आपको बहुत-बहुत बधाई।
http://sudhirraghav.blogspot.com/
आपने ब्लॉग के नाम के बारे में पूछा है. सुरत शब्द का अर्थ उस चेतन तत्त्व से है जो रचा-पचा है. जो रचे-पचे के भाव से मुक्त हो जाता है, कहते हैं कि वह निरत हो जाता है. मुझे इस भाव में कहीं मुक्ति दिखाई पड़ती है.
अच्छी सोच और सम्वेदना
बधाई
आप मेरे ब्लाग पर अक्सर आती रहती है और पढती भी ये जानकर मुझे अच्छा लगा।
आपका स्नेह और आर्शावाद मिलता रहें यही कामना है।
टिप्पणियों के आदान-प्रदान के मामले मे मै अगर प्रमादी न होता तो आज इतना उपेक्षित और निर्धन न होता...खैर! सब चलता है। आप और संगीता जी नियमित मुझे पढती रहें ऐसी कामना है
its very nice
प्रेरनादायी रचना,
यहाँ भी पधारें :-
अकेला कलम...
Post a Comment