Wednesday, July 15, 2009

जिंदगी

हमारे कई अपने
जिंदगी की राह में
सदा के लिए
छोड़ गए हमारा साथ ।

नियति के आगे
सभी कमज़ोर है
बस मलते रह
जाते है हम हाथ ।

ये जिंदगी भी
करती है ।
हमारे साथ
नित नये खेल ।

कभी अपनो से
दूर करती है
कभी परायो से
कराती है मेल ।

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