अपनों के दुःख
दिल के करीब
आ बसते है और
अपने ही लगते है।
मिलते तो है सभीसे
पर अपने विचार
नहीं बाँट पाते
अब हम किसीसे ।
तभी तो सभी
की नजरो मे
अब यूं ही
तटस्थ से लगते है ।
अपनी प्रिय सहेली को खोने के बाद एहसास हुआ कि हर किसी से मन की बात नहीं की जा सकती । हमारी सोंच की सतह पर आकर उसी कोण से मसले को समझना सुनना और देखना सब के बस की बात भी तो नही ।
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46 comments:
Apno ke Dukh Dil ke kareeb aa basten hain ,apne hi lagten hain ....
tatasth lagten hain .
sundar bhaavbhumi !
veerubhai .
नहीं बाँट पाते
इन्हें आज हम
अब और किसीसे
तभी तो सभी
की नजरो मे हम
इसी वजह से
तटस्थ से लगते है ।
bilkul sahi kaha aapne aapni kavita ke zariye.
आप ठीक कह रही हैं ! हर सुनाने वाला अपनी परिस्थितियों ...उम्र और अनुभव से उसका अर्थ निकालता है !
तभी तो सभी
की नजरो मे
अब यूं ही
तटस्थ से लगते है।
बहुत सुंदर.. अच्छे भाव हैं।
नहीं बाँट पाते
इन्हें आज हम
अब और किसीसे
तभी तो सभी
की नजरो मे हम
इसी वजह से
तटस्थ से लगते है ।
गहन भावों के साथ ... बेहतरीन प्रस्तुति ।
Behad sahee baat kahee hai aapne! Aise kisee azeez ko khoke dil bahut soona ho jata hai.
सुंदर भावाभिव्यक्ति।
अपनों के दुःख
दिल के करीब
आ बसते है और
अपने ही लगते है।
....बहुत सच कहा है. अपना दुःख हर किसी से नहीं बांटा जा सकता, और इसी लए दुनियां शायद तटस्थ कहती है..बहुत ही सटीक और भावमयी प्रस्तुति..आभार
बिल्कुल सही कहा ..सबसे अपने विचार नहीं बांटे जा सकते ...
बिल्कुल सही कहा।
सचमुच दिल की बात कहने के लिए किसी अपने की ज़रूरत पड़ती है, और कोई अपना ही दर्द को महसूस भी करता है!
किसी अपने का दर्द अपना सा ही लगता है । यही तो है अपनापन । सुन्दर रचना जी ।
निज दुख गिरिसम रज करि जाना,
मित्र क दुख रज मेरू समाना।
पैमाना तो यही है।
di
bilkul sahi kaha di aapne. ham har kisi se apne dil ke jajbaat ko nahi baant sakte hain.sabki soch aur sabhi ki bhavnaaye jaruri nahi ki aapke vichar se mile koi ek hi aisa bmushkil mil paata hai vo bhi kismat se jise ham apna rajdaar bana skate hain
bahut hi sateek v yatharthpurn prastuti
di--dheere dheere apne aapko apne gam se bahar nikalne ki koshi sh kijiye .halanki ye itna aasan nahi hota par ishwar sahne ki xhmta bhi deta hai .varna jindgi ki gaadiin yaado ke beech hi ulajh kar rah jaati hai.
hardik naman
poonam
मिलते तो है सभीसे
पर अपने विचार
नहीं बाँट पाते
अब हम किसीसे ।
बिलकुल सही कहा है आपने हर किसी अपने जज़्बात नहीं बांटे जा सकते, उसे सुनने वाले का मन और विचार भी हमारे विचारों से मिलना जरूरी है... सुन्दर भावपूर्ण रचना...
गहन भावाभिव्यक्ति.
आपकी सहेली को श्रद्धा-सुमन .....
padhkar man udaas ho gaya.....bhawpurn kavita....
गहन भावाभिव्यक्ति| धन्यवाद|
अपने मन की बात कहनी हो तो मित्र से बढ़ कर संसार में क्या हो सकता है. माता-पिता की भाँति यह भी प्राकृतिक उपहार होता है.
यह भी उतना ही सच है कि एक सहारा टूट जाए तो दूसरा ढूँढ लेना चाहिए. आपको एक सहेली और मिले इसके लिए शुभकामनाएँ.
सहमत हूं !सुनने वाला अपने मनोभावों के अनुसार हमारे कहे हुए का आकलन करता है .....
vakai aisa hi hota hai...!
सरिता दी!
सच्ची बात है.. कितने बदनसीब हैं वो लोंग जिन्हें कोइ सच्चा दोस्त नहीं मिला!!!
Dear Aunty,
Good one...isi liey bahut baar parties mein itney sarey log hotey huey bhi hum akela feel kartey hain. Aapko jub mauka miley tub aap yeh blog check kijieyga aur feed back dijieyga: http://www.wintude.com/Peerless/
Best regards
Aabha
गहन भावों के साथ ... बेहतरीन प्रस्तुति ।
सहमत हूँ आपसे....गहन अभिव्यक्ति
सटीक और भावमयी प्रस्तुति..आभार
गहर दुख हो तो ऐसे विचार आने स्वाभाविक हैं ... पर कहीं न कहीं सत्य भी है इस बात में ...
बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आकर सुन्दर कविता पढ़ने को मिला जिसके लिए धन्यवाद! !
yes agree with you
its very difficult to share things with everyone.
ye to sach kaha sarita ji ,aatmiyata sabse nahi hoti ,aapka dard hara hai isliye sambhalana mushkil hai ,behad sundar rachna .hum sada saath hai .
Dear Aunty,
http://www.wintude.com/Peerless/
Yeh link jo meiney bheja hai...yeh merey blog ka link hai....jismey ki mein apni learnings and expressions share karti hoon....aapka feedback will be anmol!
Best regards
Abha
aaj ... sabkuch arthhin ho gaya hai ... aur jinke paas arth hai we shunyta me hain maun nirih
क्या कहूँ बस चुप ही रहना अच्छा लग रहा है जाने कहाँ खो गई हूँ........
sunder bhav ..!!
and thanks for liking my poem .Ur comments enabled me to come to ur blog and I have joined it ..!!
Thanks again.
सच है कि हर किसी से अपने दिल की बात नहीं हो सकती। किसी की बात को समझने के लिए उसी स्तर की मनोभूमि और भाव भूमि चाहिए होती है।
भावपूर्ण ये बात तो सच कि हर किसिस को दिल कि बात नहीं कही जाती
http://rimjhim2010.blogspot.com/2011/05/happy-mothers-day.html
सही कहा।सब की अपनी मनोस्थिति होती है। वैसे भी आज कल संवेदनाओं का अभाव सा है सुनता भी कौन है किसी की । शुभकामनायें।
बहुत भाग्य से मिलते हैं जिनके साथ दिल की बातें होती हैं।
नहीं बाँट पाते
इन्हें आज हम
अब और किसीसे
तभी तो सभी
की नजरो मे हम
इसी वजह से
तटस्थ से लगते है ।
ji bahut sahi kaha hai
sunder abhivyakti
badhai
mera id hai:
neelesh.nkj@gmail.com
or
9321359424
कुछ शब्दों में ज़िन्दगी की एक बहुत बड़ी सच्चाई लिख दी है आपने....
apno ke dukh dil ke kareeb .....waah ....kya likha hai aapne
अपनों के दुःख
दिल के करीब
आ बसते है और
अपने ही लगते है।
.ekdam sachhi baat..
अर्थ ने आकर्षित किया।
kam shabdon men sari baat.
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