Saturday, December 26, 2009

सन्देश व नव वर्ष की शुभकामनाएँ

एक कांटा क्या चुभा
सभी फूलों से रूठ जाए
उनकी महक भूल जाए
ये तो लगता उचित नही ।


ठोकर लगी , तनक लडखडाए
तो क्या ? तुरंत संतुलन बनाते
कदम आगे बढाए ,भय भगाए
होगा उस समय ये ही सही ।


इंसान ये चाहे बस बसंत ही रहे
सदैव उसके जीवन मे
प्रकृति के भी कुछ नियम है
ये तो हो सकता मुमकिन नही

16 comments:

रश्मि प्रभा... said...

एक कांटा क्या चुभा
सभी फूलों से रूठ जाए
उनकी महक भूल जाए
ये तो लगता उचित नही ।
.........
bilkul uchit nahin......bahut badhiyaa

हास्यफुहार said...

एक कांटा क्या चुभा
सभी फूलों से रूठ जाए
बहुत सही कहा आपने। हर मौसम की अपनी पहचान है।

निर्मला कपिला said...

एक कांटा क्या चुभा
सभी फूलों से रूठ जाए
उनकी महक भूल जाए
ये तो लगता उचित नही ।
बहुत सुन्दर सन्देश देती रचना के लिये बधाई नये साल की मुबारकवाद्

दिगम्बर नासवा said...

इंसान ये चाहे बस बसंत ही रहे
सदैव उसके जीवन मे
प्रकृति के भी कुछ नियम है
ये तो हो सकता मुमकिन नही ।


सच कहा .... फूल चाहिएं तो काँटों से क्या डरना ......... प्राकृति को लाजवाब लिखा है .......

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्रकृति के माध्यम से जीवन में आगे पढ़ने को प्रेरित करती खूबसूरत रचना...

नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें

अनिल कान्त said...

एकदम सटीक लिखा है आपने

ज्योति सिंह said...

इंसान ये चाहे बस बसंत ही रहे
सदैव उसके जीवन मे
प्रकृति के भी कुछ नियम है
ये तो हो सकता मुमकिन नही ।
bahut sundar baat kahi aapne ,nav varsh aanewaala mangalmay ho.

sangeeta said...

very nice lesson through a beautiful poetry...you always write from the heart..

i am following your advice for being a bit regular on homealone...thanks for motivating me...it will be a lot happier place now..

देवेन्द्र पाण्डेय said...

मैं आपके ब्लाग पर आया तो फिर पिछली कविता में खो कर रह गया।
इस पोस्ट के भाव भी बहुत उम्दा हैं।
नववर्ष मंगलमय हो।

Rohit Jain said...

Yehi to behtar jeevan darshan hai........

शोभना चौरे said...

bahut sundar .har cheej apne maousam ke anuroop hi achhi lagti hai .

रचना दीक्षित said...

इंसान ये चाहे बस बसंत ही रहे
सदैव उसके जीवन मे
प्रकृति के भी कुछ नियम है
ये तो हो सकता मुमकिन नही ।
एक बहुत सुंदर प्रस्तुति और नववर्ष पर हार्दिक बधाई आप व आपके परिवार की सुख और समृद्धि की कामना के साथ
सादर रचना दिक्षित

देवेन्द्र पाण्डेय said...

अच्छा संदेश देती कविता।

निर्झर'नीर said...

प्रकृति के भी कुछ नियम है..

यक़ीनन बेहतरीन रचना सारगर्भित भाव दाद क़ुबूल करें आपको पहली बार पढ़ा ..निराश नहीं हुआ

amita said...

very well expressed !

Unknown said...

एक कांटा क्या चुभा
सभी फूलों से रूठ जाए..was excellent.