Sunday, August 15, 2010

आओ सींखे ( पुरानी कविता )

चट्टानों से टकरा कर भी
खिलखिलाना कोई लहरों से सीखे ।
हजारो राज़ अपने मे सहेज रखना
ये कला कोई सागर से सीखे ।

काँटों से घिरे रह कर भी
मुस्काना कोई गुलाब से सीखे ।
क्षमता से अधिक श्रम करने की
लगन कोई चींटी से सीखे ।

कुछ सीखना है तो प्रकृति
के पास शिक्षको की कमी नही ।
नि शुल्क सीखने की सुविधा
किसीको मिलेगी क्या कंही ?

50 comments:

हास्यफुहार said...

आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

Dev said...

बहुत सुन्दर रचना .......स्वतंत्रता दिवस कि ढेर सारी शुभकामनयें .

Saumya said...

accahi rachna...happy independence day!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

बहुत अच्छी शिक्षा दे रही है आपकी रचना...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

सम्वेदना के स्वर said...

सरिता दी,
हम तो पोथी पढने को शिक्षा, किताब बाँचने को ज्ञान, परीक्षा पास करने को ज्ञानी होने का प्रमाणपत्र, उच्च स्थान और धन कमाने को सफलता माने बैठे हैं... जिस ज्ञान की जितनी कीमत वह ज्ञान उतना महत्वपूर्ण... निःशुल्क मिलने वाला ज्ञान भी लोगों को बेकार लगता है..जहाँ किसी की औकात उसके कपड़ों से आँकी जाती है, वहाँ निःशुल्क तो स्वयम हेय हो गया!!
अपनी शांति भंग करने का आभार!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत प्रेरणादायक अभिव्यक्ति ...

स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाये और बधाई

Parul kanani said...

vakai ek sundar sikh...jai hind :)

रचना दीक्षित said...

बहुत ही सुंदर रचना बधाई.
आपको स्वतंत्रता दिवस पर ढेरों शुभकामनाएं.

डॉ टी एस दराल said...

बहुत सुन्दर और सार्थक रचना । स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें ।

दिगम्बर नासवा said...

सच है बहुत कुछ है इस प्रकृति के पास ... ज्ञान का भंडार है ....

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत सुन्दर बात कही है, सब सिखाने बैठे हैं।

Swatantra said...

wow!! amazing learning!!

Urmi said...

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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

ज्योति सिंह said...

कुछ सीखना है तो प्रकृति
के पास शिक्षको की कमी नही ।
नि शुल्क सीखने की सुविधा
किसीको मिलेगी क्या कंही ?
आज के अवसर पर बहुत सही और बडी बात कह दी आपने ,सार्थक रचना .
स्वतंत्रता दिवस की ढेर सारी शुभकामनयें .मै आज इन्दोर व भोपाल से आई हू इस कारण समय पर न आ सकी .

SATYA said...

बेहद सुन्दर रचना,
शुभकामना..!!

अरुणेश मिश्र said...

प्रशंसनीय ।

Mohinder56 said...

आपने तो पत्थर से तेल निकाल दिया... सुन्दर शिक्षाप्रद रचना...सही लिखा है सीखने के लिये कोई ऊमर और गुरु की राह क्यूं तकता रहे...

मनोज कुमार said...

अच्छी सीख देती रचना!

VIVEK VK JAIN said...

hamesha ki tarah bahut sundar!

करण समस्तीपुरी said...

और सहज भाषा में गहन भाव समेटना कोई आप से सीखे........ ! बहुत अच्छा !! धन्यवाद !!!

पूनम श्रीवास्तव said...

behad hi pasand aai aapki ye rachna.sabhi upmaayen shandaar. sach kaha aapne inse jyaada behatar insaan ko bhala aur koun sikha sakta hai.bahut hi sandeshatmak post.
poonam

मुकेश कुमार सिन्हा said...

sachchi baat kahi aapne..........prakriti se seekhna !!

pyari rachna.......

Anonymous said...

प्रेरक सन्देश - धन्यवाद

मनोज भारती said...

इस कविता को फिर से पढ़वाने के लिए आभार ! जिंदगी में पल-पल सीख मिलती है...बस उससे सीख लेने की दृष्टि होनी चाहिए । प्रकृति किसी को अनुभवों से सूना नहीं रखती ।

Rohit Singh said...

क्या कहने....सीखना चाहें इंसान तो हर चीज से कुछ न कुछ सीख सकता है। ज़िंदगी थोड़ी औऱ सीखने को बहुत कुछ

sm said...

beautiful poem
we can learn from nature lot

sky-blue freak :D said...

कुछ सीखना है तो प्रकृति
के पास शिक्षको की कमी नही ......
theek kha hai aap ne Aunty,
Nature is a great teacher!!!

Supreet

Shabad shabad said...

काँटों से घिरे रह कर भी
मुस्काना कोई गुलाब से सीखे ....
क्या बात कही है आप ने....
प्रकृति के पास शिक्षको की कमी नही ।
नि शुल्क सीखने की सुविधा हमें
और कहां मिलेगी ???
वाह! वाह! वाह!

