Friday, November 12, 2010

सुधि

गत मॉस कैसे बीत गयो

हमनो कछु सुधि नाही

खयालों के जाल जो बुने

फंस रह गए बिन माही ।

18 comments:

Bharat Bhushan said...

आप काफी दिनों तक ब्लॉग्स पर नहीं दिखी. आशा है आप स्वस्थ होंगीं. ऐसे ख्यालों के जाल से आप बाहर आईं अच्छा लगा.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

di!! deepawali beet gaee, post deewali ki subhkamnaye kabool karen!!

samajh nahi paaya, aapki baat ko..........kahan busy ho aap, jo pura mahina beet gaya, aapko pata na chala...:)

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अब तो सुधि लीजिए

kshama said...

Are wah! Maza aa gaya!

Anonymous said...

chaliye ab to sudh le lijiye. Aapki aane wali rachnaon ka intzaar.

ज्योति सिंह said...

achchha laga ,ye samya yoon hi gujar jata hai .

sangeeta said...

Hope you were busy in great thoughts .. acchhe khayalo me.

Satish Saxena said...

अक्सर ऐसा हो जाता है ....शुभकामनायें

डॉ. मोनिका शर्मा said...

ख्यालों का जाल किसे छोड़ता है..... सुंदर मनोभाव

प्रवीण पाण्डेय said...

न हम खाली, न तुम खाली।...

Kunwar Kusumesh said...

मुझको आपकी कविता पे वो गाना याद आ गया :
"कब लोगे खबर मोरे राम,बड़ी देर भई"
सुधि आएगी,चिंता न करिये.

कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com

मनोज कुमार said...

इन चार पंक्तियों से काम नहीं चलेगा। ये दिल मांगे मोर!

Dr Varsha Singh said...

yoon hi likhti rahiye, dikhti rahiye.

रचना दीक्षित said...

चलिए हम सब कि याद तो आई ....

पूनम श्रीवास्तव said...

sarita di,
bahut hi achhi lagi is bhashhha me aapki yah kavita.
bahut hi sundar-------
aap svasth to hai?
poonam

mridula pradhan said...

gagar men sagar jaisi char linen hain.

दिगम्बर नासवा said...

अपने ख्यालों को शब्दों में बांधें ... आपसे चेट करना बहुत अच्छा लगा उस दिन ....

Parul kanani said...

:) gud one!