Monday, April 25, 2011

आभास

एक माह बीता

आभास साथ है

जैसे कि तुम सब

देख और सुन रही

मेरी खिड़की

के हिस्से आए

मुट्ठी भर

आसमान पर

घनघोर अंधेरी

रात के

सीने को चीर

बदली की ओंट से

कल एक प्यारा

तारा झाँका था

उसकी चमक

चकाचोंध कर गयी

तुम कंही वो

ही तो नही ।

Tuesday, April 19, 2011

झील

शैल !

जब भी

किसी से

तुम्हारा जिक्र

होता है

आँखे झील

बनती है

और फिर

यादे यँहा

तैरना शुरू

कर देती है

समय थम

सा जाता है

साथ बीता

हर पल तब

मेरे पास

यूं स्वयं

लौट आता है ।

Wednesday, April 13, 2011

लाचार

जब मक्कारी

डंके की चोट पर

खुबसूरत शब्दों का

लिवास ओढ़े

सभीको भरमा

बड़ी आसानी से

अपना सिक्का जमाए ।



तब उस समय

असलियत बेचारी

सादगी मे लिपटी

दबे पाँव वंहा से

शर्मींदगी से

लाचार हो

अदृश्य ही हो जाए ।

Monday, April 4, 2011

करीने

वो चली गयी

सदा के लिये

एक लम्बे

सफर पर

हम सभी को

तनहा छोड़

भावनाए पीछा

कर रही

लगा रही

अब भी दौड़

जानती हूँ वो

अब लौट कर

कभी नही आएगी

अब यादे ही

साथ निभाएंगी

साथ बीते

कीमती लम्हों को

करीने से

लगाना है

यूं अभी व्यस्त

रहने का

मुझे मिल गया

बहाना है ।


२१ साल का साथ था हमारा । मुझसे बहुत छोटी भी थी ।
शैल तुम बहुत प्यारी हिम्मत वाली रही बड़ी सहजता से अपने दर्द को सहा पर उस दिन ना जाने कैसे तुम्हारा दर्द आँखों मे उतर आया और मेरी भावनाओ की पगडंडी पर दबे पाव चलता हुआ सीधे दिल मे उतर गया । अब तुम सदैव मेरे साथ हो ।

ये कैंसर दुबारा आ जाए तो किसी को नही बख्शता । जमीन आसमान एक कर दिया था शैलेन्द्र ने पर उनकी एक ना चली ।
cyber knife doctors टीम के सभी प्रयास विफल रहे ।
कल तेरही थी हम सब इकठ्ठा हुए थे और तुम्हारी जगह एक तस्वीर थी ......उफ तुम्हारे सभी परिचितों रिश्तेदारों और सहेलियों के चेहरों पर तुम्हे खोने का दर्द साफ़ दिख रहा था.......

तुमने हमारे दिलो पर राज किया था और सदैव करोगी ।