जब भी पाती हूँ
अपने को तनहा
जाने कैसे खबर
पा जाते है वो
मुरझाए टूटे
बिखरे -बिखरे
जर्जर से
घायल ख्वाब
मेरे पास खिचे
चले आते है
फ़ौरन बिना कोई
दस्तख दिए
जैसे कि
पनाह लेने
और मै
सब भुला
इनकी तीमारदारी में
इनको सजाने
संवारने में
हो जाती हूँ
इतनी मशगूल कि
समय के गुजरने का
एहसास ही
कंहा हो पाता है
अपने को तनहा
जाने कैसे खबर
पा जाते है वो
मुरझाए टूटे
बिखरे -बिखरे
जर्जर से
घायल ख्वाब
मेरे पास खिचे
चले आते है
फ़ौरन बिना कोई
दस्तख दिए
जैसे कि
पनाह लेने
और मै
सब भुला
इनकी तीमारदारी में
इनको सजाने
संवारने में
हो जाती हूँ
इतनी मशगूल कि
समय के गुजरने का
एहसास ही
कंहा हो पाता है
19 comments:
keep spirits up.
keep spirit up
इनके जैसा साथी नहीं....!
स्मृतियाँ सहलाने पहुँच जाती हैं..
ख्वाब आते रहें नित नए तो जीना आसान हो जाता है ... जीवन ऐसे बेटे तो कितना अच्छा ...
सचमुच ख्वाबों की वजह से ही हमारी दुनिया इतनी खूबसूरत हैं। भले ही वो कितने जर्जर ही क्यों न हो गए हों।
सतीश सक्सेना has left a new comment on your post "तनहा":
इंशा अब इन्हीं अज़नबियों में,
चैन से सारी उम्र कटे ....
मंगल कामनाएं आपके लिए !
samay bitane ka achcha tareeka hai......
सुंदर रचना
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग मैं भी सम्मलित हों
jyoti-khare.blogspot.in
बहुत ही उत्तम पोस्ट,बधाई....
अच्छी रचना,
बहुत सुंदर
दो साल के बाद फिर से ब्लाग जगत में आ रहा हूँ । बहुत खूब लिखा आपने । सुन्दर भाव ।
बहुत सुंदर
आपके स्वास्थ्य के लिए मंगल कामनाएं..
bahut hi sundar
bahut hi sundar
bahut hi sundar
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन: कोई दूर से आवाज़ दे चले आओ मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुन्दर अहसास
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