रिश्तों की डोर के बारे में तो यही कहते हैं, सरिता दी, कि यह कच्चे धागे से बनी डोर होती है... जुड़ती बहुत मुश्किल और मज़बूती से है और टूटती बहुत आसानी से है.. हाँ रहीम ने कहा है कि एक बार टूट जाए तो बस गाँठ रह जाती है!!... वैसे आपकी सीख भी गाँठ बाँधकर रखने योग्य होती हैं!!
30 comments:
सर्वोत्तम विचार ।
सच कहा आपने but it is two way traffic madam.
एक आदमी सम्बन्धों की डोर मजबूत करना चाहे और दूसरा उसे बेवकूफ समझे ऐसे में डोर का मजबूत होना संभव नहीं.
आपके दृष्टिकोण में मानवता बीज रूप में छिपी है. बहुत सुंदर विचार.
यह डोर सहारा भी देती है, उलझाती भी है।
बिलकुल सटीक ...डोर न लंबी हो न छोटी ...उलझाने से बची रहेगी ...
रिश्तों की डोर के बारे में तो यही कहते हैं, सरिता दी, कि यह कच्चे धागे से बनी डोर होती है... जुड़ती बहुत मुश्किल और मज़बूती से है और टूटती बहुत आसानी से है.. हाँ रहीम ने कहा है कि
एक बार टूट जाए तो बस गाँठ रह जाती है!!...
वैसे आपकी सीख भी गाँठ बाँधकर रखने योग्य होती हैं!!
रिश्तों की डोर अक्सर टेढ़ी मेढ़ी होती ही है
सुलझाने का ख्याल छोड़ दिया है मैंने तो
इंसानियत की डोर को पकड़ रखा है
देखें कहाँ तक जाती है !!
लाजवाब अच्छा विश्लेषण
कमाल की पोस्ट ...सब कुछ तो इसी में है ! बस ध्यान कोई नहीं देता सरिता जी ...
हार्दिक शुभकामनायें !
सही है इससे ही तो यह बंधन मज़बूत होता है।
... atisundar !!!
कम शब्दों में खूब कहा...... सटीक बात
शुभ सन्देश !
जिन्दगी में इस डोर को संभाल कर रखना बहुत बड़ी बात है ....यानि जीवन की सफलता ...शुक्रिया
बहुत ही सुन्दर रचना....
मैंने अपना पुराना ब्लॉग खो दिया है..
कृपया मेरे नए ब्लॉग को फोलो करें... मेरा नया बसेरा.......
saral, sukshm, gahan vichaar
आपने बिल्कुल सही फरमाया
di aapne sarwottam dor bata diya....:)
di jaldi seb mere blog pe aaiye:)
mera accident ho rakha hai....get well soon bhi likh dijiyega:P
Bade dinon baad aapne post likhi hai!
Chhoti-si rachana me bahut badee-si baat kah gayeen hain aap!
सुन्दर सन्देश
'उलझन में उलझे बिना उलझन नहीं सुलझती'
ek dum pate ke baat kahi hai aapne....
आपकी रचना उपयोगी ही नहीं प्रेरक भी है!
सुन्दर और सटीक सन्देश
सुन्दर सन्देश देती सुन्दर रचना ।
sundar vichaar!
कहीं यह कर पाना बहुत आसान होता है, और कहीं बहुत दुश्वार।
विचार बहुत उत्तम है, प्रेरणा लेने लायक।
बहुत सुंदर विचार!
सच कहा .. सचाई से किसी भी रिश्ते या किसी भी बात को निभाना आधा काम तो अपने आप ही कर देता है ...
its relations which makes our world so beautiful ..... very thought provoking post..
सही कहा आपने!! रिश्तों की डोर की मजबूती है-
प्यार,विश्वास और एक-दूसरे का respect.
जो आजकल कम होता दिखाई देता है.
रहीमजी ने ठीक ही कहा है-
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटके!
टूटे से फिर न जुढ़े जुढ़े गाँठ पद जाए!!
इसलिए रिश्तों की कद्र करें,
रिश्तों में प्यार बना के रखें
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