Tuesday, July 20, 2010

स्पष्टवादिता

स्पष्टवादिता सत्य तथ्य ईमान पारदर्शिता सभी हाथ मे हाथ लिये साथ साथ घूमा करते है पर देखिये समय की विडम्बना
स्पष्टवादिता के शव को एक भी कन्धा नहीं मिलता है ।

23 comments:

Satish Saxena said...

समय ही ऐसा है, किसे दोष दें ??

मनोज कुमार said...

सच कहा है आपने।
स्पष्टवादिता --
मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं ;
शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे।

SATYA said...

ऐसा समय चल रहा है कि इस समय को देख कर यह कहना ग़लत नहीं होगा कि आगे चल कर कन्धा क्या शायद ज़मीन भी नसीब ना हो।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक विचार....आपकी गिनाई हर बात आज बस ढूँढते रह जाते हैं...

रश्मि प्रभा... said...

kaun dega kandha, sabko apni padi hai

Parul kanani said...

gagar mein sagar hai..!

वाणी गीत said...

कौन दे कंधा ...हम सब अपने हितों से जुड़े हुए हैं ...!

Anonymous said...

"स्पष्टवादिता के शव को एक भी कन्धा नहीं मिलता है।"
हममें से जो इसे सही मानते हैं और सच या स्पष्टवादिता की बात करते हैं वो खुद ही कन्धा देने को तैयार नहीं तो जो विरोधी है वो क्यों देंगे - हम जो करते नहीं उससे कहते क्यों हैं? कथनी और करनी एक हो तब ना.

कविता रावत said...

Aaj yahi katu satya hai....

रचना दीक्षित said...

कटु सत्य, सच तो ये की .यही है आज के जीवन का यथार्थ

दिगम्बर नासवा said...

सच कहा ... सोलह आने सच ... आज कल स्पष्टवादिता का ज़माना नही है ....

डॉ टी एस दराल said...

थोड़ी डिप्लोमेसी ही सही है जी ।

सम्वेदना के स्वर said...

सच है!!तभी तो स्पष्टवादिता अपनी लाश ख़ुद अपने कांधे पर ढोने को विवश है...

सम्वेदना के स्वर said...

लंदन प्रवास की शुभेच्छा!!
प्रतीक्षा रहेगी, जल्दी लौटिए!

ZEAL said...

.
स्पष्टवादिता को जो कंधे उठा सकें, वो अभी बने ही नहीं।
.

ज्योति सिंह said...

aaj kahan ?phir bhi khoj rahe hai ,sundar ,manoj ji sahi kahte hai .

मनोज भारती said...

स्पष्टवादिता खानाबदोष है ...स्वयं अपने कंधे पर सवार ।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

स्पष्टवादिता????? नाम कुछ सुना सुना बुझाता है... आज से नहीं, जुग जुग से... कभी सुकरात के नाम से, कभी पाइथागोरस के नाम से… ओही हैं न जिसको खुद से अपना सलीब ढोकर लाना पड़ा था, जिसमें उसको कील से ठोंक दिया गया??
+++
बहुत सूना सूना लगेगा..जल्दी आ जाइएगा... हमरा सुभकामना!!

रश्मि प्रभा... said...

number? ... ghumana zaruri hai ? chay pine aa hi jaiye

पूनम श्रीवास्तव said...

WAh! kya baat likhi hai aapne .ekdam sateek.
poonam

रचना दीक्षित said...

where are you now a days ???????

अंजना said...

सटीक विचार..

nilesh mathur said...

माफ़ कीजियेगा स्पष्टवादिता को किसी के कन्धों की ज़रूरत नहीं होती!