Tuesday, July 13, 2010

सवाल

सयानी बाला के विवाह की जब बात चलती है तो उसे ये ही लगता है कि जीवन मे उसके अरमानो को लूटने ही
आगंतुक आ रहा है ...............जीवन मे ...........
उसका जीवन बदल जाएगा ...........
अस्तव्यस्त हो जाएगा ..........
आशंकाए भी जन्म लेती है ............
पर ऐसा कुछ होता नहीं ...........
आत्म विश्वास और एक दुसरे पर पूरा विश्वास बहुत काम आता है ..........


लूटने जो आया था
लुट कर रह गया
रंग एक का दूसरे पर
फिर चोखा चड गया ।

होनी को कोई
ना टाल है सका
वक्त कंहा रोके
से किसी के रुका ?

आजन्म गिरफ्त की
मिल गयी थी सजा
उन्हें बड़ो की भी
मिली थी पूरी रज़ा ।

अब सैतीस साल
बाद उठा है बवाल
कौन किसकी गिरफ्त मे ?
ये है बड़ा सवाल ।

30 comments:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...
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soni garg goyal said...

jitna samjh aaya utna achha laga ..........

दिगम्बर नासवा said...

Shayad dono hi ek dooje ki giraft mein hain ... Aaj koi vishesh din hai to bahut bahut badhaai ...
Rachna aur sandesh ... dono hi lajawaab hain ...

soni garg goyal said...

अभी सब कुछ समझ आ गया लेकिन "जीवन में उसके अरमानो को लूटने कोई आगंतुक आ रहा है " It's tooo scary .........

रश्मि प्रभा... said...

achhi lagi

ZEAL said...

This is the most beautiful prison. Only lucky ones can get a chance to avail this imprisonment.

Nice post !

Parul kanani said...

ye sawaal jindagi ka hai ..acchi rachna :)

डॉ टी एस दराल said...

सैंतीस साल में तो अपनी अपनी पहचान भूलकर एक हो जाते हैं ।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

फ्रायड साहब त कहते हैं कि एतना साल में त दुनो का सकल भी आपस में मिलने लगता है... मतलब ई कि खरबूजा को देखकर खरबूजा रंग बदलने लगता है अऊर दुनो खरबूजा एक्के रंग का हो जाता है… लाली देखन मैं चली, मैं भी हो गई लाल के जईसा... परमपिता से एही प्रार्थना है कि ई 37 साल का सम्बंध जुबलियों में बदलता जाए... हमारी तरफ से उनको भी प्रणाम!!!

सम्वेदना के स्वर said...

ऐसी ख़ूबसूरत क़ैद सब को नसीब हो...जब तक ये दुनिया कायम है आपकी उम्र क़ैद बरकरार रहे...आमीन!!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

अब सैतीस साल
बाद उठा है बवाल
कौन किसकी गिरफ्त मे ?
ये है बड़ा सवाल
...vaakaii ye to bada saval hai.

Swatantra said...

wow!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

एक दूसरे की गिरफ्त में हैं.... :):)

Satish Saxena said...

आखिरी लाइने बहुत मनभावन हैं, ख़ूबसूरत रचना बिलकुल आपकी तरह !

शोभना चौरे said...

apntvji bahut achhi lgi apki yh anubhvi kavita .
mai jaldi hi benglor aane vali hoo kya mulakat ho payegi ?

शोभना चौरे said...

aapka mail id mil skta hai ?

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

नारी मन के भावों को बडी खूबसूरती से उकेरा है आपने।
................
पॉल बाबा का रहस्य।
आपकी प्रोफाइल कमेंट खा रही है?.

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut hi badhiya likha hai aapne.sach me giraft me aane ke baad vo bhi saintees saal baad fir vichar bhasha shaili sab ka to ek duje par rang chadh hi jaata hai.
poonam

kayal said...

kuch simaye todna
kuch bana lena
kuch riste todna
kuch jodna
ek dayare se nikal kar
doosra dayara bana lena
kuch judna kuch bikharna
shayad yehi zindagi hain

मनोज भारती said...

अब तो यह सवाल नहीं रहना चाहिए ।

Vinay said...

बहुत सुन्दर कल्पना और कृति

पंकज मिश्रा said...

बेहतरीन।
बहुत सुन्दर कृति।

आचार्य परशुराम राय said...

जिन्दगी अपने आप में एक गिरफ्त है और इसमें अनेक गिरफ्तें हैं। एक गिरफ्त और सही।

कडुवासच said...

...बेहतरीन!!!

कविता रावत said...

होनी को कोई
ना टाल है सका
वक्त कंहा रोके
से किसी के रुका ?
...sach mein vqkt ko kaun rok saka hai...

अनामिका की सदायें ...... said...

अभी भी ये पूछा जा रहा है ?
अब तो गिरफ्त का सवाल ही नहीं होना चाहिए.

कभी हमारी गलियों में भी आओ.

sandhyagupta said...

Aap hi uttar de den! shubkamnayen.

ज्योति सिंह said...

अब सैतीस साल
बाद उठा है बवाल
कौन किसकी गिरफ्त मे ?
ये है बड़ा सवाल
bahut sahi hai
bhed baad me hi khulte hai .
main nagpur gayi rahi abhi lauti hoon is karan samya par nahi aa saki .

रचना दीक्षित said...

अब सैतीस साल
बाद उठा है बवाल
कौन किसकी गिरफ्त मे ?
ये है बड़ा सवाल ।
इसमें मुश्किल क्या थी कह देना था " हमें एक दुसरे से मुहब्बत है.. है... और है..." पर ये पता करने जरुरत क्यों आ गयी????? "मुबारक हो"

एक विचार said...

सराहनीय ।