चुनाव की गरमा गरमी
होगई है अब शुरू
यंहा चेला तो कोई दिखता नहीं
सब ही है बस गुरु ।
अन्ना ने किया आन्दोलन
और थे कुछ मुद्दे भी उठाए
लोकपाल का मुद्दा पिछड़ गया
वोटपाल जो है सर उठाए ।
एक दूसरे को नीचा दिखाने की
बस लग गयी है आपस मे होड़
कीचड उछालने मे है लगे सभी
अपनी सभ्यता संस्कृति को छोड़ ।
शर्म आज नेताओ को आती नहीं
मोटी होगई है इनकी चमड़ी
जनहित करने आए थे भूल गए
घोटालों की भ्रष्ट राह जो पकड़ी ।
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35 comments:
सुंदर अभिव्यक्ति..
दीदी! आईना दिखाया है आपने बेशर्मों को.. मगर एक बात है, आप पर भी राजनीति के रंग दिखाई देने लगे हैं!! :)
सटीक और समसामयिक रचना ..
इस बार वोटरों का निर्णय पुनः देखना है।
सार्थक व सटीक प्रस्तुति ।
बहुत बढ़िया..
didi sabse pahle nav varsh ki shubhkanayen...:)
aapkee rachna to behtareen hoti hi hai!
Hello Ma'am, Really beautiful touch you have given! I would really love to get in touch with you! Please get me your email id!
Thank you!
Regards,
Preethi Kashyap
Editor-in-chief
IUeMAG(www.iuindia.com)
preethirkashyap@gmail.com
एक दूसरे को नीचा दिखाने की
बस लग गयी है आपस मे होड़
कीचड उछालने मे है लगे सभी
अपनी सभ्यता संस्कृति को छोड़ ।
Shatpratishat sach hai ye!
Naya saal bahut mubarak ho!
ab to yahi zamaana hai... :(
नेताओं पर एक करारा व्यंग्य. आभार !!
वोटपाल के चक्कर में लूट-खसोटपाल नेता बन गए हैं नोंचपाल, चोटपाल!!
Sahi likha hai ... Ye Neta moti chamdi ke bane hote hai ... Lajawab abhivyakti. ...
Vah kya khoob likhati hain ap ......aj ki halalat pr prabhavshali prastuti ...abhar ke sath hi badhai
nice mam
"यंहा चेला तो कोई दिखता नहीं
सब ही है बस गुरु ।"
एकदम सही:)
"यंहा चेला तो कोई दिखता नहीं
सब ही है बस गुरु ।"
एकदम सही:)
एक बात तो प्रमाणित हो चुकी है कि नेताओं पर ग़रीबों की हाय नहीं पड़ती. देखते हैं अब आपका गुस्सा क्या रंग लाता है :))
samyik bahut achchi lagi.
samyik bahut achchi lagi.
चलिए चुनावी गर्मागर्मी में आप फिल से ब्लग पर नजर आ गई ...स्वागत है ..साथ में चुनाव पर क्या कहूं..सब तो आपने कह ही दिया है..इसलिए मेरी पोस्ट मे से फिलहाल चुनाव को और कुछ दिन के लिए तड़ी पार किया मैने
अच्छा व्यंग्य किया है आपने इस कविता में।
बहुत बढि़या।
सहज, सरल एवं सुन्दर प्रस्तुति....
कृपया इसे भी पढ़े-
क्या यही गणतंत्र है
Kaafee arse baad mere blog pe apka comment dekh ke bahut khushee huee! Aapkee tabiyat kaisee hai?
satya ko ujagar karti achchi rachna
sabhi neta bhrasht hain to voter bhi kya kar payenge,andhon men hi koi kana raja chun lenge.
बहुत बढ़िया लगा! शानदार प्रस्तुती!
कविता हकीकत बयां करती है। लेकिन, हमें ध्यान रखना है है कि इस चुनाव में और आने वाले चुनाव में अन्ना की ओर उठाए गए मामलों को जनता के बीच जीवंत रखें। साथ ही मतदान के लिए सबको प्रेरित करें। बाकी चुनाव की बेला में बहुत कुछ चलता है। जनता जागरूक हो जाएगी तो ये बहुत कुछ, कुछ हद तक कम ही चलेगा।
बहुत बढ़िया रचना..
राजनीति की यही सच्चाई रह गई है। ईमानदार लोगो की गिनती लगभग नगण्य है। नगण्य इसलिए नहीं कि वो है नहीं..बल्कि इस लिए कि अधिकतर ईमानदार लोग अकर्मण्य हो गए हैं। चुप रहना ही बेहतर समझते हैं। यहां भी संसद में भी।
कीचड उछालने मे है लगे सभी
अपनी सभ्यता संस्कृति को छोड़ ।
prabhavshali panktiyan
di
hardik dhanyvaad
bahut hi achcha laga aapko dekh kar.abki aapki post bilkul hi alag si dikhi.
sach ko aapne samne badi hi sachhai ke saath prastut kiya hai------sadar naman
poonam
बहुत बढ़िया
lets see who wins again
चुनाव की गरमा गरमी
होगई है अब शुरू
यंहा चेला तो कोई दिखता नहीं
सब ही है बस गुरु ।
..गुरु घुटी पीकर जन्में जो है ये सब..
..बहुत बढ़िया प्रस्तुति..
बहुत सुन्दर सृजन,बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें.
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