सर्वत एम० said...

बहुत देर से आ सका, अब तो रक्षा पर्व की बासी शुभकामना ही दे सकता हूँ.
कविता आपके अनुभव का निचोड़ है. सागर, गुलाब आदि की तो प्रकृति ही है लेकिन मनुष्य तो अधीर प्राणी है. यहाँ सब्र, धैर्य, संयम फ़िलहाल तो किसी के पास नहीं. लोग ओवरनाइट करोड़पति बन जाने की लालसा में मरे जा रहे हैं.

Urmi said...

उम्मीद करती हूँ की आप कुशल मंगल हैं! आपके नए पोस्ट का बेसब्री से इंतज़ार है!

sandhyagupta said...

कुछ सीखना है तो प्रकृति
के पास शिक्षको की कमी नही ।

सोलह आने सच.वास्तव में प्रकृति से बड़ा शिक्षक हो ही नहीं सकता.

ZEAL said...

.
चट्टानों से टकरा कर भी
खिलखिलाना कोई लहरों से सीखे ।..

कल मन बहुत उदास था, आपकी कविता पढ़ी तो विश्वास थोडा वापस आया।
.

#vpsinghrajput said...

बहुत सुन्दर रचना

कविता रावत said...

कुछ सीखना है तो प्रकृति
के पास शिक्षको की कमी नही ।
नि शुल्क सीखने की सुविधा
किसीको मिलेगी क्या कंही ?
.....bilkul sahi kaha aapne... aaj insaan bina liye-diye kahan manta... niswarth kee bhawana bahut kam ho chuki..
saarthak rachan

Bharat Bhushan said...

'बाबा फकीर चंद' ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद. आज आपका ब्लॉग देखा. बहुत सुंदर अभिव्यक्तियों से भरी कविताएँ पढ़ने को मिलीं. शुभकामनाएँ.

Bharat Bhushan said...

'रंगमंच के माध्यम से' के बारे आपकी टिप्पणी ज़ुल्फ़िकार को फोन पर सुना दी है. यह व्यक्ति सुनता है परंतु अपने कार्य में लग जाता है. मुझे इसकी यह बात बहुत अच्छी लगती है.

kshama said...

"Bikhare Sitare" blog se aap judi raheen...bahut shukrguzar hun.."In sitaron se aage" aapki tippanee yaad karte hue do lafz likhe hain...zaroor gaur karen..

kshama said...

Nanhee kali bahut,bahut mubarak ho! Aapke chamanki bahar banee rahe!

mridula pradhan said...

bahut achchi lagi.

Dr.Ajit said...

मेरी रचनाएं आपको पसंद आयी इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया। कम टिप्पणीयां आने का जो सवाल आपने उठाया है पहले इसके बारे मे सोचकर व्यथित हो जाता था हाँ ये सच है कि ब्लागजगत की टिप्पणी पहले करो फिर पाओं अभियान या परम्परा का मै कभी हिस्सा नही रहा हूं। शायद यही वो वजह है कि मुझे सबसे कम आशीर्वाद मिलता है। दूसरों के ब्लाग को पढता खुब हूं लेकिन केवल इसलिए टिप्पणी करना कि मुझे प्रसाद मे टिप्पणी मिलेगी ये मुझ से नही होता, इसे आप मेरा प्रमाद भी समझ सकती है। पिछले तीन सालो से मै नियमित ब्लागिंग कर रहा हूं लेकिन टिप्पणी के मामले मे एकदम निर्धन हूं...वैसे भी मै अपने सुख के लिए अपनी पीडा बांटता हूं जो दे उसका भी भला जो न दे उसका भी भला...।

हार्दिक आभार
डा.अजीत
www.shesh-fir.blogspot.com
www.monkvibes.blogspot.com
www.paramanovigyan.blogspot.com

SATYA said...

आप भी इस बहस का हिस्सा बनें और
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

इन कम्प्लीट एग्रीमेंट.
आशीष
--
अब मैं ट्विटर पे भी!
https://twitter.com/professorashish

Urmi said...

आपकी टिपण्णी मिलने पर मुझे बेहद ख़ुशी हुई! मैं समझ सकती हूँ कि आप अभी लन्दन में अर्ना को लेकर बहुत व्यस्त हैं और ये तो स्वाभाविक है! आपको जब वक़्त मिले तब आप मेरे ब्लॉग पर आइयेगा! अपना ख्याल रखियेगा! आपके नए पोस्ट का इंतज़ार रहेगा!

Vivekanand Bissa said...
This comment has been removed by the author.
Vivekanand Bissa said...

वाकई में हमारे आस पास की हर चीज हमें कुछ सिखाती है


http://hamarevichaar.blogspot.com/

Urmi said...

शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

Anonymous said...

mama, no new poems in so long? what happened?

xoxoxo
me

Apanatva said...

little one ! this one is just for you.

अंजना said...

बढ़िया!

गणेश चतुर्थी एवं ईद की बधाई

G Vishwanath said...

Superb!
Regards
G Vishwanath