सदा के लिये
एक लम्बे
सफर पर
हम सभी को
तनहा छोड़
भावनाए पीछा
कर रही
लगा रही
अब भी दौड़
जानती हूँ वो
अब लौट कर
कभी नही आएगी
अब यादे ही
साथ निभाएंगी
साथ बीते
कीमती लम्हों को
करीने से
लगाना है
यूं अभी व्यस्त
रहने का
मुझे मिल गया
बहाना है ।
२१ साल का साथ था हमारा । मुझसे बहुत छोटी भी थी ।
शैल तुम बहुत प्यारी हिम्मत वाली रही बड़ी सहजता से अपने दर्द को सहा पर उस दिन ना जाने कैसे तुम्हारा दर्द आँखों मे उतर आया और मेरी भावनाओ की पगडंडी पर दबे पाव चलता हुआ सीधे दिल मे उतर गया । अब तुम सदैव मेरे साथ हो ।
ये कैंसर दुबारा आ जाए तो किसी को नही बख्शता । जमीन आसमान एक कर दिया था शैलेन्द्र ने पर उनकी एक ना चली ।
cyber knife doctors टीम के सभी प्रयास विफल रहे ।
कल तेरही थी हम सब इकठ्ठा हुए थे और तुम्हारी जगह एक तस्वीर थी ......उफ तुम्हारे सभी परिचितों रिश्तेदारों और सहेलियों के चेहरों पर तुम्हे खोने का दर्द साफ़ दिख रहा था.......
तुमने हमारे दिलो पर राज किया था और सदैव करोगी ।
37 comments:
दर्दनाक यादें कभी पीछा नहीं छोडती ....भुलाने का प्रयत्न करें ..
यही जीवन है !
bhagwan unki aatma ko shanti di..!
ham aapka dard samajh sakte hain di!
वेदना यादों से भी मिलती है.... दुखद
कीमती लम्हों को
करीने से
लगाना है..
यादें वैसे भी व्यस्त रखती हैं ...
दुखद क्षण ..
बहुत ही दु:खद क्षण होते हैं ऐसे...एक दर्द में लिपटी हर याद ..मार्मिक प्रस्तुति ।
My condolences and prayers .
Take care and try and come more on the blogs...it helps a lot .
Keep yourself busy...
अपनो की यादें कब पीछा छोडती हैं…………भगवान आपको इस दुख को सहने की हिम्मत दे।
aapke dard ne udaas kar diya....apmen ise sahne ki himmat bani rahe...yahi kamna hai.
यादें ही बस एक सहारा होती हैं ... जाने वाले को यादों में ही जीना पढ़ता है ...
दुखद है अपनों को जाना ....
दुखद घटनाओं की यादें आर्द्र कर देती हैं।
जानती हूँ वो
अब लौट कर
कभी नही आएगी
अब यादे ही
साथ निभाएंगी
जाने वाले कभी नहीं आते जाने वालों की याद आती है... भगवान आपको इस दुख को सहने की हिम्मत दे. मार्मिक प्रस्तुति...
बहुत मार्मिक..इस तरह की दर्दनाक यादें जीवन भर पीछा नहीं छोडतीं..बहुत दुखद
अत्यंत दुखद समाचार। २१ वर्ष का साथ कभी भुलाया न जा सकेगा।
जाने वाला कभी नहीं लौटता । लेकिन वक्त धीरे धीरे सभी जख्म भर देता है ।
Uf! Bahut dard hua hai aapko....eeshwar shaktee de.
मार्मिक घटना, हृदयस्पर्शी कविता।
अपनों की यही यादें ज़िंदगी का सहारा भी बन जाती हैं।
यादें संजोये रखे । बस इतना ही कह सकते हैं ।
ऐसी पीड़ा सुन कर कई बार लगता है कि दुनिया को बनाने वाला निर्दयी है. क्या किया जाए हमें बनाया ही ऐसा गया है.
लाई हयात आए, कज़ा ले चली चले
अपनी खुशी न आए, न अपनी खुशी चले
जीवन जैसा है उसे वैसा ही लेना और सहना पड़ता है.
BAHUT KHOOBSOORAT AUR DARD BHARI PRASTUTI
kisi ki kami kabhi poori nahi ki jaa sakti ,aana jana jeevan hai magar is dard ke saath alag hone se taklif bahut hoti hai .hum aapke saath hai .
people leave us but memories always stay with us.
beautiful touching poem
भगवान आपको इस दुख को सहने की हिम्मत दे।
Vivek Jain vivj2000.blogspot.com
बहुत ही दु:खद क्षण, बहुत मार्मिक, निशब्द.....
अपनों के जाने के बाद ये यादें ही जीवन का सहारा बनती हैं । ईश्वर आपको और आपके परिवार को इस दु:ख को सहने की शक्ति दे......
sarita di
aapko unki yaado ko bahut hi komalta ke saath apne hriday me samet kar
rakhna hoga .
yah bahut hi dukhad pal hota hai par aap kahti hain na ki har paristhiti se ladne ke liye apne aapko majbut banana hoga. ishwar aapko bhi is dukhad mahoul se jald hi ubarenge .yahi mari dili prarthana hai.
man thda anmyasak ho gaya par kuchh kar nahi sakti.
bas aapka sambal bana rahe
sadar pranaam
poonam
true tribute!
अत्यंत दुखद समाचार. अपनों के खोने का गम असाधारण होता है. जल्द ही आप इन यादों से बहार निकालिए. किसी के भी जाने से जिंदगी नहीं रुकती, यह सोच कर दिल को सांत्वना देना है.
वेदना का सफर बाकि रह जाता है ।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जनयुद्ध
man ki vedna ka bahut hi marmik chitran
ओह .....
कौन थीं ये .....?
dukhad,maarmik.
kisi ke jane ki kami kabhi nahi bharti...ye yade hamesha unke roop me hamare sath rahti hain. apki us dost ko vinamr shradhanjali.
aap sabhee kee aabharee hoo me ise ghadee me sath nibhane ke liye.........
tahe dil se aabhar.
सरिता मैडम,
दुख हुआ ये सब जानकर। लेकिन इस चीज पर किसी का वश नहीं। समय ही है, जो ऐसे घाव बह्र सकता है।
एक अनुरोध है, मनप्रीत कौर का कमेंट यहाँ से डिलीट कर दें। अपनी मशहूरी के चक्कर में लोग इतनी जहमत भी नहीं उठाते कि देख तो लें कि पोस्ट में क्या लिखा है।
अश्रु शेष केवल आँखों में.... सपने तक नहीं आते हैं !
उस पीड़ा को क्या जानो तुम, जब अपने छोड़ के जाते हैं !!
याद तुम्ही को करना प्रतिपल, मेरे जर-जीवन की रीत !
तुमही नहीं रहे मेरे प्रिय ! किसे सुनाऊं अपने गीत !!
सचमुच अपनों को भुला पाना कितना मुश्किल होता है।
............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
हाल अपने घर का कुछ ऐसा है दोस्त, छत है नीची और सिर ऊँचा है दोस्त..
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