मेरी बड़ी बेटी के जीवन मे एक समय ऐसा था कि हर रविवार वो एक ख़ास रेस्टारेंट की एक ख़ास स्वीट डिश खाए बिना नहीं रह पाती थी ये दौर पूरे नौ महिने चला पर जैसे ही मातृत्व की जिम्मेदारी आई सब छूट गया।ना ही वो स्वाद याद रहा उसे । कल करीब १५ महिने बाद जब हम सेनफ्रांसिस्को के हॉस्पिटल से लौट रहे थे बहुत देर हो गयी थी सोचा कि खाना बाहर ही खा लिया जाए हम लोग उसी पुराने रेस्टोरेंट पहुचे देखते क्या है कि खाना ख़तम होते ही मेनेजर स्वयं उठ कर आए बिटिया से बात कीउसके बेटे से प्यार से मिले और उसकी पसंदीदा स्वीट डिश ऑफर की अपनी तरफ से । मै तो हतप्रभ थी .............उसे क्या पसंद था ये याद रखना..................लम्बे अन्तराल के बावजूद ............. सच ही विस्मित कर गया । लगता है आत्मीयता की कोई कोई राष्ट्रीयता नहीं होती सीमाए नहीं होती ।
मुझे तो इसे बटोरना बिखेरना दौनो ही बहुत पसंद है ।
मेरी बिटिया की knee surgery हुई है इसी से ब्लॉग पर नियमितता नही रही लेप टॉप का charger भी यंहा लेलिया है अब सावधान हो जाइये टिप्पणियों की बौछार से जो बचना है ।
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31 comments:
आत्मीयता की कोई कोई राष्ट्रीयता नहीं होती ...
ho bhi nahi sakti
सच कहा ..आत्मीयता बस आत्मीयता होती है ...
आपकी टिप्पणियों की बौछार का इंतज़ार है :):)
.आत्मीयता बस आत्मीयता होती है ...इसीलिए आपने अपने ब्लॉग का नाम भी अपनत्व रखा है ...सच है जो जिस बात को जी रहा है .वही उसने अपने ब्लॉग का नाम रखा है ......बेटी कैसी है अब ? .
रश्मिप्रभा जी की बात से सहमत हूँ ! बिटिया शीघ्र स्वस्थ हो यही कामना है !
शुभकामनायें आपको !
आत्मीयता ही समाज की डोर होती है
पोस्ट का पूर्वार्द्ध सचमुच प्रेरणादायक है और एक सच्चे मानवतावादी व्यक्ति का दृष्टांत प्रस्तुत करता है..वर्ना हमारे समाज में मानवतावादी होने का मुखौटा लगाए कई लोग घूमते दिखाई देते हैं.
पोस्ट का उत्तरार्द्ध तो आपसे मालूम करता रहा था, इसलिए शुभकामनाएँ पुनः...
मुझे तो आपकी वो मेल भी नहीं भूलती जो आपने जल्दी जल्दी में मुझे लिखी थी कि अचानक 'फ्रिस्को जाना पड़ रहा है.. सो स्वीट ऑफ यू!! आप बारिश करती रहिये टिप्पणियों की, हम छाता भी नहीं लगाने वाले!!
sarita di ,
aapka inatjar man me to tha pra yahi lagta tha ki koi aisa karan jaroor haoga jiske chalte aap blog par nahi dikh rahi thi .aapse mujhe bahut sambal milta hai.aisi samasya har kisi ke saath hoti rahti hai. bas1 aapdil se jude rahiyega yahi ishwar se chahti hun.
aapne jo bhi vahan par mahsus kaiya ,vah vastav me saty haiaatmiyta ki koi paribhasha nahi hoti .vah to har ek insaan ke andar chhupi hoti ha bahut hi sateek baat kahi hai aapne.
dhanyvaad sahit--------- poonam
आत्मीयता तो आत्मा से आती है, और आत्मा तो हर जगह है हर किसी के अन्दर है | जानकार अच्छा लगा इस आत्मीयता के दर्शन हुए...
आपकी बेटी का स्वास्थ्य जल्द ठीक हो यही दुआ है....
मेरे नए बसेरे में पधारें..
इन्ही छोटी छोटी अच्छी बातों से सकारात्मकता बढती है. एक अच्छी पोस्ट. टिप्पणियों की बौछार का इंतज़ार है
कुछ व्यक्तित्व इसी तरह से अपनी छाप छोड़ जाते हैं दूसरों के मन में ... बहुत प्रेरणा मिलती है ...
