Saturday, December 19, 2009

प्रश्न

नदी ने पूछा सागर से
इतना उफान ?
इतने अशांत ?
इतना खारापन ?
इतना भारीपन ?
इतनी गहराई ?
सागर भीने से मुस्काया
बोला , इतनी जिज्ञासा ?
इतने प्रश्न ?
क्या कभी सोचा है ?
चाँद सूरज करते
मुझसे क्यों खेल ?
लहरे क्यो चाहे
तटो से करना मेल ?
एक बात और
जो मेरे भी समझ
मे
नही आई ?
नदी बताओ
इतने संशय फ़िर भी
तुम क्यो आकर
मुझमे ही समाई ?

25 comments:

Swatantra said...

Kya baat hai mast hai aapke sawal!!

sangeeta said...

अभी तक आपकी जितनी कवितायेँ पढ़ी हैं , उनमे से सबसे ज्यादा गहराई मुझे इस कविता में नज़र आई है !
बहुत ही संवेदनशील मन है आपका !!

ज्योति सिंह said...

जो मेरे भी समझ
मे नही आई ?
नदी बताओ
इतने संशय फ़िर भी
तुम क्यो आकर
मुझमे ही समाई ?
sachmuch ek behtrin rachna ,man ko bha gayi

Jusmehere said...
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Anonymous said...

mom - this one along with the one on prakruti are my favourites

sm said...

excellent poem

Randhir Singh Suman said...

nice

आशु said...

आप के सवालों के सवाल में तो बहुत दम है. बहुत सुन्दर रचना. अति उत्तम

आशु

kshama said...

नदी बताओ
इतने संशय फ़िर भी
तुम क्यो आकर
मुझमे ही समाई ?
Waah ! pooree rachna behad sundar hai!

दिगम्बर नासवा said...

बहुत बेमिसाल ......... जीवन के ऐसे ही बहुत से प्रश्न अपने आप में गाथा हैं जीवन के अविरल प्रवाह की ........... बहुत सुंदर है यह रचना ............

पूनम श्रीवास्तव said...

सुन्दर भावों की सुन्दर प्रस्तुति---अच्छी लगी आपकी यह कविता।
पूनम

देवेन्द्र पाण्डेय said...

बेहद खूबसूरती से आपने जीवन दर्शन समझा दिया..
आपकी यह कविता मुझे बहुत अच्छी लगी.

amita said...

बहोत खूब !!
सवाल में जवाब और सवाल में सवाल.
क्या बात है ?
आप की कविता "प्रश्न" में बड़ों की गहराही
और छोटों के लिए अपनापन अभिव्यक्त
होता हैं

Ajit Pal Singh Daia said...

EK SUNDER RACHNA ...BADHAI..
@AJIT

योगेन्द्र मौदगिल said...

Wah...Behtreen Bhavabhivyakti....

कविता रावत said...

नदी बताओ
इतने संशय फ़िर भी
तुम क्यो आकर
मुझमे ही समाई?
Sagar se gahrayee liye aapki rachna behad achhi lagi.
Shubhkamnayen....

Anonymous said...

Beautiful mom. One of my favourites too.

Apanatva said...

Ye chamatkar kaise ho gaya manjhalee jee ?
aapane comment jo choda hai .
Jaroor deedee kee nakal hui hai.
Is var deedee ne bhee...........
chutakee ke liye ufan Samai jara bharee padate hai.par koshish karatee hai arth samajh bhee jatee hai.I am happy.
Hindi apane ghar lout aai.

शोभना चौरे said...

bahut bahut khubsurat aur utkrsht rachna .
BADHAI

Navendu said...

Awesome!!! :)

Dr. Zakir Ali Rajnish said...
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daanish said...

sawaal dar sawaal dar sawaal
aur jawaab...
ek-dm la-jawaab !!
insani fitrat ki paribhaasha
bhi jhalak rahi hai .
abhivaadan svikaareiN .

रश्मि प्रभा... said...

नदी शरमाई,इठलाई.....अनकही बातों को आत्मसात कर मुस्कुराई ..........
सागर की गहराई, उद्दात लहरों की भाषा बहुत अच्छी लगी

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

जहाँ होती है गहराई
उफान भी समाया होता है
शांत दीखते सागर में
ज्वार - भाटा भी आया होता है .

बहुत गहरे भावों से रची है आपकी रचना....सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई
ID-- sangeetaswarup@gmail.com.
plz apnaID den..jisase kabhi mail se baat ho sake..thanx

Unknown said...

सवालों के जवाब में सवालों से उत्तर देने की कला, उत्तरोतर unchaaiyaon की ओर बढ़ने की एक सीढ़ी है.बहुत सारी बधाइयाँ.