Makkari ke aage saadgi ki chalti nahi, kitni bhi koshish kare wo, uski daak bilkul hai galti nahi.. Aaj apne desh ki sthiti ko dekh, yun lagta hai mujhko, makkar logo ki shaam kabhi yahan dhalti nahi.
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है कल (14-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
खुबसूरत ..शब्दों ..ओढ़े ..बेचारी ...अदृश्य कृपया इन शब्दों को इस तरह लिखें तो ज्यादा प्रभावी बन जाएगी आपकी रचना ...किसी बात की सहमति न हो तो मुझे माफ़ कर दीजियेगा ...आपका आभार इस रचना में जीवंत सत्य को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया गया है ...!
30 comments:
असलियत बिचारी
सादगी मे लिपटी
दबे पाँव वंहा से
शर्मींदगी से
लाचार हो
अद्रश्य ही हो जाए ।
बहुत बढ़िया ..... यही होते देखा है...
बहुधा यही होता है,
जहाँ सत्य नहीं होता है।
आज के समय में असलियत खिसक ही लेती है ...अच्छी प्रस्तुति
बढ़िया अभिव्यक्ति।
Wah! Kitnee saralta aur sundartaa se asliyat saamne rakh dee!
Bahut sahi kaha aapne...
Makkari ke aage saadgi ki chalti nahi,
kitni bhi koshish kare wo,
uski daak bilkul hai galti nahi..
Aaj apne desh ki sthiti ko dekh,
yun lagta hai mujhko,
makkar logo ki shaam kabhi yahan dhalti nahi.
असलियत को शर्मिंदगी नहीं बल्कि frustration से लाचार हो के चल पड़ती है .
बहुत खूब.
असलियत बिचारी....
सत्य वचन.. सुन्दर प्रस्तुति
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सही कहा है आपने .... बेहतरीन प्रस्तुति ।
सामान्य शब्दों में बड़ी बात कही आपने. सुंदर रचना.
असलियत बिचारी
सादगी मे लिपटी
दबे पाँव वंहा से
शर्मींदगी से
लाचार हो
अद्रश्य ही हो जाए ।
bahut badhiya sarita ji .aesa hi hota hai .
बहुत खूब .......शुभकामनायें आपको !!
सच है मक्कारी के सामने सच कहां टिक पाता है।
सही कहा । लेकिन सांच को आंच नहीं होती ।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....
असलियत बिचारी
सादगी मे लिपटी
दबे पाँव वंहा से
शर्मींदगी से
लाचार हो
अद्रश्य ही हो जाए ।
बहुत सुंदर...
बहुत खूब लिखा है आपने! यही है कलियुग...जो व्यक्त होना था वह अव्यक्त है, जिसे हाशिये पर रहना था वह मंच पर सुशोबित है.
असलियत बिचारी
सादगी मे लिपटी
दबे पाँव वंहा से
शर्मींदगी से
लाचार हो
अद्रश्य ही हो जाए ।
बहुत बढ़िया ,अच्छी प्रस्तुति....
सशक्त रचना । शुभकामनाएँ...
prabhavshali rachna.
कड़वा सच!!
bitter truth
तब उस समय
असलियत बिचारी
सादगी मे लिपटी
दबे पाँव वंहा से
शर्मींदगी से
लाचार हो
अद्रश्य ही हो जाए ।... phir se aane ke liye
खुबसूरत ..शब्दों ..ओढ़े ..बेचारी ...अदृश्य
कृपया इन शब्दों को इस तरह लिखें तो ज्यादा प्रभावी बन जाएगी आपकी रचना ...किसी बात की सहमति न हो तो मुझे माफ़ कर दीजियेगा ...आपका आभार
इस रचना में जीवंत सत्य को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया गया है ...!
बिलकुल सच कहा है आपने |
सही कहा है आपने...
असलियत बिचारी....खिसक ही लेती है ..
बढ़िया अभिव्यक्ति।
असलियत बिचारी
सादगी मे लिपटी........wah....bahut achcha laga.
बढ़िया अभिव्यक्ति।
सटीक ... लाजवाब ... सार्थक ... सच ....
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