आत्मीयता की कोई कोई राष्ट्रीयता नहीं होती सीमाए नहीं होती ।
--
जी हाँ मानवता होनी चाहिए!
और इसका पहला पाठ है प्यार!
सच आत्मीयता की कोई राष्ट्रीयता और सीमा नहीं होती.
बेटी तो अब सर्जरी के बाद ठीक है न मैडम ?
यह जीवन का आनन्द भी है
बिटिया शीघ्र स्वस्थ हो यही कामना है !आत्मीयता बस आत्मीयता होती है ...
बहुत शुभकामना आपको, आत्मीयता ये शब्द ही अपनी कहांनी खुद कह रहा है, आत्मा मतलब ???????????????????????इससे ही ये शब्द बना है!!!!!!!!!!!!!!!!
वाह बहुत सुन्दर ! आत्मीयता बस आत्मीयता होती है ! उम्दा पोस्ट !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com
कई बार छोटी छोटी बातें कितना सुख दे जातीं हैं ....मैनेजर का उठ कर आना और पूछना सच में अप्रत्याशित घटना है ....इसी तरह मेरे साथ एक घटना हुई थी ...पोस्ट ऑफिस गई थी कुछ पत्र स्पीड पोस्ट करने ....जो व्यक्ति काउंटर पर बैठा था उसने मेरी तरफ यूँ ऊँगली तानी कि मैं घबरा सी गई ....पर उसकी पूरी बात सुन मुस्कराहट तैर गई होंठों पे ....वह याद करते हुए बोला आपको .....टी वी पे देखा था ...उस दिनों दूरदर्शन पे एक कवि गोष्ठी हुई थी ....
आत्मीयता का सृजन एक दिन में नही होता है।
Sach kahaa aapne
सच कहा है आत्मीयता की कोई राष्ट्रीयता नहीं होती.बहुत भावपूर्ण पोस्ट. आभार .
aatmiyata abhi bhi zinda hai yah sunkar bahut achcha laga.
आत्मीयता की कोई कोई राष्ट्रीयता नहीं होती ...बहुत ही गहरी बात कही आपने ..।
Sarita ji
i am visiting your blog after so many months !!
"आत्मीयता" an excellent post !!
there is no cast creed religion or national boundaries for a feeling which we call "आत्मीयता"
too good....
my best wishes to Prashee for speedy recovery
सच कहा है आपने आत्मीयता की कोई जात पन्त नहीं होती |वैसे मै तो कहूँगी जो जैसा होता है संसार उसे वैसे ही दीखता है आप जैसा आत्मीय कोई नहीं है ?बिटिया स्वस्थ हो शीघ्र ,बहुत बहुत शुभकामनाये |हमे तो बोछार बहुत भाती है |
मै मार्च तक बेंगलोर आउंगी क्योकि जनवरी फरवरी माह में तीन शदिया है |
अब तो आपसे मिलने को बहुत उत्सुक हूँ \
सच मे आत्मीयता की कोई राष्ट्रियता नही होता। मै भी कैलिफोर्निया के लोगों का स्नेह देख चुकी हूँ सच मे मुझे प्रभावित किया उनकी सुहृ्दयता ने। धन्यवाद। आपको नानी बनने पर बहुत बहुत बधाई।
ekdam saty kaha..
आत्मीयता की कोई कोई राष्ट्रीयता नहीं होती सीमाए नहीं होती ।
सच कहा है आपने, आत्मीयता किसी जाति-देश-धर्म की बपौती नहीं है।
आपकी बिटिया के स्वास्थ्यलाभ की कामना करते हैं, और ये बौछार वाली बात भली कही आपने- कौन है भला जो अपनत्व की बौछार से बचना चाहेगा?
रचना पढ़ कर सुखद अनुभूति हुई। बधाई।
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
आत्मीयता की कोई कोई राष्ट्रीयता नहीं होती .....
आपकी यह पोस्ट ख़ास कर उद्धृत पंक्ति पढ़ कर भाव-विह्वल हो गया........ सात समंदर पार ऐसी आत्मीयता !
धन्यवाद !!
लगता है आत्मीयता की कोई कोई राष्ट्रीयता नहीं होती सीमाए नहीं होती ।
मुझे तो इसे बटोरना बिखेरना दौनो ही बहुत पसंद है ।
इस लाजवाब और लजीज पसंद को सलाम। बहुत सुन्दर टिप्पणी है आपकी ।
I thought it was going to be some boring old post, but it really compensated for my time. I will post a link to this page on my blog. I am sure my visitors will find that very useful.
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