दीदी, ज़िंदगी के साथ साम्य स्थापित करते हुए जीवन के भावों को अच्छा समेटा है!! बहुत सुंदरता से जो बात आप कम शब्दों में कह जाती हैं उसके मुकाबले कमेन्ट लंबा हो जाता है!! :)
सर्वप्रथम आपका आभर की आप मेरे ब्लॉग पर आई और मेरा हौसला बढ़ाया । विचार परिस्थिति जन्य होते हैं अत कभी-कभी ऐसा भी लिख जाती हूँ । आपको अपनी एक पुरानी पोस्ट 'जूनून"पर भी आमंत्रित करती हूँ आप अवश्य पधारें तथा अपने विचारों से परिचित कराएँ।सदा ही स्नेहकांक्षी...........
आपकी कविता के प्रत्येक शब्द समवेत स्वर में बोल उठे हैं ।.भाव भी मन को दोलायमान कर गया । मेरे नए पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
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28 comments:
wah.....kya baat hai.
घाव हरे होकर पत्ते हो गये...
पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ ,अच्छा लगा समर्थक भी बन गई हूँ ,आपके आने का इंतज़ार रहेगा हमेशा | आज की पोस्ट बेहद सुन्दर है बधाई|
दीदी,
ज़िंदगी के साथ साम्य स्थापित करते हुए जीवन के भावों को अच्छा समेटा है!! बहुत सुंदरता से जो बात आप कम शब्दों में कह जाती हैं उसके मुकाबले कमेन्ट लंबा हो जाता है!! :)
प्रकृति के घावों का रंग...... वाह, बहुत सुंदर
बहुत खूब कहा है आपने ... आभार ।
वाह ! पीला दर्द !
सच है...पत्ता पत्ता हाल हमारा जाने है!
प्रकृति और जिंदगी का व्यवहार कुछ एक जैसा ही है. कम शब्दों में भी गंभीर भाव.
इस सुंदर रचना के लिये बहुत बहुत बधाई.
मौसमों का आपसी बंधन भी तो संबंधों का बंधन है. सुंदर रचना.
बहुत सुन्दर..
बहुत बहुत सुन्दर..
सादर..
बहुत सुंदर ...
वाह
बहुत ही सुन्दर
बेहतरीन भावरचना :-)
gagar mein sagar
नयापन लिये हुए कथ्य ...बहुत सुन्दर
दिगम्बर नासवा dnaswa@gmail.com via blogger.bounces.google.com
9:57 PM (22 hours ago)
to me
दिगम्बर नासवा has left a new comment on your post "दर्द":
बहुत खूब ... सच कहा है ... पीलापन लिए बदनाम तो पतझड़ ही होता है ... लाजवाब ...
wah wah
कल शनिवार , 25/02/2012 को आपकी पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुंदर
वाह !बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति !
सर्वप्रथम आपका आभर की आप मेरे ब्लॉग पर आई और मेरा हौसला बढ़ाया । विचार परिस्थिति जन्य होते हैं अत कभी-कभी ऐसा भी लिख जाती हूँ । आपको अपनी एक पुरानी पोस्ट 'जूनून"पर भी आमंत्रित करती हूँ आप अवश्य पधारें तथा अपने विचारों से परिचित कराएँ।सदा ही स्नेहकांक्षी...........
आपकी कविता के प्रत्येक शब्द समवेत स्वर में बोल उठे हैं ।.भाव भी मन को दोलायमान कर गया । मेरे नए पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
अद्भुत। लाजवाब बात कही।
new thoughts...
FEW LINES BUT SHOW THE WHOLE LIFESTYLE.THOUGHTFUL LINES.
पतझड़, पीर, पत्ते और पीलापन...
बहुत खूब।
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♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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दर्द है तो महसूस करा ही देगा ...
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