Thursday, October 29, 2009

आलस

आलस है हमारे मन की
एक ऐसी अनचाही उपज
जीवन मे समां जाए तो
दिनचर्या जाती है उलझ ।

जंहा आलस आकर
जीवन मे डाले डेरा ।
वंहा उत्साह उमंग भी
नही करते है बसेरा ।

आलस की चादर
जो कोई भी ओडे
स्वावलंबन तुंरत ही
उनका अंगना छोडे ।

आलस है एक शायद
मानसिक कमजोरी ।
चंगुल से निकलना इसके
सभी के लिये है बहुत जरूरी।

आलस हमारे जीवन मे
एक वाधा बन कर है आता ।
और इसके राज्य मे
जीवन घिसटता चला जाता ।

आलसी को कौन समझाए
सब कुछ पा सकते हो
पर खोया समय कभी
लौट कर हाथ ना आए


अवसर तो फिर भी कभी कभार
आलसी के घर कुंडी खटखटाए ।
घुटने टेक सोया आलसी का आत्मबल
दरवाजा भी समय पर खोल न पाए ।

13 comments:

रश्मि प्रभा... said...

aur phir pachtaye hot kya.........bahut achhi rachna

पूनम श्रीवास्तव said...

आलस हमारे जीवन मे
एक वाधा बन कर है आता ।
और इसके राज्य मे
जीवन घिसटता चला जाता ।
आलस को लेकर आपने बहित सुन्दर और रोचक कविता लिखी है।
शुभकामनायें।
पूनम

निर्मला कपिला said...

आलसी को कौन समझाए
सब कुछ पा सकते हो
पर खोया समय कभी
लौट कर हाथ ना आए ।
बिलकुल सही कहा है बहुत अच्छी रचना है बधाइ

कविता रावत said...

आलसी को कौन समझाए
सब कुछ पा सकते हो
पर खोया समय कभी
लौट कर हाथ ना आए

Bilkul sahi kaha aapne aalsaya hamara sabse bada aantrik shatru hai. Isse satark rahane mein bhi bhalai hai.

कविता रावत said...

आलसी को कौन समझाए
सब कुछ पा सकते हो
पर खोया समय कभी
लौट कर हाथ ना आए

Bilkul sahi kaha aapne aalsaya hamara sabse bada aantrik shatru hai. Isse satark rahane mein bhi bhalai hai.

नीरज गोस्वामी said...

चाणक्य का संस्कृत में एक पद है "आलस्‍यो हि मनुष्‍यांणां महारिपु:" जिसका अर्थ है ' आलस्‍य ही मनुष्‍य का महाशत्रु है...." आपने इसी पद को विस्तार से अपनी रचना में बहुत अच्छे से समझाया है...वाह...बहुत प्रेरक रचना...
नीरज

abdul hai said...

Nice written

रानी पात्रिक said...

क्या लयबद्धता है। आपकी कविता बहुत अच्छी लगी।अब कम्प्यूटर पर से उठ जाऊं क्या। घर का काम छोड़ यहाँ बैठी हूँ :-) क्या पता ये भी आलस हो।

Anonymous said...

आलस को छोड़ में रोज आपका ब्लॉग देखता हु जीससे अच्हा पड़ने को मिले

दिगम्बर नासवा said...

achha likha hai .... aalas jeevan ke dard ko badha deta hai ....

Apanatva said...

आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद .

Urmi said...

बहुत सुंदर और सठिक बात कही है आपने! अत्यन्त सुंदर रचना! जो वक्त बीत जाता है वो कभी लौट कर नहीं आता इसलिए किसीको भी आलस नहीं होना चाहिए बल्कि हमेशा सही वक्त पर काम खत्म कर लेना चाहिए!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कितनी अच्छी सीख दी है.....जो आलस करेगा वो सफलता का मार्ग नहीं प्राप्त कर सकता