नदी ने पूछा सागर से
इतना उफान ?
इतने अशांत ?
इतना खारापन ?
इतना भारीपन ?
इतनी गहराई ?
सागर भीने से मुस्काया
बोला , इतनी जिज्ञासा ?
इतने प्रश्न ?
क्या कभी सोचा है ?
चाँद सूरज करते
मुझसे क्यों खेल ?
लहरे क्यो चाहे
तटो से करना मेल ?
एक बात और
जो मेरे भी समझ
मे नही आई ?
नदी बताओ
इतने संशय फ़िर भी
तुम क्यो आकर
मुझमे ही समाई ?
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25 comments:
Kya baat hai mast hai aapke sawal!!
अभी तक आपकी जितनी कवितायेँ पढ़ी हैं , उनमे से सबसे ज्यादा गहराई मुझे इस कविता में नज़र आई है !
बहुत ही संवेदनशील मन है आपका !!
जो मेरे भी समझ
मे नही आई ?
नदी बताओ
इतने संशय फ़िर भी
तुम क्यो आकर
मुझमे ही समाई ?
sachmuch ek behtrin rachna ,man ko bha gayi
mom - this one along with the one on prakruti are my favourites
excellent poem
nice
आप के सवालों के सवाल में तो बहुत दम है. बहुत सुन्दर रचना. अति उत्तम
आशु
नदी बताओ
इतने संशय फ़िर भी
तुम क्यो आकर
मुझमे ही समाई ?
Waah ! pooree rachna behad sundar hai!
बहुत बेमिसाल ......... जीवन के ऐसे ही बहुत से प्रश्न अपने आप में गाथा हैं जीवन के अविरल प्रवाह की ........... बहुत सुंदर है यह रचना ............
सुन्दर भावों की सुन्दर प्रस्तुति---अच्छी लगी आपकी यह कविता।
पूनम
बेहद खूबसूरती से आपने जीवन दर्शन समझा दिया..
आपकी यह कविता मुझे बहुत अच्छी लगी.
बहोत खूब !!
सवाल में जवाब और सवाल में सवाल.
क्या बात है ?
आप की कविता "प्रश्न" में बड़ों की गहराही
और छोटों के लिए अपनापन अभिव्यक्त
होता हैं
EK SUNDER RACHNA ...BADHAI..
@AJIT
Wah...Behtreen Bhavabhivyakti....
नदी बताओ
इतने संशय फ़िर भी
तुम क्यो आकर
मुझमे ही समाई?
Sagar se gahrayee liye aapki rachna behad achhi lagi.
Shubhkamnayen....
Beautiful mom. One of my favourites too.
Ye chamatkar kaise ho gaya manjhalee jee ?
aapane comment jo choda hai .
Jaroor deedee kee nakal hui hai.
Is var deedee ne bhee...........
chutakee ke liye ufan Samai jara bharee padate hai.par koshish karatee hai arth samajh bhee jatee hai.I am happy.
Hindi apane ghar lout aai.
bahut bahut khubsurat aur utkrsht rachna .
BADHAI
Awesome!!! :)
sawaal dar sawaal dar sawaal
aur jawaab...
ek-dm la-jawaab !!
insani fitrat ki paribhaasha
bhi jhalak rahi hai .
abhivaadan svikaareiN .
नदी शरमाई,इठलाई.....अनकही बातों को आत्मसात कर मुस्कुराई ..........
सागर की गहराई, उद्दात लहरों की भाषा बहुत अच्छी लगी
जहाँ होती है गहराई
उफान भी समाया होता है
शांत दीखते सागर में
ज्वार - भाटा भी आया होता है .
बहुत गहरे भावों से रची है आपकी रचना....सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई
ID-- sangeetaswarup@gmail.com.
plz apnaID den..jisase kabhi mail se baat ho sake..thanx
सवालों के जवाब में सवालों से उत्तर देने की कला, उत्तरोतर unchaaiyaon की ओर बढ़ने की एक सीढ़ी है.बहुत सारी बधाइयाँ.
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